RE: mastram kahani राधा का राज
राधा की कहानी--9
गतान्क से आगे....................
वो अपने हाथों से अपने बदन को ढकने की कोशिश कर रही थी. रचना के बेडरूम मे पहुँच कर पहले बच्चे को धीरे से बिस्तर पर सुला दिया. फिर मैं रचना को अपनी बाहों मे भर कर उसे अपने बेडरूम मे ले गयी. राज शर्मा पीछे रह गया था बच्चे के चारों ओर तकिया लगा कर आने के लिए.
"राधा मुझे शर्म आ रही है. राज शर्मा तेरा हज़्बेंड है. मुझे ऐसा नही करना चाहिए." रचना ने मेरी ओर किसी याचक की तरह देखा. उसकी आँखों मे रिक्वेस्ट थी.
" जब मुझे इससे कोई परेशानी नही है तो तू क्यों अपने आप को परेशान कर रही है. तू मेरी बहन की तरह है. हम एक दूसरे के बिना नही जी सकते तो फिर अपनी सबसे प्यारी चीज़ को अपने इस प्यारे बहन के साथ बाँटने मे मुझे किसी भी तरह का झिझक नही है." मैं उसे अपने बेड पर बिठाया. राज शर्मा भी बेडरूम मे आ चुका था.
मैने राज शर्मा को रचना की गोद मे सिर रख कर लेटने का इशारा किया. राज शर्मा किसी अज्ञानकारी बच्चे की तरह बिना कुछ कहे रचना की गोद मे सिर रख कर लेट गया. रचना राज शर्मा के चेहरे को निहारने लगी और अपनी लंबी लंबी उंगलियों से राज शर्मा के बालों को सहलाने लगी. मैने रचना के एक स्तन को अपने हाथों से थाम कर राज शर्मा की ओर बढ़ाया राज शर्मा ने झट अपना मुँह खोल कर उसके खड़े निपल को अपने मुँह मे भर लिया.
वो किसी बच्चे की तरह आवाज़ करता हुआ रचना के निपल को चूसने लगा. रचना के स्तनो से दूध निकल कर उसके मुँह मे समा रहा था. रचना बहुत उत्तेजित हो चुकी थी. वो अब अपने उपर कंट्रोल नही कर पा रही थी. उसके मुँह से,
"आआआआहह… ..ऊऊऊऊहह… .म्म्म्मममम……..न्नराआआआईल…….राआआाईलाम…
….
म्माआआआआ" जैसी आवाज़ें निकल रही थी.
रचना ने अपने नाखूनो से राज शर्मा के सीने पर कई घाव कर दिए. वो राज शर्मा के बालों भरे सीने को सहला रही थी. उसका हाथ राज शर्मा के सीने को सहलाते हुए उसके पेट की तरफ बढ़ा और सकुचाते हुए उसके पायजामे के उपर फिरने लगा. राज शर्मा का लंड पायजामे के अंदर किसी तंबू के बीच वाले बॅमबू की तरह नज़र आ रहा था. उसने अपनी आँखें बंद कर के अपने काँपते हाथों से राज शर्मा के लंड को टटोला और आहिस्ता से उसे अपनी मुट्ठी मे भर लिया. वो राज शर्मा के लंड को पायजामे के उपर से सहलाने लगी. ये देख कर मैने राज शर्मा के पायजामे को ढीला कर के उसके लंड को बाहर निकाल कर रचना का हाथ उस पर रख दिया. नग्न गर्म लंड का स्पर्श पाते ही रचना ने अपना हाथ उस पर से हटा लिया और चौंक कर अपनी आँखें खोल दी. उसका मुँह अस्चर्य से खुल गया और मुँह पर अपनी हथेली रख कर अपनी चीख को रोका.
"राधा ये तो काफ़ी बड़ा है." उसने मेरी की तरफ देखा.
" तुझे पसंद है?" मैने पूछा मगर उसने कोई जवाब नही दिया बस राज शर्मा के लंड को एकटक देखती रही.
राज शर्मा रचना के स्तनो को मसल मसल कर उससे दूध का एक एक कतरा चूस रहा था. रचना का ध्यान राज शर्मा की हरकतों पर नही था. वो तो राज शर्मा के लंड को अपनी मुट्ठी मे लेकर सहला रही थी. राज शर्मा काफ़ी देर तक उसके स्तनो को चूस कर उठा और रचना से लिपट कर उसे बिस्तर पर लिटाने की कोशिश करने लगा. मैं भी उसे इस काम मे मदद करने लगी. मगर रचना ने अपने बदन को अकड़ा लिया और हमारा विरोध करने
लगी.
"नही राधा ये सही नही है." उसने अपने हाथों से राज शर्मा के चेहरे को दूर धकेलते हुए कहा.
"क्यों इसमे ग़लत क्या है? ये एक जिस्मानी भूख है. तुम किसी का हक़ तो नही छ्चीन रही हो. मैं तो खुशी से तुम्हारी ये तड़प मिटाना चाहती हूँ. और जो तुम्हारे सामने है वो कोई और नही राज शर्मा है. उसके साथ जब इतना सब हो गया तो अब आख़िरी काम से झिझक क्यों रही है. अपने दिल पर हाथ रख कर बोल कि राज शर्मा तुझे पसंद नही है. मैं आज के बाद कभी तुझ से कुछ नही कहूँगी."
"नही राधा….चूमने सहलाने तक तो ठीक है मगर सेक्स……" रचना बिस्तर से उतरने लगी.
" रचना क्या हो गया है तुझे आज?" मैने पूछा.
रचना ने अपना सिर झुका दिया और धीमे से कहा," राधा आज नही….मुझे कुछ वक़्त दो अपने दिल और दिमाग़ के बीच चल रहे द्वंद को काबू करने के लिए. प्लीज़"
" ठीक है आज नही लेकिन कल राज शर्मा को अपने जिस्म को छूने की इजाज़त देने का वादा करो."
"ठीक है मैं ….मैं वादा करती हूँ. आज छोड़ दो कल तुम लोगों की जो मर्ज़ी करना." रचना ने कहा.
" ठीक है राज शर्मा कल प्यार कर लेना मेरी सहेली को आज मेरी तो प्यास बुझा दो." कह कर मैं वहीं रचना के सामने अपने वस्त्र उतारने लगी. गर्म तो थी ही दोनो के संबंधों को लेकर. मेरी योनि से रस बह कर बाहर आ रहा था. रचना उठने को हुई तो राज शर्मा ने उसका हाथ पकड़ कर रोक लिया.
" तुम मत जाओ… यहीं रहो इससे हमारा मज़ा दुगना हो जाएगा." रचना बिना कुछ कहे वहीं पर रुक गयी. राज शर्मा ने मेरी टाँगों को अपने कंधे पर रख लिया और मेरी कमर के नीचे एक तकिया रख कर मेरी कमर को उँचा किया. फिर मेरी योनि को चादर से पोंच्छा जिससे गीलापन कुछ ख़तम हो जाए. फिर मेरी योनि पर अपने लंड को टिका कर रचना को कहा,
"तुम इसे अपने हाथों से सेट करो अपनी सहेली की योनि मे." रचना ने वैसे ही किया और अपने सूखे होंठों पर जीभ फिराते हुए मेरी योनि मे राज शर्मा के लंड को अंदर तक धंसते देखती रही. मैने रचना को अपने पास खींच लिया और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए.
राज शर्मा ने पूरे जोश से मुझे ठोकना शुरू किया. मैं "आहूऊऊहह" करने लगी. आज उसके धक्कों मे ग़ज़ब का जोश था. रचना हम दोनो के पास बैठ कर कभी मेरे बदन को सहलाती कभी राज शर्मा को सहलाती. राज शर्मा ने उसे अपनी बाहों मे ले कर अपने सीने मे कस कर दबा दिया और उसके होंठों को अपने दाँतों से दबा लिया. रचना उत्तेजित हो गयी थी. वो राज शर्मा के अंदर बाहर हो रहे रस से भीगे हुए लंड को अपनी उंगलियों से सहला रही थी.
वो उत्तेजित हो कर बड़बड़ाने लगा," ले ले…और ले…कल तेरी सहेली को भी इसी तरह थोकून्गा. रचनाआअ कैसा लग रहा है…..कैसा लग रहा है तुझे. कल आएगी ना मेरे बदन के नीचे?"
मैं भी उसका साथ देने लगी," हां हाआँ कल बता देना मेरी सहेली को कि तुम किसी शेर से कम नही हो. कल उसका अंग अंग तोड़ देना. उसकी योनि ठोक ठोक कर सूजा देना. इस तरह मसल कर रख देना उसे कि वो भी तुम्हारी गुलाम होकर रह जाए."
रचना ने हमारे रस से भीगी हुई उंगलियाँ उठा कर राज शर्मा को दिखाई तो राज शर्मा ने रचना के हाथो को पकड़ कर उसके मुँह की ओर मोड़ दिया. रचना बिना किसी तरह का इनकार किए उन उंगलियों को मुँह मे भर कर चूसने लगी.
"आहह राधा……..म्म्म्ममम….मजाआ… .आ गयाआअ" आज राज शर्मा इतना उत्तेजित था कि जल्दी ही अपना सारा वीर्य मेरी योनि मे उडेल कर निढाल हो गया.
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