RE: mastram kahani राधा का राज
सब के सामने उसके पास जाने मे मुझे हिचक हो रही थी. मैं आज तबीयत खराब होने का बहाना कर के घर चली गयी. शाम को हॉस्पिटल जा कर पता लगा कि राज शर्मा को डेलक्स वॉर्ड मे शिफ्ट कर दिया गया है. मैं लोगों की नज़र बचा कर शाम आठ बजे के आस पास उसके वॉर्ड मे पहुँची. वहाँ मौजूद नर्स को मैने बाहर भेज दिया.
" तुम खाना खा कर आओ तब तक मैं यहीं हूँ."
वो खुशी खुशी चली गयी. मुझे देख कर राज शर्मा मुस्कुरा दिया. मैं भी मुस्कुराते हुए उसके पास पहुँची.
"कैसे हो" मैने पूछा.
"तुम्हें देख लिया बस तबीयत अच्छी हो गयी." राज शर्मा मुस्कुरा रहा था. मेरा चेहरा शर्म से लाल हो गया. दो बार के मिलन के बाद अब मैं भी उससे थोड़ा अभ्यस्त हो गयी थी. मैं उसका टेंपरेचर देखने के बहाने से उसके बालों मे अपनी उंगलियाँ फिराने लगी.
"मुझ पर इतना खर्चा क्यों किया डॉक्टर.." राज शर्मा ने पूछा.
" राधा. राधा नाम है मेरा. मुझे ये नाम अच्छा लगता है. तुम कम से कम मुझे इसी नाम से पुकरोगे." मैं उसके बिस्तर पर उसके पास बैठ गयी.
उसने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी ओर खींचा मैं जान बूझ कर उसके सीने से लग गयी. उसने मेरे होंठों को अपने होंठों से छुलिया.
"धन्यवाद र….राधा" उसने धीरे से कहा.
मेरा पूरा बदन थर थारा रहा था. मैने भी अपने होंठ उसके होंठ से सटा दिए और उसके होंठों को अपने होंठों मे दबा कर चूसने लगी.
तभी दरवाजे पर किसी ने नॉक किया. मजबूरन मुझे उससे अलग होना पड़ा. मैने जल्दी जल्दी अपने कपड़े ठीक किए.
"मैं कल आऔन्गि" मैने उसके कानो मे धीरे से कहा और दरवाजा खोल दिया. एक नर्स खाना लेकर आई थी.
मजबूरन मुझे वहाँ से जाना पड़ा. लेकिन जाने से पहले मैने उससे कह दिया कि कल से शाम को मैं उसके लिए घर से खाना लेकर आया करूँगी.
अगले दिन शाम को बड़े जतन से मैने हम दोनो का खाना तैयार किया और शाम को उसके उसके कॅबिन मे पहुँची. नर्स मुझे देख कर मुस्कुरा दी. शायद उसे भी दाल मे कुछ क़ाला नज़र आने लगा था. वो हम दोनो को अकेला छोड़ कर वहाँ से चली गयी. मैं उसके बेड पर आ कर बैठी और टिफिन खोल कर हम दोनो का एक ही थाली मे खाना लगाया. वो मुझे अपनी बाहों मे भर कर चूमना चाहता था लेकिन मैने उसके इरादों को सफल नही होने दिया.
क्रमशः........................
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