RE: mastram kahani प्यार - ( गम या खुशी )
अपडेट -21
हम यूँ ही बातें करते रहे कि तभी फ़ोन की घंटी बजी , कॉल अननोन था ।
परिधि ने समय देखा फिर न जाने उसे क्या सूझी बड़ी मिन्नत के साथ.... प्लीज स्पीकर ऑन करके बात कीजिए ना ।
मैंने स्पीकर ऑन करके... हेल्लो । दूसरी तरफ एक दम सन्नाटा था कोई आवाज नहीं ।
अचानक मेरा हँसता चेहरा उतर गया । पता नहीं क्या हुआ उस समय मेरी आँखों में आंसू आ गए ।
मैं कंपते होठों से... हेल्लो रूही । अब भी कोई आवाज नही दूसरी ओर से ।
लेकिन मैं अब भी रूही की बढ़ी दिल की धड़कन सुन सकता था , मैं महसूस कर सकता था रूही का बैचैन मन , उसका उदास चेहरा, उसकी साँसे ।
मैं थोड़ी देर रुही को यूं ही महसूस करता रहा फिर फ़ोन रख दिया ।
.
मेरा दिल अंदर से बेचैन हो गया था रूही को उदास देख कर । मैंने अपने आप को थोड़ा नार्मल किया परिधि को गुड़ नाईट बोल कर अपने कमरे में चला गया । मेरी ऐसी हालत देख परिधि भी कुछ नहीं बोली । कमरे में आते ही मैंने मेडिसिन ली जिसमे नींद की गोली भी थी ।
अगले दिन....
सुबह मेरी नींद थोड़ी देर से खुली । पहले से अब बॉडी काफी ठीक लग रही थी । पर रह रह कर मुझे रूही की याद आ रही थी , कुछ देर बाद रंजना आंटी ( परिधि की माँ ) खुद चाय लेकर मेरे पास आई । हमने एक दुसरे को गुड़ मोर्निंग विश किया फिर इधर उधर की बातें करने लगे ।
अभी सुबह के 9 बज रहे थे । चाय के बाद मैं फ्रेश होने चला गया । मैं जब नहा कर बाहर आया तो परिधि मेरे बिस्तर पर बैठी थी । मैने जब अपनी हालात देखी तो जल्दी से फिर बाथरूम में चला गया क्योंकि उस वक्त में केवल टॉवल में था । अब मैं रात वाले कपड़े ही पहन कर बाहर आ गया । परिधि का फिर वही रिएक्शन मुझे देखा और हल्की सी स्माइल बदले में मैने भी उसे स्माइल दिया ।
परिधि ने फिर मुझे जल्दी से तैयार होकर हॉल में आने को कह कर चली गई । जब वो गई तो मैंने बिस्तर पर देखा वहाँ कुछ पैकेट रखा था । मैंने उनपर न ध्यान देते हुए अपने नार्मल ऑउटफिट मैं हॉल मैं आया ।
हॉल में सब मेरा नाश्ते पर इंतजार कर रहे थे पर परिधि वहां नहीं थी । सब लोगो को मैंने गुड़ मोर्निंग विश किया और नास्ता करने बैठ गया । टेबल पर मेरी बात सबसे होती रही मोहित अंकल मुझसे मेरे और मेरी फैमिली के बारे में पूछ रहे थे । वहीं लाल अपने और अपने स्कूल के बारे में बता रहा था और आंटी की दिलचस्पी मेरी उन पहली वाली बातों में थी जो उन्होंने मुझसे पहले दिन सुना था । खैर में उन बातों को जहाँ तक हो सके टालता रहा पर आखिर में मुझे बताना पड़ा ।
अब उनको समझ में आ चुकी थीं बात , की क्यों मैं ऐसे बोल रहा था । हम फिरसे आपस मे बात करते रहे फिर एक एक करके सब लोग चले गए । और मैं अकेला बैठा परिधि के इंतजार मैं । कुछ देर यूँ ही बैठने के बाद परिधि भी वहाँ आई ।
पहली बार परिधि को मैं ध्यान से देख रहा था । परिधि इंडियन ऑउटफिट मैं साड़ी पहने हुए थी । पिंक कलर की साड़ी , साड़ी से मैचिंग ब्लाऊज़ , लो वेस्ट से पहने हुए जिसमें जिसमें उसके सुड़ौल बदन खिलकर निखर रहा था । चेहरे पर एक अलग ही तेज ,माथे पर काली बिंदी , कान में झुमके, बाल खुले, होठों पर लिपिस्टिक उसकी सुंदरता देखते ही बनती थी ।
परिधि अब तक मेरे पास पहुंच चुकी थी और मुझे इस तरह निहारते देख शर्म से उसका चेहरा लाल हो गया था । अब मुझसे रहा ना गया और बोला... इसस आपका यह शर्माना क्या कातिल अदा है ।
मेरी बात सुनकर हम दोनों हँसने लगे । अब परिधि बोली... संगत का असर है आप भी बोलना सिख गए ।
लेकिन परिधि मुझे टोकते हुए.... यह आपने क्या पहना है ।
मैं.... क्यों क्या हुआ अच्छा नहीं है ।
परिधि.... मैंने कब कहा बुरा है , पर आपके बिस्तर पर मैंने आपके लिए ड्रेस रखा है , प्लीज उसे पहन लीजिए ।
अब मैंने पूछा... प्लान क्या है ।
परिधि... कोई बात नहीं अभी पहले ड्रेस बदल लीजिए ।
मैं कमरे में गया वहाँ वो पैकेट उठाया उसमे काले रंग का सूट था । सूट के साथ टाई , टाई पिन, वाइट शर्ट, और एक खूबसूरत वॉच थी । देखने से काफी महँगी लग रही थी । मैं उसे पहन कर हॉल में आ गया , अभी परिधि खड़े खड़े नास्ता कर रही थीं । जब परिधि ने मुझे देखा तो वो भी बस मुझे देखती ही रह गई तबतक रंजना आंटी भी हॉल में आ गई ।
अपनी बेटी को इस तरह देख आंटी बोली..... अब रहने दे बेटा ऐसे देखेगी तो प्यार हो जाएगा ।
अपनी माँ के इस तरह के व्यंग पर परिधि का चेहरा फिर शर्म से लाल हो गया और अपना सर माँ के सीने से लागते हुए.... " माँ आप भी न कुछ भी बोलती हो वैसे भी आप चिंता मत करो मैं इतनी जल्दी आपको छोड़कर नहीं जाने वाली "
|