Kamukta kahani हरामी साहूकार
03-19-2019, 12:19 PM,
#22
RE: Kamukta kahani हरामी साहूकार
रामलाल का नाम उसकी ज़ुबान से सुनते ही लाला की हँसी निकल गयी : "हा हा......मेरे रामलाल को तो तूने अच्छे से पहचान लिया....बहुत खूब....अब मज़ा आएगा....''

लाला ने आस पास देखा और उसे धीरे से कहा... : "चल तू अंदर गोडाउन में जा ज़रा..मेरे लिए तैयार रहियो...मैं एक मिनट में आता हूँ ..''

लाला की बात सुनते ही उसका शरीर सुन्न सा पड़ गया....
यही सुनने के लिए तो उसके कान तरस रहे थे...
वो झट्ट से दुकान के पीछे बने गोडाउन में दाखिल हो गयी...

पर अंदर जाते हुए उसे लाला की बात याद आई की लालाजी ने उसे तैयार होने के लिए क्यों कहा....
अच्छे से नहा धोकर और तैयार होकर ही तो वो वहां आई थी....

पर अचानक उसे लाला की बात की गहराई नज़र आ गयी....
और उसके चेहरे पर एक कातिलाना मुस्कान तेर गयी...

"अच्छा ...तो लाला उस तरह से तैयार होने को कह रहा था....ठीक है...हो जाती हूँ लाला के लिए तैयार ..''

और इतना कहते हुए उसने बड़ी बेबाकी से अपनी कुरती पकड़ कर उतार दी....
और कमर पर बँधा घाघरा भी खोलकर नीचे गिरा दिया....

10 सेकेंड भी नही लगे उसे नंगा होकर लाला के कहे अनुसार तैयार होने में ..
गोडाउन की बोरियो के बीच उसका कमसिन और नंगा शरीर एकदम बेपर्दा होकर अलग से दमक रहा था...



तभी उसे दुकान के शटर के बंद होने की आवाज़ आई....
यानी लाला दुकान को बंद करके अंदर ही आ रहा था...
वो झट्ट से चीनी की 3 बोरियों के उपर चड़कर घोड़ी बनकर बैठ गयी....
उसकी रसीली चूत और भरंवा गांड बाहर के दरवाजे की तरफ थी...
जो लाला के स्वागत के लिए एकदम तैयार थी..



वो तो चुदने के लिए पूरी तैयार हो चुकी थी...
पर उसे ये नही पता था की लाला के दिमाग़ में क्या चल रहा है...

उधर लाला की भी हालत खराब थी
एक तरफ तो वो अपने शातिर दिमाग़ में दोनो सहेलियो को एक साथ ही चोदने का इरादा पक्का कर चुका था और उसके अनुसार तो वो निशि को अभी के लिए टरका देना ही चाहता था...

पर उसे क्या पता था की उसने अपनी हुस्न की दुकान के सारे दरवाजे खोलकर लाला के ईमान को डगमगाने के सारे इंतज़ाम कर लिए है...

जैसे ही लाला अंदर घुसा, चीनी की बोरी पर, कुतिया बनकर अपने घुटनो और बाजू पर खड़ी निशि दिखाई दी...
और वो भी एकदम नंगी.



गोडाउन में हमेशा से सीलन की महक रहा करती थी
पर आज निशि ने जैसे इत्र की डिबिया का ढक्कन खोल दिया था अपनी चूत के रूप में
उसमें से एक नशीली सी गंध निकलकर पुर कमरे में फेली हुई थी...
असली सीलन तो निशि की चूत में आई हुई थी अब
जहां से उसका यौवन रस बूँद-2 बनकर टपक रहा था चीनी की बोरी में
और उसे और मीठा बना रहा था...
वैसे किस्मत वाला ही होगा वो जो इस चूत के रस में भीगी चीनी को लाला की दुकान से खरीद कर ले जाएगा..



लाला की तो हालत खराब हो गयी उस उत्तेजना से भरे सीन को देखकर
उन्होने भी शायद ये नही सोचा था की वो इतनी आसानी से नंगी होकर लाला से चुदने को तैयार हो जाएगी...
लाला ने अपनी आँखे बंद की और 2-3 लंबी साँसे ली ताकि वो निशि के नंगे शरीर को देखकर अपने प्लान से ना भटक जाए..

पर लाला का रामलाल धोती में विद्रोह कर बैठा और ज़ोर -2 से चिल्ला उठा ...'अबे भेंन चोद लाला....साले तेरी प्लानिंग के चक्कर में आज ये कच्ची कली हाथ से निकल जाएगी भोसड़ीके ....बदल से अपना फ़ैसला और पेल दे इस छोकरी को यही...घुसा दे मुझे इसकी संकरी चूत में और लूट लेने दे मज़ा एक सीलबंद चूत का.....

पर लाला पर तो जैसे कोई असर ही नही हो रहा था उसकी थिरकन का...
यही फ़र्क होता है जब एक इंसान के पास सैक्स का इतना एक्सपीरियेन्स हो जाता है की वो अपने आप पर ऐसे मौके पर भी संयम रख सकता है.

उसने अपने रामलला का गला धोती में ही घोंट दिया और मुस्कुराते हुए अंदर घुस आया...

लाला : "अर्रे वाह....अब पता चल रहा है की मेरे खिलाये सारे क्रीम रोल तेरे किन-2 अंगो पर जाकर लगे है...''

इतना कहते हुए लाला ने आगे बढ़कर उसकी गांड के तरबूज ज़ोर से दबा दिए..

निशि बेचारी सीसीया उठी...
वैसे ही उसकी चूत का बुरा हाल था
लाला के कठोर पंजे जब उसकी गांड पर लगे तो वो और भी ज़्यादा पनिया उठी..

लाला ने उस बकरी बनी निशि के नंगे शरीर को गोर से देखा...
आज तक उसने जितनी भी चूते चोदी थी उनमे से सबसे कम उम्र की थी ये जो उसके सामने नंगी खड़ी थी...
और ऐसी उम्र में कम उम्र की लड़कियां ही पसंद आती है.

लाला का मन तो बेईमान हो रहा था पर अपने अंदर जो एकबार उसने निश्चय कर ही लिया था की चुदाई नही करनी मतलब नही करनी..

पर रामलाल के बार -2 उकसाने पर उसने ये ज़रूर तय कर लिया की उपर-2 से तो कुछ मज़े ले ही सकता है...
वैसे भी कल रात से ही उसे निशि की चूत को चूसने का मन कर रहा था
और अब तो वो उसके सामने पूरी नंगी थी
उपर से उसकी लिष्कारे मार रही चिकनी चूत से निकल रहे शहद ने उसकी प्यास और बड़ा दी थी...

साथ ही साथ उसे निशि के अनार की तरह लटके नन्हे चुचे भी काफ़ी ललचा रहे थे....
नीचे लटके होने की वजह से वो अपने पूरे आकार में आ चुके थे...
लाला को आज ही आभास हुआ की वो इतने छोटे भी नही है जीतने आज तक वो सोचा करता था...



इसलिए सबसे पहले तो उसने उन चुचियो के नीचे हाथ लगाकर उनका वजन नापा और फिर अपने कड़क हाथो में लेकर उसकी दोनो बूबिया ज़ोर से मसल दी..

''आआआआआआआआआआआआहह..सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स....... दर्द होता है लालाजी....''

लाला ने मन में सोचा 'अब तो ये कहने की आदत तू डाल ही ले भेंन की लौड़ी ...क्योंकि लाला जब भी कुछ करता है तो सामने वाला यही कहता है की दर्द होता है लालाजी...'

और उसने निशि की बात अनसुनी करते हुए अपने हमले जारी रखे...
एक हाथ को वो पीछे की तरफ ले गया और उसकी मांसल गांड को भींचने लगा...
उसे आटे की तरह गूंधने लगा...
और फिर भी उसका दिल नही भरा तो उसने अपनी बीच वाली उंगली उसकी रसीली चूत में पेल दी...

ये तो निशि के लिए किसी लंड से कम नही थी....
आज तक इतनी मोटी चीज़ उसकी चूत में नही गयी थी....
सिवाए पिंकी की जीभ को छोड़कर...
पर वो भी काफ़ी मुलायम थी...
ये लाला तो पता नही किस जन्म का बदला ले रहा था उसके साथ जो इतने रॅफ तरीके से उसके नंगे बदन के साथ खेल रहा था..

एक हाथ से मुम्मे दबाता हुआ, दूसरे हाथ से उसकी चूत और गांड की मालिश करता हुआ लाला अपने लंड को उसके नंगे पेट से रगड़ भी रहा था...

निशि ने थोड़ा तिरछा होकर लाला के लंड को धोती से बाहर खींच लिया और ऐसा करते ही उसका गर्म सलाख जैसा लंड उसके जिस्म से टकरा गया...

निशि को तो ऐसा फील हुआ जैसे वो गर्म लंड उसके शरीर से अपने आप को वेलडिंग कर रहा है....
एक बार् चिपका तो अलग होने का नाम ही नही ले रहा था...

पर जो भी था, अपने जिस्म के साथ लाला का ये बर्ताव भी निशि को अलग ही मज़ा दे रहा था....

उसने तो अपने आप को लाला के सहारे छोड़ दिया था
अब वो उसके साथ कुछ भी कर ले
वो मना करने वाली नही थी...

लाला ने नीचे झुकते हुए उसकी नंगी पीठ को चूम लिया....
वहां पर आए पसीने को उसने जब अपनी जीभ से चाटा तो निशि का नंगा शरीर काँप उठा और वो थरथराती हुई सी चीनी की बोरी पर पेट के बल आ गिरी...

बेचारी से साँस भी नही ली जा रही थी इस वक़्त...
लाला के हाथ उसके चिकने शरीर पर उपर से नीचे तक फिसल रहे थे...
उसकी खुरदूरी जीभ जब उसकी पीठ से होती हुई, उसकी गांड तक पहुँची तो उसके शरीर के सारे रोँये खड़े हो गये... लाला ने उसकी गांड को अच्छे से चाटा, उसे मुँह में भरकर काटा भी और अंत में जब उसने अपनी जीभ की नोक उसकी गांड के छेद पर लगाई तो वो भरभराकर झड़ गयी....



''आआआआआआआआआआआहह लाला.आआआआआआआआआ..... ये क्या कर दिया रे.......अहह....''

लाला ने भी जब देखा की उसके शहद का छत्ता फुट गया है तो उसने अपना मुँह थोड़ा और नीचे कर दिया और उसकी चूत पर होंठ लगाकर उस कीमती शहद को चाटने लगा...

इस वक़्त उसकी जीभ किसी गली के कुत्ते की तरह चपड़ -2 चल रही थी को कई दिनों बाद मिले इस मलाईदार माल की एक भी बूँद वेस्ट नही करना चाहता था.

लाला को जब उसकी चूत के पानी का स्वाद पता चला तो वो और भी ज़्यादा ज़ोर लगाकर उसे खोद-खोदकर निकालने लगा...



गाँव की कच्ची जवानी का खट्टा मीठा पानी मिलना हर किसी की किस्मत में नही होता...
यहाँ तो लाला के पास एक के बाद दूसरी भी तैयार थी...
और आज लाला निशि के साथ भी ये सब इसलिए कर रहा था ताकि वो अपनी आपबीती सुनाकर जल्द से जल्द अपनी सहेली को भी अपने साथ ले आए...
और फिर लाला का असली काम शुरू होना था, चुदाई का..

पर अभी के लिए, लाला की करामाती जीभ को अपनी चूत के दाने पर महसूस करके बेचारी निशि का ऑर्गॅज़म एक बार फिर से नया आशियाना बनाने लगा...
लाला खिसककर उसकी चूत के नीचे लेट गया, अपनी पीठ के बल, चीनी की बोरी पर और उसने निशि की चूत को पकड़कर अपने मुँह पर रख लिया और उसकी कसी हुई गांड को पानी भरे गुब्बारे की तरह दबाता हुआ, उसकी चूत को खाने लगा...



और वो बेचारी
अपनी चीखो को सांतवे आसमान पर पहुँचाती हुई
उसके मुँह की सवारी करके
खुद भी सांतवे आसमान पर जा पहुँची....

और उपर पहुँचकर एक जोरदार चीत्कार के साथ जब उसने अपनी चूत का पानी छोड़ा तो लाला को ऐसा प्रतीत हुआ जैसे उसके चेहरे पर कोई पर्वती बादल फट गया है....
इतने वेग के साथ अंदर का माल निकलकर उसके चेहरे पर बिखरा जैसे तेज प्रेशर के साथ कोई पेशाब कर देता है...

''आआआआआआआआआअहह लाला......... कमाल हो तुम ......उम्म्म्ममममममममम.......... मज़ा आ रहा है.......अहह......अंदर से कुछ हो रहा है.....लाला................अहह......मैं तो गयी....अब........गयी ........अहह''



इतना कहते हुए उसके शरीर ने उसका साथ छोड़ दिया और वो लाला के चेहरे पर ही लूड़क गयी...

एकदम नंगी...
गीली सी...
अपने ही रस में नहाई हुई...
बेसूध सी..
पड़ी थी वो अब, उसी बोरी पर.



लाला का मन तो कर रहा था की उसकी चूत में लंड पेलकर उसे इस नींद से उठा दे और एक बार फिर से इस गोडाउन की दीवारों को एक नया संगीत सुनाए...

पर जैसा की उसने डिसाईड कर लिया था...
अभी के लिए इतना ही बहुत था..

इसलिए,अपने चेहरे ओ एक टावल से सॉफ करके और अपना कुरता बदलकर जब वो वापिस आया तो निशि को उसी हालत में बेसुध सी पाया..

और जैसे ही वो निशि को उसकी मस्ती भरी नींद से जगाने के लिए आगे बड़ा, बाहर से पिंकी की आवाज़ आई..

''लालाजी........ओ लालाजी......अंदर ही हो क्या.....''

पिंकी की आवाज़ सुनते ही लाला की फट्ट कर हाथ में आ गयी..

अंदर उसकी सहेली नंगी पड़ी थी,
भले ही उसे चोदा नही था उसने पर उसकी हालत देखकर तो यही लग रहा था की अच्छे से चुदाई हुई है उसकी...

ऐसे में उसकी सहेली ने उसे यहां देख लिया तो मुसीबत आ जाएगी, क्योंकि निशि भी उसे बिना बताए ही यहाँ आई थी...

ऐसे में लाला को दोनो को मेनेज करना काफ़ी मुश्किल भरा काम होने वाला था.
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RE: Kamukta kahani हरामी साहूकार - by sexstories - 03-19-2019, 12:19 PM

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