RE: Porn Story चुदासी चूत की रंगीन मिजाजी
वैसे तो मुझे पता था की अनिल बहुत औरतखोर व्यक्ति हे लेकिन शादी के बाद मेने उनकी इन हरकतों पर कभी धयान नही दिया था। मेरी फ्रेंड्स अक्सर मुझे सुनी सुनाई बात के आधार पर कहती थी की अनिल जो भी नया प्रोजेक्ट लांच करते हे उसमे सबसे पहले सैंपल फ्लैट बनवाते हे वो सैंपल फ्लैट उनकी अयाशी के काम आता था।
मुझे ये भी जानकारी थी की अनिल हाई क्लास रंडी से लेकर किसी गरीब मजदुर लेडी को भी चोदने का कोई मौका नही छोड़ते थे।
दिनों से में वाच कर रही थी की अब अनिल की मुझमे तो चोदने की दिलचस्पी कम होती जा रही थी साथ ही वो ड्रिंक भी बहुत करने लगे थे, ड्रिंक के बाद वो जैसी बाते करते थे उससे मुझे अंदाज़ा हो गया था की अनिल आजकल रोजाना ही ड्रिंक के बाद चुदाई का नियमित प्रोग्राम रख रहे हे। में उनसे कुछ कहती तो वो मेरी कसम खा जाते की ये अफवाह के सिवा कुछ नही हे।
मुझे लग रहा था की अब बच्चे भी बड़े हो रहे हे और अगर कोई ऐसी वैसी बात हो गयी तो उनकी आने वाली ज़िंदगी पर काफी फर्क पड़ेगा। मेने फैसला किया की में अब अनिल को रंगे हाथ पकड़ूंगी तब ही उनको झटका लगेगा।
एक दिन मुझे सुबह अनिल को किसी से बात करते सुना की वो अपनी नयी साइड पर किसी लोंडिया की सील तोड़ने जा रहा हे रहा हे, मेने सोच लिया की आज में उसे रंगे हाथ पकड़ूंगी। ये साइड शहर से दूर थी और एकांत में थी ।
में रात को ८ बजे के करीब वह पहुंची, मेने देख लिया था की अनिल की कार वहीं खड़ी हे, इसका मतलब अनिल यही हे
मेने कार पार्किंग में दूर अँधेरे कोने में खड़ी की । बहुत ज़ोरों से बारिश हो रही थी और बादल भी जम कर गरज रहे थे। मैं पूरी तरह भीग चुकी थी और ठंडे पानी से मेरे ब्लाऊज़ के अंदर मेरे निप्पल एकदम टाईट हो गयी थी। मेरा ब्लाऊज़ मेरे रसीले मम्मों को ढाँकने की नाकामयाब कोशिश कर रहा था। मेरे एक-तिहाई मम्मे ब्लाऊज़ के लो-कट होने की वजह से और साड़ी के भीग जाने से एकदम साफ़ नज़र आ रहे रहे थे। मैंने साढ़े चार इन्च ऊँची हील के सैण्डल पहने हुए थे और पानी मे फिसलने के डर से धीरे-धीरे चलने की कोशिश कर रही थी। हवा भी काफ़ी तेज़ थी और इस वजह से मेरा पल्लू इधर-उधर हो रहा था जिसकी वजह से मेरी नाभी साफ़ देखी जा सकती थी। मैं आमतौर पे साड़ी नाभी के तीन-चार ऊँगली नीचे पहनती हूँ। पूरी तरह भीग जाने की वजह से, मैं हक़ीकत में नंगी नज़र आ रही थी क्योंकि मेरी साड़ी मेरे पूरे जिस्म से चिपक चुकी थी। ऊपर से मेरी साड़ी और पेटीकोट कुछ हद तक झलकदार थे।
मुझे मेरे आसपास क्या हो रहा था उसका बिल्कुल एहसास ही नहीं था। मैंने देखा कि मेरी वो अकेली ही कार पार्किंग लॉट के इस हिस्से में थी और वहाँ घना अँधेरा छाया हुआ था। बारिश एकदम ज़ोरों से बरस रही थी।। अचानक किसी ने मुझे एक जोर का धक्का लगाया और मैं अपनी कार के सामने जा टकराई। हिलना मत कुत्तिया!
मुझे महसूस हुआ कि किसी ताकतवर मर्द का जिस्म मुझे मेरी कार की तरफ़ पुश कर रहा था। उसका पुश करने का ज़ोर इतना ताकतवर था कि उसने मेरे फेफड़ों से सारी हवा निकाल दी थी जिसकी वजह से मैं चिल्ला भी ना सकी। मैं एक दम घबरा गयी। बारिश इतनी तेज़ हो रही थी कि आसपास का ज़रा भी नज़र नहीं आ रहा था और जहाँ मेरी कार खड़ी हुई थी वहाँ मुझे कोई देख नहीं सकता था। वो आदमी मुझे हर जगह छूने लगा। उसके हाथ बेहद मजबूत थे..। जैसे लोहे के बने हों। उसने मेरा पल्लू खींच के निकाल दिया और मेरे मम्मों को जोर-जोर से दबाने लगा और मेरे पहले से टाईट हो चुके निप्पलों को मसलने लगा।
वो गुर्राया। उसकी इस आवाज़ ने जैसे मुझे बेहोशी में से उठाया हो और मैंने भागने की नाकाम कोशिश की। फिर उसने मेरे एक मम्मे को छोड़ के मेरे गीले हो चुके बालों से मुझे खींचा।
आआहहहहह...। मैं जोर से चिल्लाई और मैंने उसके सामने लड़ना बंद कर दिया।
अगर तू ज़िंदा रहना चाहती है तो..। ठीक तरह से पेश आ! समझी कुत्तिया..।अभी मैं तुझे अपनी तरफ़ धीरे से मोड़ रहा हूँ..। अगर ज़रा भी होशियारी दिखायी तो....!!
उसने मुझे धीरे से अपनी तरफ़ मोड़ा। इस दौरान उसने अपना जिस्म मेरे जिस्म से सटाय रखा। उसका लंड मेरे गीले जिस्म को घिस रहा था, और मेरी चूत में थोड़ी सरसराहट हुई। ऑय कैन नॉट बी टर्नड ऑन बॉय दिस मेरे जहन में ये सवाल उठा। मैंने ऊपर देखा। मैंने इस बार उसे पहली बार देखा। वो एक लंबा-चौड़ा और काला आदमी था। उसने अपने जिस्म पर एक पैंट और सर पर टोपी के अलावा कुछ नहीं पहना था। उसका कसरती जिस्म मुझे किसी बॉडी-बिल्डर की याद दिला गया। वो एकदम काला और डरावना था और ऐसी अँधेरी रात में मुझे सिर्फ़ उसकी आँखें और उसके काले जिस्म पे दौड़ती हुई बारिश की बूँदें ही नज़र आती थी। मैं डर से थर-थर काँपने लगी। मेरे इतनी ऊँची हील के सैण्डल पहने होने के बावजूद वो करीबन मुझसे एक फुट लंबा था। मैं उससे रहम की भीख माँगने लगी।
प्लीज़..।प्लीज़ मुझे मत मारो।
तभी एक जोरदार थप्पड़ मेरे गाल पे आ गिरा। मुझे तो ऐसा लगा कि मुझे तारे दिख गये। उसने मुझे मेरे बालों से पकड़ कर अपने मुँह तक ऊपर खींचा।
प्लीज़ मुझे जाने दो...। मैं तुम्हें जो चाहो वो दे दूँगी..। देखो मेरे पर्स में पैसे हैं..। तुम वो सारे के सारे ले लो... मैं गिड़गिड़ायी।
वो मेरे सामने जोर-जोर से हँसने लगा और बोला देख..।हरामजादी मुझे तेरे पैसे नहीं चाहिये..। मुझे तो तेरी यह कसी हुई टाईट चूत चाहिये..।मैं तेरी इस चूत को ऐसे चोदूँगा कि तू ज़िन्दगी भर किसी दूसरे मर्द का लंड नहीं माँगेगी
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