RE: mastram kahani राधा का राज
राधा का राज --3
गतान्क से आगे....................
मैं उसके पास आकर दोनो पैरों को फैला कर उसकी गोद मे बैठ गई. उसके सिर को पकड़ कर आपनी एक छाती पर दबा दिया.
"लो चूमो इसे. ये सिर्फ़ तुम्हारे लिए हैं. क्या अब भी तुम्हे लगता है कि हमारे बीच किसी तरह की कोई दीवार है?" उसके होंठ मेरे स्तनो पर फिर रहे थे.
"ब्रा खोल्दो" मैने उसके कानो मे फुसफुसाते हुए कहा. मगर उसे कोई हरकत करता नहीं देख कर मैने खुद ही ब्रा को शरीर से अलग कर दिया. आज मैं इतनी उत्तेजित थी कि ज़रूरत पड़ने पर राज शर्मा को रेप
भी करने को तैयार थी.
" देखो ये कितने बेताब हैं तुम्हारे होंठों के. कितने दिनो से तड़प रही थी……" कहकर मैने उसके होंठों से अपने निपल सटा दिए. पहले वो थोड़ा झिझका फिर धीरे से उसके होंठ खुले और मेरा एक निपल मुँह मे प्रवेश कर गया. वो अपने जीभ से निपल के टिप को गुदगुदाने लगा.
"कैसे हैं?" मैने शरारत से पूछा.
उसका मुँह मे मेरे निपल होने के कारण सिर्फ़ "उम्म्म्म" जैसी आवाज़ ही निकली.
"मुझे कुछ भी समझ मे नही आया. ठीक से कहो. मुझे सुनना है."
उसने अपने मुँह को उठाया और मेरे होंठों से दो इंच दूर अपने होंठ लाकर धीरे से कहा. "बहुत अच्छे. मैने कभी इतनी हसीन साथी की कल्पना भी नही की थी. मैं एक ग़रीब…." मैने अपने हाथ उसके मुँह पर रख कर आगे बोलने नही दिया.
"बस अब मुझे सिर्फ़ प्यार करो. मैने अपनी जिंदगी मे कभी अपने जज्बातों को आवारा होने नही दिया. मगर आज मैं झूमना चाहती हूँ. आज सिर्फ़ प्यार पाना चाहती हूँ तुमसे." उसने वापस अपने होंठ मेरे स्तनो पर लगा दिए. मैने उसके सिर को अपनी दोनो चुचियों के बीच की खाई मे दबा दिया.
" आ हाआँ प्लस्सस. हेयेयन आअज मुझे नीचूओद लूओ.पूरा रास पीई जाऊओ. " मैं उसके बालों मे हाथ फिराते हुए बुदबुदाने लगी. उसने मेरे निपल को अपने मुँह मे डाल कर तेज तेज चूसने लगा. मैं "आआआआआआअहह ह उम्म्म्मममम ओफफफफफफफफूऊ" जैसी आवाज़ें अपने मुँह से निकाल रही थी. मैं उसके दूसरे हाथ को आपने दूसरे ब्रेस्ट पर रख कर दबाने लगी. कुछ देर बाद उसने दूसरे निपल को चूसना शुरू कर दिया उसके हाथ मेरे बदन पर घूम रहे थे. स्पर्श इतना हल्का था मानो शारीर पर कोई रुई फिरा रहा हो.
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