Kamukta kahani हरामी साहूकार
03-19-2019, 12:21 PM,
#41
RE: Kamukta kahani हरामी साहूकार
सच ही था....
लाला के रामलाल को देखकर जान देने का ही मन कर रहा था...
या तो उसे अंदर ले लो वरना ऐसे जीने का क्या फ़ायदा ।

लाला ने उनकी आँखो मे छिपी प्यास देखी तो फुसफुसा कर बोला : "अब ये रोज-2 के छोटे-मोटे खेल बहुत हो गये...असली खेल खेलोगे, तभी मज़ा मिलेगा...और तब तुम्हे पता चलेगा की रामलाल कैसे मज़े देता है...''

चाहती तो वो दोनो भी यही थी...
पर जैसा की उन तीनो ने डिसाईड किया था, अभी तो उसी के हिसाब से चलने का समय था...
क्योंकि उन्हे भी पता था की जितनी ज़रूरत उन तीनो को लाला की है, उतनी ही ज़रूरत लाला को उनकी भी है..

और अभी तो लाला को इस बात का भी पता नही था की नाज़िया भी उनके साथ मिल गयी है...

इधर लाला उन्हे रामलाल के गुण गिनवा रहा था, उधर से नाज़िया उसकी दुकान पर आती दिख गयी..

लाला के चेहरे पर परेशानी के भाव आ गये...
वैसे तो उसे किसी का डर नही था, पर अभी तक जो बात छुपी हुई थी,उसी में फायदा दिख रहा था लाला को...
क्योंकि वो भी जानता था की एक लड़की सब कुछ बर्दाश्त कर सकती है, पर अपनी चूत में जाने वाले लंड का बँटवारा नही..

यही वजह थी की लाला ने पिंकी और निशि को अलग-2 करके पटाया...
ये अलग बात थी की अब दोनो मिलकर उसके सामने खड़ी थी...
और लाला भी जानता था की उन दोनो को अलग रखना मुश्किल काम है...
इसलिए खुद ही अपनी धोती का पर्दाफाश करके उसने बेशर्मी से दोनो को एक ही बार में वो फिल्म दिखा दी जो आजतक एक साथ नही दिखा पाया था दोनो को..

पर नाज़िया के आ जाने के बाद उसके खेल में मुश्किल आ सकती थी...
क्योंकि इन दोनो सहेलियो की बात अलग थी और नाज़िया की अलग..

वो ये सब सोच ही रहा था की नाज़िया लाला के सामने आकर खड़ी हो गयी...



लाला ने झट्ट से धोती नीचे कर दी..
पर उसकी धोती में तंबू बनकर अड़ियल टट्टू की तरह खड़ा ही रहा वो हरामी रामलाल..

उन तीनो ने एक दूसरे को देखकर स्माइल पास की
पर लाला का चेहरा देखने लायक था...
जैसे अंदर ही अंदर उन तीनो के सामने खड़े होने की टाइमिंग को समझने की कोशिश कर रहा हो.

लाला की ये उलझन पिंकी ने आसान कर दी..

वो बोली : "लालाजी...आप घबराओ मत...ये भी अब हमारी दोस्त बन गयी है...इसलिए जो भी होगा, हम एक साथ करेंगे...''

लाला तो ये बात सुनकर भोचक्का रह गया...
कहां तो वो दोनो को एक साथ चोदने की बात सोचकर खुश हो रहा था,
और कहा ये एकदम से छप्पर फाड़कर नाज़िया भी उन्ही के साथ मिल गयी और चुदने को तैयार हो गयी...
3 कुँवारी चुतों के ग्रूप के साथ मज़े लेने वाला लाला शायद पहला इंसान था..
उसे तो खुली आँखों से ही तीनो के नंगे जिस्म सामने खड़े दिखाई देने लगे.



अब तो सभी के पत्ते खुल चुके थे...
सारे पर्दे गिर चुके थे और सभी की झिझक भी दूर हो गयी थी...

इसलिए लाला ने फिर से उतनी ही बेशर्मी से अपनी धोती को उपर उठाया और रामलाल के दर्शन तीनो को एक साथ करवा दिए..

एक बार फिर से पिंकी और निशि की साँसे रुकने जैसी हो गयी...
और इस बार नाज़िया भी उनके साथ थी...
उसका भी वही हाल था..

नाज़िया ने तो अपना चेहरा घुमा कर दूसरी तरफ ही कर लिया...

पिंकी : "नाज़िया, ऐसे शरमाने से तेरा ही घाटा है...क्योंकि लाला से अभी यही बात चल रही थी की आगे बढ़ना होगा ताकि असली मज़े मिल सके...''

असली मज़े यानी लंड का चूत से मिलन...
इस बात ने नाज़िया को अंदर तक गुदगुदा कर रख दिया.

उसने शरमाते हुए वापिस रामलाल को देखा...
और इस बार वो देखती ही रह गयी...
नज़ारा ही इतना सैक्सी था ...
रामलाल का चेहरा अपने ही अंदर से निकले पानी में भीगकर दमक रहा था...
मन तो कर रहा था की अभी काउंटर फांदकर अंदर जाए और उसे चूस डाले..

पर तब तक एक कस्टमर आ गया...
और लाला ने धोती नीचे करके उसका सौदा निपटना शुरू कर दिया..

इसी बीच पिंकी उन दोनो को लेकर एक कोने में जाकर बातें करने लगी..

पिंकी : "भई देखो, लाला ने तो अपने इरादे सॉफ कर दिए है...और शायद अंदर ही अंदर हम सभी भी शायद इसी का इंतजार कर रहे है की कब लाला अपने लंड से हमे जन्नत का एहसास करवाए...''

बाकी दोनो ने हाँ में सिर हिलाया..

पिंकी : "पर मुझे लगता है की उससे पहले हमे थोड़े मज़े और लेने चाहिए लाला से...क्योंकि बाद में तो ये सिर्फ एक ही तरह के मजे मिलेंगे....''

निशि और नाज़िया उसकी बात सुनकर कन्फ्यूज़ से हो गये...

निशि : "मैं समझी नही कुछ....इतने मज़े तो ले चुके है लाला से...अब और कौन से लेने बाकी है...''

पिंकी : "वो तो हमने अलग-2 लिए ना...एक साथ तो नही...हमे पहले लाला के साथ एक साथ मज़े लेने है...यानी चुदाई को छोड़कर सब कुछ...ताकि हम तीनो भी एक दूसरे के सामने खुल जाए और अगली बार जब चुदाई हो तो एक दूसरे का साथ अच्छे से दे सके..''

पिंकी की ये बात नाज़िया को सबसे ज़्यादा पसंद आई...
क्योंकि वही अभी तक अपने आपको असहज महसूस कर रही थी....
ऐसे एक दम से वो कैसे अपने आप को चुदाई के लिए पेश कर दे..
और वो भी उन दोनों के सामने । 

पहले उसकी वो झिझक मिटना भी ज़रूरी थी
जो पिंकी और निशि को देखकर उसे आ रही थी.

इसी बीच लाला भी फ्री हो गया और उन्हे पास बुला कर बोला : "तुम तीनो छोरियां वहां क्या ख़ुसर-फुसर कर रही हो...यहाँ लाला और उसका रामलाल खड़े है तुम्हारी हाँ सुनने के लिए...ताकि कोई अच्छा सा महुरत देखकर कार्यकर्म शुरू किया जा सके...''

लाला का बस चलता तो अभी के अभी तीनो को अंदर लेजाकर अपनी चीनी की बोरियो पर फेला कर लिटा देता और एक-एक करके तीनो की चूत में अपने लंड की गोलियां दाग देता..

पर शाम का वक़्त था
और दुकान पर ग्राहक आते ही रहते थे....
वैसे तो लाला ने कभी भी दुकानदारी को तवज्जु नही दी थी चूत के सामने...
पर उसके लिए लड़कियो की रजामंदी भी ज़रूरी थी ना..

पिंकी, जो अभी तक सब कुछ डिसाईड कर ही चुकी थी, वो बोली : "लालाजी ..यहाँ ये सब करना सही नही होगा...हमारी पहचान का कोई भी यहाँ आ सकता है...आप एक काम करो..अपना काम निपटा कर वही आ जाना...झरने के पास...हम वही मिलते है..''

इतना कहकर बिना कोई और बात किए वो तीनो वहां से निकल गयी...

लाला बेचारा उन्हे जाता हुआ देखकर बुदबुदाता रह गया : "अरे, बता तो देती, सभी आज ही चुदोगी या एक एक करके .... ''

वैसे लाला तो ऐसे बातें कर रहा था जैसे सुपरमैन हो, ऐसी उम्र में एक कुंवारी लड़की ने ही उसे दिन में तारे दिखा देने थे, तीनो एकसाथ आयी तो पता नहीं क्या होगा, पर जो भी था, लाला को एक बार ट्रायी जरूर करना था ।

झरने के पास पहुंकते-2 चार बज गये....
वैसे भी इस तरफ कोई आता नही था...और आये भी तो दूर से देखा भी जा सकता था, क्योंकि ये इलाका थोड़ी ऊंचाई पर था. इसलिए वहां खुलकर कुछ भी किया जा सकता था.

और पिंकी तो हमेशा से ही नेचर की दीवानी रही है....
उसका बस चले तो अपनी पहली और हर चुदाई भी वो इस तरह जंगल में , झरने में ..पहाड़ो में ही करवाए...
एक अलग ही तरह का रोमांच महसूस करती थी वो ऐसी जगहों में आकर.

झरने से गिरते पानी को देखते ही उसके अंदर का जंगलिपन फिर से बाहर आ गया और उसने आनन फानन में अपने सारे कपड़े निकाले और नंगी हो ली..



निशि के लिए तो ये आम बात थी पर नाज़िया उसे ऐसी हरकत करते देखकर हैरान रह गयी...
की कैसे एक जवान लड़की बिना किसी शर्म के अपने कपड़े उतार कर ऐसी जगह पर नंगी हो सकती है...

पर फिर उसे उसका ये करना अंदर ही अंदर अच्छा भी लगा...

लड़कियो को ऐसा ही होना चाहिए...
बिना डर के जीने की आज़ादी होनी चाहिए...
जो मन में आए वो कर देना चाहिए...
अपने अरमानो को कभी दबा कर नही रखना चाहिए...
पिंकी की देखा देखी निशि ने भी अपने कपड़े उतारे और पिंकी के साथ जाकर खड़ी हो गयी....
दोनो के नंगे शरीर देखकर नाज़िया को कुछ-2 हो रहा था.



पिंकी : "अरे नाज़िया, मैने कहा था ना,हमारे ग्रूप में रहना है तो ये शर्म-हया पीछे छोड़नी पड़ेगी...''

लाला के सामने तो उसे नंगा होने मे ज़्यादा टाइम नही लगा था...
पर इन दोनो के सामने वो सकुचा रही थी..

निशि : "रहने दे तू...अभी लाला आएगा ना , वही इसका चीरहरण करेगा अच्छे से...''

पिंकी ने फुसफुसा कर उसे कहा : "लाला तो जब आएगा , तब आएगा, उससे पहले तो मुझे इससे थोड़े मज़े लेने है...''

निशि तो शुरू से ही जानती थी की पिंकी का दिल आया हुआ है उस मुसलमाननी पर...
जब तक वो उसकी कुँवारी चूत नही चूस लेगी, उसे चैन नही मिलने वाला था..

और उसे अपने खेल में शामिल करने के लिए पिंकी के पास एक बहुत अच्छा प्लान था.

पिंकी नाज़िया के करीब गयी और अपने हाथ से उसके गालो को सहलाने लगी...

एक लड़की से मिल रहा इस तरह का स्पर्श उसे अंदर तक सुलगा रहा था..
हालाँकि उसने कभी इस तरह से मिलने वाले मज़े के बारे में नही सोचा था..
पर पिंकी का हाथ लगने मात्र से ही वो समझ गयी की ये इतना भी बुरा नही होने वाला.

और उपर से पिंकी के नंगे जिस्म को इतने करीब से देखकर उसे भी कुछ-2 हो रहा था...
भले ही आज से पहले ऐसा कुछ नही किया था पर आज ना जाने क्यो उसे उसके नंगे बूब्स को देखकर उन्हे चूसने का मन कर रहा था..



पिंकी की नज़रें जब उसकी नज़रो का पीछा करते हुए अपने बूब्स तक गयी तो वो मुस्कुरा दी और बोली : "अच्छे लग रहे है ना....?''

उसने बड़ी ही मासूमियत से हाँ में सिर हिला दिया..

पिंकी : "तुम्हे पता है...इन्हे जब होंठों और दांतो की मदद से चूसा जाता है तो इनमे से मीठा पानी निकलता है...और जिसका निकलता है उसे भी बहुत मज़ा मिलता है..और जो पीता है उसे भी...''

पिंकी की ये जानकारी ने उसकी चूत में खलबली सी मचा कर रख दी...

वो फुसफुसती हुई सी आवाज़ में बोली : "प..प...पर...ये तो....ये तो....जब ..कोई मर्द करे....तब अच्छा लगता है ना...''

अपनी छातियो को लाला से नुचवाने के बाद ये बात तो उसे भी पता थी की उन्हे चुसवाने में काफ़ी मज़ा मिलता है...
पर एक लड़की को दूसरी लड़की के मुम्मे चूसने में भी वही मज़ा मिलता है, ये बात शायद उसे हजम नही हो रही थी..
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RE: Kamukta kahani हरामी साहूकार - by sexstories - 03-19-2019, 12:21 PM

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