RE: Indian Sex Story कमसिन शालिनी की सील
शालिनी भी एक चेयर ले के मेरे सामने ही बैठ गई. अब मैंने उसे गौर से निहारा, उसके चिकने गुलाबी गाल यौवन के उल्लास से दमक रहे थे. उसके हाथ पांव भी पहले की अपेछा भरे भरे से लगे. मैक्सी उसकी जांघों में घुस गई थी जिससे उसकी पुष्ट सुडौल जंघाओं का उभार बड़ा ही मादक लग रहा था और उनके बीच बसी उसकी चूत की कल्पना करते ही मेरे लंड में तनाव भरने लगा.
मैंने अपनी कुर्सी शालिनी के बगल में रख ली और उसके गले में हाथ डाल के उसे किस करने लगा और मैक्सी में हाथ घुसा के उसके दूध टटोलने लगा, वो भी मेरा साथ देने लगी, जल्दी ही वो मेरा लंड पैंट के ऊपर से ही मसलने लगी.
मैंने भी उसकी मैक्सी जाँघों तक खिसका दी, नीचे से वो एकदम नंगी थी; उसकी गर्म गर्म चूत को मैं सहलाने लगा. मेरे छूने मात्र से ही उसकी चूत गीली रसीली होने लगी और मेरी उंगलियाँ चूत रस से भीग गईं.
‘पैंटी ब्रा वगैरह नहीं पहनती घर में?’ मैंने उसकी झांटो में उंगलियाँ पिरोते हुए पूछा.
‘पहनती तो हूँ. बस आज ही नहीं पहनी. आप का इंतज़ार था कि आप आओ और…’ वो चहकी.
‘तो ये लो मेरी जान…’ मैंने अपना लंड पैंट से बाहर निकाल के उसे थमा दिया.
लंड मिलते ही वो उस पर झुक गई और गप्प से मुंह में लेकर चूसने लगी.
‘चलो अंकल जी रूम में चलो! एक राऊँड जल्दी से लगा लेते हैं फिर खाना खायेंगे!’
‘रूम में नहीं स्वीटी. यहीं छत पर चोदूँगा तुम्हें. देखो न कितनी मस्त हवा चल रही है’
‘ठीक है जैसे आप चाहो!’ वो बोली और जीने का दरवाजा छत की तरफ से बंद कर के आई और मैक्सी उतार के फेंक दी और नंगी होकर मेरे सामने खड़ी हो गई.
फिर उसने एक मादक अंगड़ाई ली, हाथों के साथ साथ उसके मम्में उठ गये और कांख के बाल दिखने लगे. एक मस्त नजारा सामने से गुजर गया.
मैंने चारों ओर देखा आसपास के छतों से देखे जाने का कोई खतरा नहीं था क्योंकि सब मकान नीचे ही थे वैसे भी अब अँधेरा घिरने लगा था तो किसी के देखे जाने की कोई सम्भावना नहीं थी.
मैंने भी अपने कपड़े फुर्ती में उतार फेंके और उसे गले लगा लिया. उसके बदन का गर्म गर्म स्पर्श बहुत प्यारा लग रहा था. फिर मैंने उसे छत पर लगी लोहे की रेलिंग पर झुका दिया और पीछे से ही उसकी चूत में एक ही बार में लंड पेल दिया.
‘ऊई अंकल जी… धीरे, आराम से घुसाओ न!’
लेकिन मैंने उसकी परवाह न करते हुए लंड को थोड़ा पीछे खींचा और फिर एक करारा शॉट लगा दिया इस बार लंड अच्छी तरह से उसकी चूत में गहराई तक फिट हो गया और उसकी बगल में हाथ डाल कर उसके मम्में पकड़ लिए.
‘हाई… मम्मी मर गई. कैसी बेरहमी से घुसेड़ दिया न फिर से!’
लेकिन मैंने उसके बोलने की परवाह किये बगैर चूत की चुदाई ठुकाई शुरू कर दी.
जल्दी ही वो भी अपनी चूत से लंड को जवाब देने लगी. जब हम लोग थक गये तो थोड़ा रुक गये. रेलिंग से नीचे झाँक कर देखा तो बाजार की चहल पहल, दुकानों की रंग बिरंगी रोशनी, ट्रैफिक की भीड़भाड़ और शोर… शालिनी की चूत में लंड फंसाए हुए ये सब देखना बहुत ही रोमांचकारी, आह्लादकारी लग रहा था.
‘शालिनी, नीचे सड़क पर झांको, कितना मस्त नजारा है.’ मैंने उसके मम्में निचोड़ते हुए कहा.
‘हाँ सच में अंकल जी. मैंने सोचा भी नहीं था कि मैं कभी इस तरह छत पर इस पोज़ में सेक्स करूंगी.’ वो बोली और अपनी कमर आगे पीछे करने लगी; मैं स्थिर ही खड़ा रहा था लेकिन वो मस्ती में डूबी हुई अपनी ही धुन में चूत को आगे पीछे करते हुए लंड को लीलती रही.
कुछ देर तक ऐसे ही चुदने के बाद वो अलग हट गई और घूम कर मेरे सामने आ गई. मैंने उसका एक पैर बहुत ऊपर उठा कर उसकी एड़ी अपने कंधे पर रख ली. इससे उसकी खुली हुई बुर मेरे लंड के सीध में आ गई. मैंने उसकी कमर में हाथ डाल कर उसे अपनी ओर खींचा और फचाक से लंड फिर से घुसाया और उसकी चूत मारने लगा.
उसने भी एक हाथ रेलिंग पर रखा और दूसरा हाथ से मेरे कंधे का सहारा ले लिया.
अब चुदाई एक्सप्रेस अपनी पूरी रफ़्तार से मंजिल की ओर दौड़ पड़ी.
‘अंकल जी जल्दी… मैं आने वाली हूँ.’ कुछ ही देर बाद वो बोली और मिसमिसा कर अपनी उंगलियाँ मेरे कंधे में गड़ा दीं और झड़ने लगी. इधर मेरा काम भी करीब ही था, आठ दस धक्के और.. और मैं भी झड़ गया उसकी चूत में!
फिर हम लोग अलग हट गये और कुर्सी पर बैठ कर सुस्ताने लगे.
आह अंकल जी, मज़ा आ गया. कब से तड़प रही थी इस सुख के लिए आज तृप्त हुई जा के… लेकिन आपने मेरे भीतर ही भर दिया न अपना रस, मैं प्रेगनेंट हो गई तो?’ वो शिकायत भरे स्वर में बोली.
‘तू चिंता मत कर, मैं प्रेगनेंसी को रोकने वाली गोली लाया हूँ अभी खा लेना!’ मैंने कहा.
‘ओके, अभी खा लूंगी सोते समय. अंकल जी. कब से इन्तजार था इस पल का. थैंक्स कि आप आये!’ वो अपना सर मेरे कंधे पर रखते हुए बोली.
मैं चुप रहा और उसे दुलारता रहा.
|