RE: Real Sex Story नौकरी के रंग माँ बेटी के स�...
इस उहापोह की स्थिति में मैंने एक फैसला किया और बिस्तर से उठ कर रसोई की तरफ गया।
मेरे अचानक यूँ उठने से वंदना को अजीब सा लगा और अँधेरे में ही उसने टटोलते हुए मेरा हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींचा- क्या हुआ… कहाँ जा रहे हैं आप?
वंदना ने चिंता भरे लहजे में पूछा।
‘बस अभी आया… तुम यहीं रुको।’ मैंने अपना हाथ छुड़ाते हुए कहा और रसोई में चला गया।
पहले तो टटोलकर फ़्रिज़ का दरवाज़ा ढूंढा और पानी की बोतल निकाल कर एक ही घूंट में पूरी बोतल खाली कर दी… मेरे सूखते हुए गले को थोड़ी सी राहत मिली।
फिर मैं फ़्रिज़ के ऊपर से जैसे तैसे मोमबत्ती तलाशने लगा और किस्मत से एक मोमबत्ती मिल भी गई, वहीं पास में माचिस भी मिल गई और मैंने मोमबत्ती जला ली।
जलती हुई मोमबत्ती लेकर मैं वापस कमरे में आया और बिस्तर के बगल में रखे मेज पर उसे ठीक से लगा दिया। मोमबत्ती की हल्की सी रोशनी में वंदना का दमकता हुआ चेहरा मेरे दिल पर बिजलियाँ गिराने लगा।
कसम से कह रहा हूँ, उस वक़्त उसे देख कर ऐसा लग रहा था मानो कोई खूबसूरत सी परी सफ़ेद कपड़ों में मेरे सामने मेरा सर्वस्व लेने के लिए खड़ी हो… मैं एक पल को उसे यूँ ही निहारता रहा।
‘अब आइये भी… अब देरी नहीं हो रही क्या?’ वंदना ने शरारत से मुस्कुराते हुए मेरी तरफ देखा और मुझे बिस्तर पर आने को कहा।
‘हे ईश्वर, कुछ भूल होने से बचा लेना..’ मैंने मन ही मन भगवान से प्रार्थना की और धीरे से बिस्तर पे बैठ गया।
मैं उस वक़्त सिर्फ एक तौलिये में था सिर्फ अन्दर एक वी कट जॉकी पहनी हुई थी और ऊपर बिल्कुल नंगा था।
वंदना अब भी बिस्तर के बगल में हाथों में जेल लिए खड़ी थी।
उसने मुझे अपने पैरों को ऊपर करके सीधे लेट जाने को कहा, मैं चुपचाप उसकी बात सुनते हुए अपने पैरों को उठा कर बिल्कुल सीधा लेट गया।
उसने मुझे बिस्तर के थोड़ा और अन्दर की तरफ धकेला और फिर मेरे जाँघों के पास मुझसे बिल्कुल सट कर बैठ गई।
वंदना इस तरह बैठी कि उसका चेहरा मेरी टांगों की तरफ था और सामने मोमबत्ती जल रही थी जिस वजह से मुझे बस उसके शरीर के पीछे का हिस्सा रोशनी की वजह से सिर्फ एक आकार की तरह नज़र आ रहा था। मेरे कूल्हे और उसके कूल्हे बिल्कुल चिपके हुए थे जो अनायास ही मुझे गर्मी का एहसास करा रहे थे।
उसके शरीर से इतना चिपकते ही मेरे लंड ने हरकत शुरू कर दी और धीरे धीरे अपना सर उठाने की कोशिश करने लगा, लेकिन मन में द्वन्द चल रहा था इस वजह से मेरा लंड पूरी तरह सख्त न होकर आधा ही सख्त हुआ और बस मेरी ही तरह वो बेचारा भी उहापोह की स्थिति में फुदक कर अपनी बेचैनी का एहसास करवा रहा था।
अब वंदना ने धीरे से मेरे कमर में लिपटे तौलिये को खोलने के लिए अपने हाथ बढ़ाये और तौलिये का एक सिरा पकड़ कर खींचना शुरू किया। मैंने अपना एक हाथ बढ़ा कर उसे रोकने की कोशिश की लेकिन उसने मेरा हाथ हटा दिया और तौलिये को पूरी तरह से कमर से खोल दिया।
अब स्थिति यह थी कि मैं खुले हुए तौलिये के ऊपर बस एक जॉकी में लेटा हुआ था। उसने अपने हाथ मेरे पैरों पे रख दिया और उन्हें फ़ैलाने का इशारा किया.. उफ्फ्फ… उसके नर्म हाथ पड़ते ही मेरे पैर एक बार तो काँप ही गए थे।
ऐसा पहली बार नहीं था जब मैं किसी लड़की के सामने ऐसे हालात में था… लेकिन उन लड़कियों या औरतों को मैं मन से चोदने के लिए तैयार रहता था और इस बार बात कुछ और थी।
मैं वंदना के साथ इस हालत में होकर भी उसे चोदने के बारे में सोच नहीं पा रहा था… अगर रेणुका का ख्याल दिमाग में न होता तो अब तक वंदना मेरी जगह इस हालत में लेती होती और मैं उसकी जाँघों की मालिश कर रहा होता।
खैर, मोमबत्ती की रोशनी में जैसे ही वंदना ने मेरे जाँघों पे पड़े छालों को देखा उसके मुँह से एक सिसकारी निकल गई- हे भगवन… कितना जल गया है! और आप कह रहे थे कि कुछ हुआ ही नहीं?
उसकी आवाज़ में फिर से मुझे रोने वाली करुण ध्वनि का एहसास हुआ।
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