bahan sex kahani दो भाई दो बहन
04-10-2019, 04:25 PM,
#49
RE: bahan sex kahani दो भाई दो बहन
"जय आऊ..." उसने खुशी मे जय को गले लगा लिया. फिर थोड़ा पीछे

हटकर जय को निहारने लगा... उसका भाई कितना बदल गया था.. चौड़ा

सीना खिला हुआ चेहरा...

"आओ अंदर आओ और आराम से बैठ कर मुझे बताओ क्या हुआ..." रिया ने

उसका हाथ पकड़ उसे सोफे पर बिठाया, "जब से तुम्हारा फोन आया मुझे

कितनी चिंता हो रही है."

जय सोफे पर बैठ गया तो रिया उसके बगल मे बैठ कर अपने हाथ को

उसके कंधे पर रख दिया.... कितने दिनो बाद आज वो अपने भाई से मिल

रही थी.

"रानी मा बनने वाली है" जे ने कहा.

"मुबारक हो! ये तो खुशी की बात है." रिया ने उसे गले लगाते हुए कहा.

पर रिया को लगा कि जय इस बात से खुश नही है और कोई तो बात है

जो उसे खाए जा रही है..

"ऑश अब समझी शायद तुम ये सब इतनी जल्दी नही चाहते थे.. है

ना?" रिया ने कहा.

"हां... कल मेरे और रानी के बीच इस बात को लेकर काफ़ी बहस भी

हुई.. " जय ने जवाब दिया. "समझ मे नही आता क्या करूँ.. जब ज़्यादा

दिन हो जाएँगे तो उसे अपना काम छोड़ना पड़ेगा और में अकेला इतने सारी

ज़िम्मेदारियों को नही निभा पाउन्गा.. घर का खर्चा..गाड़ी वग़ैरह..

समझ मे नही आता में क्या और कैसे करूँ."

रिया ने प्यार से उसके गालों को चूम लिया और अपना सिर उसके कंधे पर

रख दिया.. "पता है जय में कितनी खुश थी तुम्हे लेकर.... काश

मेरे पास इस समस्या का कोई हल या जवाब होता.."

"में तुमसे कोई मदद माँगेने नही आया.. ये तो में भी समझता हूँ

कि इसका हल तो मुझे और रानी को मिलकर ही निकलना है.. " जय ने उसकी

कमर मे हाथ डालते हुए कहा." वो तो बस तुम्हारी याद आ रही थी और

में सोच रहा था कि तुम्हारी जिंदगी कैसे गुज़र रही है."

रिया ने अपना चेहरा उठाया और उसके बालों मे अपना हाथ फिराने लगी..

उसके दिल का दर्द आँसू बन उसके चेहरे पर छलक आया.

"माफ़ करना रिया.. में तुम्हे तकलीफ़ नही देना चाहता था." जय अपनी

बेहन को गले लगाते हुए बोला.

रिया ने अपने आँसू पौन्छे और अपने जज्बातों को हटाते हुए बोली, "कोई

बात नही जय... में भी अपने दिल की बात तुमसे करना चाहती हूँ..

वो क्या है ना रोमा मेरे और राज के बीच आ गयी है..फिर भी हम

दोनो आपस मे समय निकाल ही लेते है.."

"क्या तुम उससे बहोत प्यार करती हो?" जे ने पूछा.

रिया ने अपनी गर्दन हन मे हिला दी.

"जानती हो रिया जब तुमने हमारे साथ तालाब के किनारे आना शुरू किया

में तभी समझ गया था. कि राज तुम्हे पसंद है.. लेकिन ये जज़्बा

इतना बढ़ जाएगा ये मुझे मालूम ना था."

"राज भी मुझसे बहोत प्यार करता है" रिया ने तुरंत कहा, "लेकिन वो

अपनी बेहन को भी उतना ही प्यार करता है... कभी कभी तो मुझे

लगता है कि वो अपनी बेहन के साथ खुश नही है.. इसीलिए में

इंतेज़ार कर रही हूँ उस दिन का जिस दिन वो उसे छोड़ मेरे पास आ जाएगा."

जय मुस्कुराते हुए रिया को देखने लगा... वो बचपन से ही रिया की

बहोत इज़्ज़त करता था और दिल से उसे बहोत प्यार करता था... वो जाने

अंजाने मे भी उसे कोई तकलीफ़ नही पहुँचाना चाहता था.... पर जो हो

सकता है वो तो उसे कहना ही था, "हो सकता है राज रोमा का साथ कभी

ना छोड़े?"

जय की बात सुन रिया की रुलाई फुट पड़ी"में भी ये जानती

हूँ....पर में क्या करू.. में राज के बिना नही रह सकती.. बहोत

प्यार करती हूँ उससे." उसने रोते हुए अपना चेहरा जय के कंधों मे

छुपा लिया....जय उसकी पीठ को सहला उसे सांत्वना देने लगा.

"माफ़ करना रिया,... काश हम अपने गुज़रे हुए कल को वापस ला सकते..

मुझे आज भी वो दिन याद है जब तुम कॉलेज से छुटकर घर आती और

हम सब मिलकर तालाब के किनारे मज़े करते."

"हां सो तो है.. काश वो दिन वापस लौट आते?" रिया ने सोच भरी

आवाज़ मे कहा.

अचानक रिया ने अपने होंठ जय के होठों पर रख दिए.. दोनो के होठ

मिले और दोनो एक दूसरे के होठों को चूसने लगे.

"जय पता है में तुम्हे कितना मिस कर रही थी.. हमेशा तुम्हारी

याद आती रहती थी." रिया ने कहा, "आज बता दो कि तुम मुझे उतना ही

याद करते थे और उतना ही प्यार करते हो जितना पहले करते थे."

रिया की बात सुनकर जय सोच मे पड़ गया.... वो रानी के बारे मे सोचने

लगा.. अगर उसे पता चल गया कि उसका अपनी ही बेहन के साथ रिश्ता

है तो आफ़त खड़ी हो जाएगी... पर रिया के शब्दों की मायूसी और दिल

मे चाहत... वो एक धरम संकट मे फँस चुका था.. उसकी समझ मे

नही आ रहा था कि वो क्या करे क्या कहे.

"प्लीज़ जय में समझ रही हूँ तुम क्या सोच रहे है.. लेकिन आज

मुझे तुम्हारी ज़रूरत है.. में किसी अपने के स्पर्श के लिए तरस

रही हूँ... प्लीज़ मुझे प्यार करो ना." रिया ने लगभग गिड़गिदते

हुए कहा.

"यहाँ हाल मे नही कभी भी कोई भी आ सकता है और में कोई ख़तरा

नही उठा सकता." जय ने जवाब दिया.

"तो फिर मेरे बेडरूम मे चलते है." रिया ने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा.

* * * * * * * * *

पता नही क्यों रोमा को घबराहट के मारे माथे पर पसीना आ रहा

था... उसने अपने माथे का पसीना रूमाल से पौंच्छा और जीत के मकान

की घंटी बज़ा दी. उसने नीले रंग की डेनिम की शॉर्ट्स पहन रखी थी

और उस पर एक पीच रंग का टी शर्ट. अपने कपड़ों को ठीक कर वो

दरवाज़ा खुलने का इंतेज़ार करने लगी. जब दरवाज़ा खुला और जीत का

चेहरा नज़र आया तो उसके होठों पर मुस्कान आ गयी.
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