Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन
03-08-2019, 03:09 PM,
RE: Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली मा�...
मैं: क्यों नही वो तुम्हारी अम्मी है…

नज़ीबा: जानती हूँ कि वो मेरी अम्मी है….

मैं: तो फिर उनसे नाराज़ क्यों हो….

नज़ीबा: उसकी वजह आप जानते हो….

मैं: आख़िर कब तक ऐसा चलेगा….कितने दिन अपनी अम्मी से बात नही करोगी….

नज़ीबा: इतना कुछ हो जाने के बाद कोई मुझसे ये तवक्को कैसी रख सकता है कि, मैं उससे बात करूँ….

मैं: जो कुछ हुआ उसमे मैं भी तो शामिल था….तो क्या अब तुम मुझसे बात नही कर रही हो….

नज़ीबा: आपने जो किया मुझे उसका उतना दुख नही है….कि अपने मेरे साथ ये सब कुछ किया….पर अम्मी ने जो मेरे साथ किया…उसके बारे मैं मैने कभी खवाब मे भी नही सोचा था कि, अम्मी मेरे साथ ये सब करेंगी….

मैं: देखो नज़ीबा जो हो गया…..अब उसे भूल जाओ….और अपनी अम्मी से बात कर लो. तुम्हे पता भी है वो तुम्हारे लिए कितना पेरशान है….वो तुम्हे कितना प्यार करती है….

नज़ीबा: हूँ प्यार ,,,, वो मुझसे प्यार करती होती तो उन्होने भी मुझसे एक बार भी बात करने के कॉसिश क्यों नही की….

मैं: अगर वो तुमसे बात करने से झिझक रही हो…तो इसका मतलब ये तो नही कि वो तुम्हे चाहती नही है…

नज़ीबा: नही वो मुझसे प्यार नही करती…अब उन्हे मेरी कोई परवाह नही….मुझे पता है वो सिर्फ़ तुमसे प्यार करती है..मुझसे नही….

मैं: तुम्हारा वेहम है…..वो उस दिन जो तुमने देखा….वो एक ग़लती थी….जो हम कर बैठे….प्लीज़ भूल जाओ इसे….मैं सच कह रहा हूँ..वो मुझसे प्यार नही करती.. वो सब बस अंजाने मे हो गया….हम बहक गये थे…..तुम्हे पता नही है वो उस दिन से तुम्हारे लिए कितनी परेशान है….

नज़ीबा: आप मुझे दूध पीती बच्ची ना समझे….मुझे पता है कि वो मुझे कितना प्यार करती है….और तुम्हे कितना…जब से आप यहाँ आए हो…वो मुझे ऊपेर छत पर भी नही जाने देती थी…हमेशा कहती रहती थी कि, समीर के सामने मत जाया करो…और खुद….. नज़ीबा बोलते-2 चुप हो गयी…

.”तुम्हे ये लगता है ना कि नाज़िया को तुम्हारी फिकर नही है…वो ये सब अपने जिस्म की आग को ठंडा करने के लिए कर रही थी.. तो लो सुनो….” मैने अपना मोबाइल निकाला और नाज़िया का नंबर मिला कर उसे स्पीकर मोड पर डाला…थोड़ी देर बाद नाज़िया ने कॉल रिसीव की और नाज़िया की काँपती हुई आवाज़ आई… “जिसको सुन कर ही अंदाज़ा हो जाता कि, वो उस वक़्त कितनी फिकर मंद थी… “हेलो समीरर… क्या हुआ….तुम्हारी नज़ीबा से बात हुई….”

मैं: नही अभी तक नही हुई….अभी मैं घर की गली मे पहुँचा हूँ…..

नाज़िया: फिर किस लिए कॉल की….

मैं: यार मुझे समझ मे नही आ रहा कि, क्या करूँ….उससे कैसे बात करूँ…

नाज़िया: देखो समीर कुछ भी करो…पर नज़ीबा से बात करके उसे मना लो…. मैं अपनी बेटी के बेगैर नही रह सकती…तुम्हे नही पता उस दिन से मेरे दिल पर क्या बीत रही है…जब से उसने मुझसे बात करना छोड़ दिया है….अर्रे बात करना तो, दूर वो तो मेरी तरफ देखती भी नही….तुम्हे नही पता समीर….मेरा दिल दो फाड़ हो जाता है….जब वो मुझे इग्नोर करती है…दिल करता है…ऐसे रहने से तो अच्छा है कि मैं मर ही जाउ….”

मैं: देखो नाज़िया मैं तुमसे एक बात कहना चाहता हूँ….

नाज़िया: हां बोलो समीर….

मैं: नाज़िया मैं नज़ीबा से बहुत प्यार करता हूँ….और मैं उसके साथ निकाह करना चाहता हूँ….

नाज़िया: समीर ये कैसी बातें कर रहे हो…यहाँ पर मेरी जान पर बनी है और तुम…

मैं: हां मुझे पता है तुम पर क्या बीत रही है…पर मैं तुम्हे अपने दिल की बात बताना चाहता था… आज मैं नज़ीबा से बात करने जा रहा हूँ….

नाज़िया: ठीक है जो करना है करो….पर समीर देखना मेरी बेटी कुछ उल्टा सीधा कदम ना उठा ले….अगर उसने कुछ क्या तो मैने खुद खुशी कर लेनी है…

मैं: तुम्हे मुझ पर यकीन नही है..

नाज़िया: समीर यकीन तो है पर….

नाज़िया: समीर यहाँ मेरी जान पर बनी है…और तुम ये कैसे बाते कर रहे हो..एक बात ध्यान से सुन लो….अगर कुछ हुआ तो, उसके ज़िमेदार तुम होगे…तुम हमें अकेला छोड़ कर चले क्यों नही जाते….

मैं: तुम तो मुझस प्यार करती हो ना…फिर मुझे चले जाने को क्यों कह रही हो….

नाज़िया: हां प्यार करती हूँ….पर अपनी बेटी से ज़्यादा नही….वो मेरी जान है समीर… और अपनी बेटी की खुशी के लिए मुझे जो भी करना पड़े….मैं करूँगी…चाहे उसके लिए मुझे तुम्हे ही क्यों ना छोड़ना पड़े…मेरे लिए मेरी जिंदगी में मेरे बेटी से ज़्यादा कोई भी अहमियत नही रखता…

नाज़िया ने कॉल कट कर दी….

मैं: सुन लिया तुम्हारी अम्मी ने क्या कहा….अब उसने तुम्हारे लिए मुझे यहाँ से चले जाने तक को कह दिया….ठीक है मैं ही तुम दोनो की मुसबीत की वजह हूँ ना..तो मेरा यहाँ से चले जाना ही ठीक है….नज़ीबा मैं ना तो तुम्हे दुखी देख सकता हूँ..और ना ही तुम्हारी अम्मी को…इसलिए अच्छा यही होगा कि, मैं यहा से और तुम दोनो की लाइफ से दूर चला जाउ…अब तो खुश हो ना…तुम्हारी अम्मी की नज़र में मेरी तुम्हारे आगे कोई अहमियत नही है….वो तुमसे बेहद प्यार करती है…और तुम उसको इतना दुख दे रही हो..

मैं जैसे ही उठ कर बाहर जाने लगा तो, नज़ीबा ने मेरा हाथ पकड़ लिया…. मैने मूड कर नज़ीबा की तरफ देखा तो, वो सर झुका कर खड़ी थी….”प्लीज़ ऐसा ना कहिए…..आप बैठो…. मैं आपको कुछ दिखाती हूँ….” नज़ीबा ने मेरा हाथ छोड़ा और नाज़िया की अलमारी खोल कर उसमे कुछ ढूँढने लगी….और फिर वो मेरी तरफ मूडी और मेरे पास आकर एक फोटो मेरी तरफ बढ़ा दी…मैने जैसे ही उस फोटो को नज़ीबा के हाथ से लिया तो, ये देख कर चोंक गया कि, ये तो मेरी फोटो है…और ये नाज़िया की अलमारी मे कहाँ से आ गयी….

मैं हैरानी से कभी फोटो की तरफ देखता तो, कभी नज़ीबा की तरफ ये जानने के लिए इस फोटो का अब जो हो रहा है….उससे क्या लेना देना….. “ये फोटो अम्मी की अलमारी में कहाँ से आई….आपको पता है….”

मैने नज़ीबा की बात सुन कर ना में सर हिला दिया…

“मुझे भी नही पता…शायद गाँव से आते वक़्त अम्मी साथ ले आई थी…और एक दिन मैने अम्मी को इसी फोटो को अपनी छाती से लगा कर तड़पते हुए देखा था… और वो बार -2 एक ही बात दोहरा रही थी…..”

मैं: क्या….

नज़ीबा: आइ लव यू समीर…..

मैं नज़ीबा की बात सुन कर एक दम से चुप हो गया…अब मेरे पास कहने को कुछ भी नही बचा था….”समीर अम्मी आपसे बहुत मुहब्बत करती है…. मैने उन्हे देखा है आपके प्यार मे तड़पते हुए….अब मैं ये कैसे मान लूँ कि वो तुमसे प्यार नही करती…और उस दिन जो हुआ वो एक हादसा था….”

मैं: चलो ठीक है…मैने मान लिया कि तुम जो कह रही हो वो सच है….पर जो अभी नाज़िया ने कहा…क्या वो झूट है..उसे आज भी मेरी नही तुम्हारी ज़्यादा परवाह है…

नज़ीबा: मैं जानती हूँ….पर वो आपको भी बेहद प्यार करती है…और मुझे पता है कि, आपके यहाँ से जाने के बाद वो तड़पती रहेंगी…इसलिए प्लीज़ आप ना जाओ…

मैं: और तुम तुम मुझसे प्यार नही करती…

नज़ीबा: पर मैं अम्मी के रास्ते मे नही आना चाहती थी….

मैं: फिर तुमने आज तक मुझसे बात करनी की कॉसिश क्यों नही की….तुम मुझे प्यार करती हो या नही….

नज़ीबा: मुझे अम्मी ने आपसे दूर रहने के लिए कहा था….

मैं: अब नही कहेंगी…बोलो तुम मुझे प्यार करती हो या नही…

नज़ीबा: पता नही…मुझे कुछ समझ में नही आ आ रहा….मुझे सोचने के लिए वक़्त चाहिए…..

मैं: ठीक है सोच लो….मैं तुमको कल तक वक़्त देता हूँ….अगर तुम्हरा जवाब ना मे हुआ तो, मैने यहाँ से और तुम दोनो की जिंदगी से हमेशा -2 के लिए दूर चले जाना है…

ये कह कर मैं ऊपेर अपने रूम मे आ गया….और नाज़िया को फोन करके सारी बात डीटेल मे बता दी…..जिसे सुन कर नाज़िया को थोड़ा सकून हुआ…उसके बाद और कोई ख़ास बात ना हुई….अगले दिन जब मैने नज़ीबा से उससे अपने सवाल का जवाब माँगा तो, उसने सोचने के लिए कुछ और वक़्त माँगा…दो दिन इसी तरह गुजर गये…कुछ ख़ास बात नही हुई….नाज़िया से ये पता चला कि, अब दोनो के बीच नॉर्मल बात चीत होने लगी है…..नाज़िया ने नज़ीबा से ये भी पूछा कि, क्या वो मुझसे निकाह करना चाहती है..तो नज़ीबा ने नाज़िया को भी यही जवाब दिया कि, वो अभी तक कुछ सोच नही पाई है….

मैं रोज दिन मे कई बार नाज़िया को नज़ीबा से अपने बारे मे बात करने के लिए कहता पर नतीजा हर बार वही रहता…एक दिन हार नाज़िया ने मुझसे खीजते हुए कहा…कि मैं खुद ही क्यों नही उससे बात कर लेता…
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