mastram kahani प्यार - ( गम या खुशी )
03-21-2019, 12:20 PM,
#31
RE: mastram kahani प्यार - ( गम या खुशी )
अपडेट - 29 


अरे यार यह फ़ोन भी अभी कट होना था । मैं यह सब सोच ही रहा था एक बार फिर वो गेट खुला और अब मैं वहाँ सबको जानता था सिवाय उस लड़के को छोड़कर..


यहाँ मैं सबको देखकर हैरान हो रहा था वहीं सब के सब हँस रहे थे । गेट पर मेरी मासी... निर्मला वर्मा , साथ मे उनकी बड़ी बेटी गुंजन ( 24 ) , बेटा नीरज ( 22 ) और छोटी बेटी सुनैना ( 19 ) और वही लड़का जो पहले गेट खोला था । 


मैं सबको देख कर अंदर से चिढ़ गया.... 

" बहुत अच्छा , मैं परेशान हो गया और तुम हँस रहे हो मैं अब नहीं रूकने वाला यहाँ " 

तभी गुंजन दी बोली... " बेटू नाराज क्यों हो रहा है वो हाँथ में जो पैकेट है अगर हमारे लिए है तो देकर चले जाना " ।

अब तो जैसे मुझे अंदर से ऐसे फील हुआ कि क्या बताऊँ इतना चिढ़ गया कि पूरे गिफ्ट के पैकेट को वहीं दरवाजे पर फेंक दिया और वापस मुड़ गया जाने के लिए । 


तभी नीरज भैया ने मेरा हाथ पकड़ा और बोल पड़े....

" क्या तू यह इतना attitude क्यों दिखा रहा है , मतलव अब हम तुमसे मजाक भी नहीं कर सकते । इतनी गर्मी क्यों दिखा रहा है " ।


इधर भैया की डांट पड़ी उधर मेरी अक्ल ठिकाने आई । मैंने फिर अपनी हरकत के लिए सबसे माफी मांगी । 


मासी... अब हो गया ना सब लोग गेट पर क्या कर रहे हो, राहुल चल बेटा तू अंदर चल । इतना बोलकर मासी मुझे अंदर ले आई और पीछे सभी लोग भी आए ।



मासी ने मुझे खाने का पूछा तो मैंने मना कर दिया फिर हम सब भाई बहन बैठ गए एक साथ एक फैमिली मीटिंग के लिए , और फिर शुरू हुआ हमारी बात चीत का सिलसिला । 


सबसे पहले मैंने उस लड़के के बारे में पूछा तो पता चला कि वो उनके बुआ का बेटा सन्नी है जो एग्जाम के बाद दिल्ली घूमने आया है । बाद में मैंने यह जानकारी भी ली कि मेरे सरप्राइज में आग किसने लगाई तो पता चला दिया थी । उसके बाद हमलोग घंटो बातें करते रहे । 


उनलोगों को फिर ट्रैन और दिल्ली की सारी घटनाएं बताई ( झूठी कहानी ) की कैसे मैं बेहोश हुआ, लगातार बेहोश रहा , फिर 2 दिन चौहान फैमिली के साथ रहा । पर ना तो उनलोगों ने यह जानने की कोशिश की कौन चौहान फैमिली और ना ही मैं कोई डिटेल में गया ।


कार के बारे मे जानकर सब बहुत खुश हुए और शाम को घुमने का प्रोग्राम भी बना पर मैंने सबको इस बात के लिए मना किया कि कार के बारे मे घर पर किसी को ना बताए क्योंकि मैं उन्हें सरप्राइज देना चाहता था । पर ना जाने क्यों अब मेरी इस बात पर हँस रहे थे, खैर....


फिर मैंने जिसके लिए जो जो गिफ्ट लिया था सबको दे दिया लेकिन वो छोटा सन्नी उसके बारे में मुझे मालूम ही नहीं था , और उसे देख कर ऐसा लग रहा था कि वो कुछ सोच रहा हो कि " सबको कुछ ना कुछ मिला पर मुझे नहीं " । फिर मुझे कुछ ख्याल आया और मैंने ऋषभ के लिए एक रे वैन का चश्मा लिया था वो मैंने सन्नी को दे दिया । 


गिफ्ट पाकर सब लोग खुश नजर आ रहे थे वो अलग बात थी कि वहाँ मैं सबसे छोटा था ( मासी की फैमिली मे ) और फॉर्मेलिटी के लिए सब बोल रहे थे कि इसकी क्या जरूरत थी । पर गुंजन दी मुझे काफी मायूस दिखी ।


मैंने उनके पीछे से गले लगते हुए.... क्या हुआ गुंजन दीदी को गिफ्ट पसंद नही आया क्या ? 


गुंजन.... क्या राहुल अब मैं यह जीन्स और टॉप लेकर क्या करूँगी यह मेरे किस काम के ? 


मैं बड़े आश्चर्य से.... क्यों दीदी आओ यही परिधान पसंद करती थी ना ? 

गुंजन... वो करती थी अब नहीं ।

मैं... क्यों ऐसा क्या हो गया ।


गुंजन.... मेरे भाई तू इस दुनिया में है ना ।


मैं... ( अब चिढ़ते हुए ) दीदी ऐसे पहेलियों में बताओगी तो बात कहाँ से समझ आयेगी ।



आब गुंजन दीदी थोड़ी नाराजगी दीखते हुए...


2 दिन बाद मेरा इंगेजमेंट है और तुझे पता भी नहीं है। अब ये भी मत कहना की कल मौसी, दिया , सिमरन और मौसा जी आ रहे है और तुझे पता भी नहीं ।


"भगवान ये चल क्या रहा है, गुंजन दी का इंगेजमेंट और मुझे पता नहीं जबकि मासी से लगातार टच मैं हूं। घर से सब आ रहे है मुझे पता नहीं, जबकि घर रोज बात हो रही है। कंही परिधि का भूत तो सवार नहीं सब पर जो सब मिलकर मुझे मामू बना रह। हो भी सकता है या गुंजन दीदी की बात सच भी हो सकती है क्योंकि दिया ने भी तो लंहगे की डिमांड की थि"
आब जो भी हो सच तो पता करना ही था और वो पापा को फ़ोन करने से पता चल जाएग।


अब मैं...

"मेरी प्यारी गुंजन दीदी मुझे मांफ कर दो । आप को तो पता ही है आप के दिलवालों की नगरी मैं मेरा कैसा स्वागत हुआ और उस से पहले मेरे दोस्त के साथ घटना (फ्रेंड डाई एक और झूठ) मैं कुछ न जान पाया"


"दीदी अब माफ भी कर दो या उठक बैठक करु "


गंजन दीदी हँसते हुए..... हाँ हाँ बस बस अब मस्का मत मर ये बता की मैं इस जीन्स टॉप का क्या करु ।


मैं....
"बस इतना ही मैंने गलती की है तो अब आपकी इंगेजमेंट की ड्रेस मैं दिलवाउंगा वो भी अभी " 


अब मासी से रहा न गया और बोल पाडी....

"गुंजन मुझे बिलकुल भी अच्छा नहीं लग रहा, सुन तुझे शर्म नहीं आती वो तेरे से इतना छोटा है एक तो अपने पॉकेट मनी से सब के लिए गिफ्ट लाया है और तू डिमांड कर रही है। या तो तेरा दिमाग खराब है या तुझे लालच ने घेर लिया है"।



ओह ऐसे कटाक्ष भरे शब्द अब भला बिना फैमिली ड्रामा हुए, बिना रुठना मनना हुए थोड़े ही न खत्म हो सकता था और तो और सेंटर पॉइंट भी कौन तो मैं ही।


हा हा हा हा(मन मैं ऐसे ही हँसते हुए) जंहा देखो आज कल मैं ही सेंटर पॉइंट बन जाता हूँ ।


खैर 4 : 30 के आस पास सारा मामला सेटल हुआ, रोना और रुठना सब शान्त त। गुंजन दीदी को मैंने तैयार होने को बोलै पर अब वो कान्हा मानने वाली थि, लेकिन मुझे ये बिलकुल अच्छा नहीं लग रहा था की मेरी वजह से दीदी को इतना सुन न पड़ा वो भी उनकी जिंदगी के सबसे सुनहरे पलों में।


मै उठ कर बाहर आया और मैंने माँ से बात की , सबसे पहले तो इंगेजमेंट के बारे मैं कन्फर्म किया, फिर थोड़ी नाराजगी की क्यों मुझे सब बातों से अनजान रखा गया, और फिर मेरी द्विधा की मेरे गिफ्ट की वजह से ऐसा हुआ। माँ को सारी बात समझ में आ गयी उन्होंने फ़ोन रखने को कहा ।


कुछ देर बाद मासी मेरे पास आई और आते ही मुझे कान पकड़ कर बोली....

"तु इतना सैतान क्यों हो गया है, तू ये बता पहले की तेरे पास इतने पैसे आये कान्हा से की तू उसके इंगेजमेंट ड्रेस दिलाने की बात कर रहा है"


फिर मैंने जवाव दिया....

"पहली बात मासी आपने लालच वाली बात बोल कर दिल तोडा है, लोग अपने लोगों से ही आशा करते है अगर मैं कुछ आप से माँग लूँ तो क्या आप को लालच लगेग। और अगर इसे लालच कहते है तो यही सही । 
गंजन दी तो बस इतना पुछा की मैं जीन्स टॉप का क्या करूंगी हो सकता है वो सोच रही हो इतने प्यार से लाया है और पहन भी न पाऊँ, इस से अच्छा तो वापस कर साड़ी ही ले लू । मासी मुझे बहुत बुरा लगा है आप की बातों का । " 


"और रही बात पैसों की तो मुझे नीरज भैया ने ही सजेस्ट किया था की स्टडी में मैं अच्छा हूँ और 2 क्लास 10 थ के स्टूडेंट के लेने की। मेरे पास अभी 4 लाख होंगे टुअशन के पैस, 2 साल से तो मैंने पापा से भी पैसे नहीं लिए पर वो तो पापा है की जबरदस्ती मुझे पैसे देते रहते है और उनका जोड़ दूं तो मेरे पास 5 लाख है"।


अब दूसरे तरफ से गुंजन दीदी कान पकरते हुए.... "तु तो बड़ी बड़ी बातें कर रहा है पैसे भी कमाने लगा है कह तो तेरी भी इंगेजमेंट करवा दूँ"। मैंने इस बात पर हल्की मुस्कान दी और मुझे ऐसा एक्सप्रेशन देते देख दोनों हसने लाग।


अब तक 5 हो चूका था फिर गुंजन दी ने मुझे तैयार होने के लिए बोल कर चली गायी।


मै अपने कासुअल ऑउटफिट मैं बाहर आया इधर गुंजन दी और सुनैना भी तैयार थी। चूँकि हम सब भाई बहन का इवनिंग टूर का प्रोग्राम था इसलिए मैं नीरज भैया और सुन्नी के बारे मैं पुछा तो पता चला की दोनों किसी काम से बाहर गए है।


अब मैं गुंजन दी और सुनैना निकले शॉपिंग करने। पर मुझे क्या पता था की अचानक से इस गुंजन दीदी का खुश होना और शॉपिंग पर जाना एक प्लान था ऐसा प्लान जिसने मुझे चोंका दिया। 


कहानी जारी रहेगी.....
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RE: mastram kahani प्यार - ( गम या खुशी ) - by sexstories - 03-21-2019, 12:20 PM

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