Incest Kahani उस प्यार की तलाश में
02-28-2019, 12:11 PM,
#63
RE: Incest Kahani उस प्यार की तलाश में
मैं पापा की तरफ देखकर धीरे से मुस्कुरा पड़ी- थॅंक्स पापा.....मैं जल्द आने की कोशिश करूँगी......

मोहन- तुम जाओ बेटी.....मैं सब संभाल लूँगा......तभी विशाल कमरे में आया और मुझे जाने का इशारा करने लगा......शायद उसे मुझसे भी ज़्यादा जल्दी थी.......

कितना आसान है ना अपने मा बाप को बेवकूफ़ बनाना........वो भी बिना सोचे समझे हमारी बातों पर आसानी से विश्वास कर लेते है.......कभी एक पल के लिए ये नहीं सोचते कि हम सच कह रहें है या झूट.......ये सब सोचकर ना जाने क्यों मुझे आज अपने आप पर शरम सी आ रही थी........मैं कुछ देर तक वही खड़ी रही फिर मैं जैसे ही जाने के लिए मूडी तभी पापा ने मुझे आवाज़ दी........मेरे बढ़ते कदम अचानक से रुक गये......

एक बार तो दिल में ये ख्याल आया कि कहीं पापा को मुझपर शक तो नहीं हो गया.......मैं सवाल भरे नज़रो से पापा की तरफ देखने लगी......

मोहन- ये लो बेटी कुछ पैसे......तुम्हें भी तो कुछ ज़रूरत होती होगी...... खरीद लेना अपने लिए कुछ जो तुम्हारा दिल करे......फिर पापा ने मुझे दो हज़ार के दो नोट थमा दिए और ना जाने क्यों मैं अपने जज्बातो को ना सभाल सकी और पापा से मैं लिपटी चली गयी......पापा ने भी हंस कर मुझे अपने सीने से लगा लिया......एक बार तो मेरे दिल में ये ख्याल आया कि मैं सब कुछ उन्हें सच सच बता दूं कि आपकी लड़की इस वक़्त किसी होटेल में जा रही है अपनी जवानी किसी से नीलाम करवाने........किसी से क्या वो अपने सगे भाई के साथ......मगर मैं जानती थी कि अगर पापा ये बात जान गये तो क़यामत आ जाएगी.....

मैं फिर फ़ौरन विशाल के साथ बाहर आई और और विशाल अपनी बाइक निकाल कर तेज़ी से उसे अपनी मंज़िल की तरफ अपनी बाइक मोड़ दी.......मैं रास्ते भर खामोश रही......मेरे अंदर इस वक़्त बहुत घबराहट हो रही थी......पहली बार मैं किसी होटेल में जा रही थी उस वक़्त मुझे ऐसा फील हो रहा था कि मैं एक पेशावॉर रंडी हूँ.......रंडिया पैसों के लिए ये सब करती है और मैं अपनी हवस शांत करवाने के लिए....थोड़ी दूर जाने पर विशाल ने अपनी बाइक रोक दी और मुझे अपने मूह पर दुपट्टा लगाने का इशारा किया.......

मैने अपना दुपट्टा अपने मूह पर अच्छे से बाँध लिया अब मुझे कोई नहीं पहचान सकता था.........फिर विशाल तेज़ी से सहर के बाहर एक होटेल में मुझे ले गया वो होटेल बहुत बड़ा था और चुदाई के लिए काफ़ी मशहूर था.......वहाँ अधिकतर कपल आते थे और दूसरे शब्दों में कहा जाए तो वहाँ धंधा भी होता था..........जैसे ही विशाल ने अपनी बाइक रोकी मैं वही खड़ी होकर बड़े गौर से उस होटेल को देखे लगी........वहाँ मौजूद वर्कर्स मेरी तरफ बड़ी ही अजीब नज़रो से मुझे देख रहें थे.

सबके चेहरे पर एक कातिलाना मुस्कान थी........सबकी नज़रें मेरे बदन को पल पल नंगा करती जा रही थी.......मैं उन सब से अपनी नज़रें ना मिला सकी और फ़ौरन विशाल के पीछे पीछे सामने रेसियेप्षन हाल में अंदर आ गयी.......इस वक़्त होटेल खाली था....दो तीन लोग की मुश्किल से बुकिंग हुई होगी.........मैं अकेली लड़की थी वहाँ मौजूद मॅनेजर से लेकर सभी वर्कर्स मुझे बड़ी अजीब सी नज़रो से मुझे देख रहें थे........सामने दो तीन वर्कर्स थे जो मेरी तरफ देखते हुए बातें कर रहें थे.........

मैने उनकी बातों पर ज़्यादा ध्यान नहीं दिया और चुप चाप जाकर सामने वाली सीट पर बैठ गयी.......विशाल फिर जैसे ही अपना पर्स निकालने के लिए अपने जेब में हाथ डाला उसे एक ज़ोर का झटका लगा.......उसका पर्स घर पर छूट गया था......फिर वो मेरे पास आया और उसने अपनी प्राब्लम मुझे बताई.......मैने अपना पर्स खोला और उसमे से एक हज़ार का नोट विशाल के हाथों में धीरे से थमा दिया.......

विशाल धीरे से मुस्कुराता हुआ मॅनेजर के पास गया और फिर पैसे जमा करने लगा......

मॅनेजर की भी निगाह मुझ पर थी.......वो बड़े गौर से मेरे जिस्म को घूर रहा था.......मुझे ना जाने क्यों बहुत अजीब सा लग रहा था.......वहाँ मौजूद सभी लोग अच्छे से जानते थे कि मैं विशाल के साथ उस होटेल में क्या करने जा रही हूँ.......यही सोच सोच कर मेरा शरम से और भी बुरा हाल था.......

मॅनेजर ने फिर विशाल से आई डी माँगी तो उसने अपनी डी एल( ड्राइविंग लाइसेन्स) दे दिया.......फिर उसने मेरा भी आइडी विशाल से माँगा.......विशाल फिर मेरे पास आया और मैने उसे धीरे से अपनी आइडी उसके हाथों में थमा दी........जैसे ही मॅनेजर ने उस आइडी को अपने हाथों में लिया वो मेरे आइडी को बड़े ध्यान से देखने लगा.........तभी उसने मुझे अपने पास आने का इशारा किया.....

मॅनेजर- अगर आप बुरा ना माने तो क्या मैं आपका चेहरा देख सकता हूँ.......क्यों की इस होटेल का रूल है हम ऐसे बिना किसी का चेहरा देखे इस होटेल की बुकिंग नहीं करते......मेरा दिल फिर से ज़ोरों से धड़कने लगा था......मगर मुझे उस मॅनेजर की बात तो माननी ही थी.......मैने झट से अपना दुपट्टा अपने चेहरे से हटा दिया और अगले ही पल मॅनेजर मुझे खा जाने वाली नज़रो से मुझे देखने लगा........
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RE: Incest Kahani उस प्यार की तलाश में - by sexstories - 02-28-2019, 12:11 PM

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