RE: Muslim Sex Stories मैं बाजी और बहुत कुछ
बाजी के बूब्स चूस्ते चूस्ते मैंने अपना राइट वाला हाथ उनके लेफ्ट वाले मम्मे से हटाया और नीचे उनके पेट पर सरका दिया। थोड़ी देर उनके केपेट पे हाथ फेरने के बाद मेरा हाथ नीचे की तरफ हो गया। । बहकी भावनाए, मज़ा, मस्ती, यह सब हम दोनों पे ऐसे हावी हुए थे कि हम दोनों बिल्कुल अपने होश मे नहीं रहे थे। मैने और नीचे की तरफ हाथ बढ़ाया अब बाजी की भारी भारी जांघों पे हाथ फेर रहा था। । कुछ देर बाद मैने वह हाथ बाजी की जाँघो पर फेरते फेरते बाजी की थोड़ी सी खुली हुई टांगों के बीच में डाल दिया और अपने हाथ को बाजी की योनी पे रख दिया और बाजी की योनी को सलवार के ऊपर से ही अपने हाथ की उंगलियों सेरगड़ने लगा। । । । । । । । । । । । । । । ।
मेरे हाथ को अपनी योनी पे फील करते ही बाजी के शरीर को जैसे करंट सा लगा और वह हल्के से चिल्ला पड़ी आह्ह्ह्ह्ह्ह आ ह आह सलमान पीछे करो अपना हाथ वहाँ से आह आह सलमान उफ़ आह। बाजी ने अपना एक हाथ मेरे सिर से उठाया और मेरे उस हाथ पे रखा जो उनकी योनी पे था और मेरे हाथ को पीछे करने की कोशिश करने लगी। । । मैं एक तो पहले से ही सेक्स के नशे और मजे में डूबा था ऊपर से जब बाजी की योनी हाथ में आई तो जैसे बिल्कुल ही तीव्र भावनाओं से बेकाबू सा ही हो गया पर। । । बाजी की न न और मुझे पीछे होने का कहना ही जैसे मुझे और ही मजे देता जा रहा था। । । उनके मम्मों को वैसे ही चूस रहा था और साथ ही अपने हाथ की उंगलियों से उसकी योनी रगड़ रहा था। बाजी नेनीचे पैन्टी नही पहनी हुई थी, यह बात जैसे ही उस समय मैंने उनकी योनी को टच किया तब ही मुझे पता चल गया था। मेरी उंगलियां बाजी की योनी के लिप्स के बीच स्लिप हो रही थीं। बाजी की हालत उस समय यह थी कि न उधर के रहे न उधर के। बाजी एक ओर मजे में डूबी अपनी गीली योनी मुझसे रगड़वा रही थी और दूसरी तरफ मुझे हल्के से मना भी कर रही थीं कि "" सलमान नहीं प्लीज़ हाथ हटाओ यहां से सलमान ये क्या कर दिया हाय आह आह उफ़ आह पागल ऐसे नहीं आह मम मम सलमान नहीं .
सलमान भी इस समय मरता क्या न करता, पागलों की तरह अपनी इस दीवानी जान के शरीर में डूबा पता नहीं कहाँ खोया हुआ था। । । । अचानक बाजी ने मेरे सर पे जो हाथ रखा था उसे जोर से दबाना शुरू कर दिया मेरे सिर पे, जिससे मेरा मुँह उनके मम्मे पे दबना शुरू हो गया और नीचे से बाजी ने अपनी योनी को ऊपर नीचे ऊपर नीचे करना शुरू कर दिया। फिर धीरे धीरे बाजी की इस प्रक्रिया में तीव्रता आने लगी। मुझे भी ऐसे लगने लगा कि मैं फारिग होने वाला हूँ, मेरा लंड तब बाजी के एक पैर के साथ लगा हुआ और लोहे की तरह सख़्त हालत में था। । उधर बाजी भी फारिग होने वाली थी और अपनी योनी को ऊपर नीचे कर रही थी मेरे हाथ पर . इधर मैं अपना लंड बाजी के पैर के साथ घर्षण करके फारिग होने की पूरी तैयारी में था। और फिर बाजी ने आखिरी कुछ झटके मारे और सलवार के अन्दर ही डिस्चार्ज हो गई और मैं भी उनके पैर के साथ ही अपना लंड रगड़ते रगड़ते डिस्चार्ज हो गया। । । । । । । । । । । । । । । । । । । । । । । । । । । ।
दिन बीतते जा रहे थे। मेरे दिन रात हुश्न, प्यार, प्यार से भरपूर और भावनाओं मे, रमणीय आराम में डूबे हुए गुजर रहे थे। हां बस कुछ कमी अभी भी बाकी थी। बाजी मिलन की अंतिम सीमा तक मुझे जाने नहीं देती थी और मिलन के समय मुझसे ज्यादा बात नहीं करती थी। हां यह भी सच ही था कि मैं खुद जाने क्यों उस समय उनसे बात करते हुए काफी घबराता था। परसच यह भी था कि उस समय उनके साथ जो बिल्कुल थोड़ी सी बात भी होती थी उसमें मुझे सकून और शांति बहुत मिलती थी।
आज मेरा कॉलेज प्रारंभ हो रहा था। मैं उठा तैयार हो केनीचे आया। ((बाजी का कॉलेज अभी लगभग 2 हफ्ते बाद प्रारंभ होना था)) नीचे अम्मी अब्बू नाश्ते के टेबल पे ही थे। उन दोनों को नमस्कार करने के बाद मैंने नाश्ता प्रारंभ किया।
अचानक अबू ने पूछा: सलमान स्टडी कैसी जा रही है? "
" जी अबू बहुत अच्छी ""
"गुड मैं हिना की तरह तुम्हे भी डॉक्टर बनता देखना चाहता हूँ"
"जी अबू"
फिर कुछ देर बाद अबू ने पूछा और कोई प्रोब्लम तो नहीं?
"नहीं अबू सब ठीक है"
"ओ के गुड"
मैंने जल्दी जल्दी नाश्ता समाप्त किया और अपनी किताब उठाता हुआ बाहर निकल गया। । बाहर आकर मैं एक गहरी साँस ली। अबू के पास मेरा जितना भी समय गुज़रता था वह बिल्कुल ऐसे कि जैसे अभी मेरी जान निकल जाएगी। । । वो अगर सामान्य ढंग से भी बात करते तो ऐसे लगता जैसे अब जान ही निकाल देंगे
कॉलेज पहुंचा ही था कि साना आई और मुझे अपने साथ लिए कॉलेज के बैक साइड पे आ गई। जहां लगभग कोई नहीं आता जाता था। मैंने कहा, "यार बाकी दोस्तों से तो मिल लेने दो"
साना बोली "तुम्हें बहुत प्यार आ रहा है उन पे चुप करके यहाँ बैठो" और हम दोनों वहाँ पे मौजूद बेंच पे बैठ गए। । ।
"सलमान तुम्हें पता है मैंने कैसे यह दिन बिताए, मरनेवाली हो गई थी मैं" कह के साना ने मेरा हाथ पकड़ लिया। । ।
ज्यों ही साना ने मेरा हाथ पकड़ा मैंने उसकी आँखों में देखा। । उसकी आँखों में मेरे लिए मौजूद गहरा प्यार झलक रहा था, मैंने उसी पल सोचा कि आज साना को सच बता देता हूँ कि मैं उससे प्यार नहीं करता, उसके बाद जो होगा देखा जाएगा। पर अब मैं साना को और धोखा नहीं देना चाहता था। । । साना जैसी परी (हुश्न की मालिका) धोखा खाने के लिए नहीं बनी थी, वह तो इसलिए बनी थी कि उसे कोई बहुत प्यार करे, इतना प्यार करे कि पूरा जीवन उसकी पूजा में ही गुज़ार दे । । वह दिल और नेचर में कमाल की लड़की थी। । ।
अपने अंदर मौजूद हिम्मत को बढ़ाने के बाद साना को सच बताने के लिए मुंह खोलने ही वाला था कि साना ने मेरे गाल पे किस कर दी जब साना के नरम होंठ जब मेरे गाल से टकराए तो मुझे एक करंट सा लगा। । साना इतनी सुंदर हुश्न से भरपूर लड़की थी कि तुरंत जैसे मेरे सभी विचारों ने पलटा खाया और मैंने एक हारे हुए सिपाही की तरह साना के हुस्न के आगे घुटने टेक दिए। ।
मैंने साना का हाथ पकड़ा और उसे वहीं पास ही मौजूद एक पेड़ के पीछे ले गया। ये पेड़ बहुत बड़ा और बहुत पुराना था। । वैसे तो उसकी पिछली साइड पे कोई आता नहीं था अगर कोई आ भी जाता तो हमें देख नहीं सकता था, क्योंकि उस पेड़ ने हमें छिपा लिया था। । । पेड़ के पीछे जाते ही मैंने साना की कमर पे एक हाथ रखा और दूसरे हाथ की उंगलियाँ उसके बालों में बालों डाल दी और हम दोनों किसिंग करने लगे। मेरे होठों का स्पर्श साना को बेहाल करने के लिए पर्याप्त साबित हुआ। मैं भी साना के नरम सुंदर होठों की गर्मी से अपने आप को पिघलने से न बचा सका। हमारी किसिंग में तीव्रता आती जा रही थी। । ।
एक दूसरे से जीब लड़ाने के बाद और अच्छी सी किसिंग के बाद अब मेरे होंठ साना की गर्दन पे फिसलते जा रहे थे और साना के होंठ भी मेरी गर्दन पे अपना जादू चला रहे थे। । साना के साथ ये पल बिताते हुए मुझे आराम बिल्कुल नहीं मिल रहा था, क्योंकि दिल का कनेक्शन तो आत्मा से होता है और मेरी आत्मा इस समय मेरे गिले शिकवों में व्यस्त थी कि सलमान तू अपना प्यार चाहत हासिल करके भी मेरा खून करने पे क्यों तुला है। । । पर सलमान पे तब नियंत्रण दिल का नहीं उसके मन का चल रहा था। । ।
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