RE: bahan sex kahani बहन की कुँवारी चूत का उद्...
मैने ये बात आज़माने की सोची और हिम्मत करके, उठकर उनके पास जाकर खड़ा हो गया..
दीदी ने मेरी तरफ देखा और मुस्कुराइ, और अपने काम मे लगी रही… मैं साइड मे खड़ा हुआ उनकी छातियों की गोलाई नापने की कोशिश कर रहा था..
वो काम करते-2 बोली : “अब क्या हुआ, क्या देख रहा है…?”
उन्होने जिस अंदाज मे, मुस्कुराते हुए ये बात कही थी, उससे सॉफ पता चल रहा था कि वो जानती है कि मेरी नज़रें इस वक़्त कहाँ है और मेरी तरह उनके मन मे भी गुदगुदी हो रही है.
और अचानक मैने उनसे कहा स्टाचु, और वो जम कर वही खड़ी रह गयी..
मैं धीरे से उनके पीछे आया और उनसे बिल्कुल सट कर खड़ा हो गया… यानी अपने लंड वाला हिस्सा उनकी गान्ड से लगाकर..मैने अपने हाथ उनके पेट पर रखकर उन्हे बाँध सा लिया..
वैसे तो इस तरह की टचिंग और हग करना हम दोनो मे आम सी बात थी, पर आज ये कुछ ख़ास तरह का एफेक्ट डाल रही थी…
मैं जिस पोज़िशन मे खड़ा था, वहाँ से मैं आगे झुककर उनके बूब्स को देख पा रहा था… और मेरे इतने करीब खड़े होने की वजह से दीदी की नन्ही छातियाँ उपर – नीचे होने लगी…
मुझे उनके उठते-गिरते सीने के बीच रह-रहकर नन्हे बूब्स की छवि भी दिख रही थी… और वो देख कर मेरा लंड झटके मारने लगा… और शायद ये झटका दीदी ने भी महसूस किया…और पहली बार वो स्टाचु की गेम बीच मे ही छोड़कर भागती हुई अपने कमरे मे चली गयी..
मैं पीछे खड़ा हुआ उनके हिलते चूतड़ देखता रह गया…
अब मुझे पूरा यकीन हो चुका था कि वो मेरी इन हरकतों का विरोध नही करेगी… और मैं रोबीले अंदाज मे उन्हे खेल से भागने की सज़ा देने के लिए उनके रूम की तरफ चल दिया.
मैं दीदी के रूम मे पहुँचा तो वो बिस्तर पर ओंधी पड़ी हुई अपनी साँसों पर काबू पाने की असफल कोशिश कर रही थी. मैं भी बेड पर जाकर उनके करीब लेट गया, हम दोनो के चेहरे एक दूसरे के बिल्कुल करीब थे.
मैं : “क्या हुआ दी, आपने गेम को बीच मे क्यो छोड़ दिया ”
पायल दीदी ने अपनी आँखे खोली और शराबी आँखो से मुझे देखते हुए कह : “तुम्हारी बदमाशी की वजह से, क्यो पकड़ा था मुझे तुमने पीछे से ?”
उनकी आवाज़ मे हल्की मिठास के साथ एक छुपी हुई सी शिकायत थी..
मैं : “अर्रे, ये तो हम अक्सर करते है, आज क्या हो गया आपको, मुझे तो नही लगता कि ये बदमाशी कहलाएगी ”
पायल (शरमाते हुए) : “बदमाशी तुम नही कोई और कर रहा था ..”
उनकी ये बात सुनते ही मेरी नसें सुलग उठी… यानी वो मेरे पप्पू की हरकत का ज़िक्र कर रही थी..
मैं फिर भी अंजान बनता हुआ बोला : “क्या दीदी, मैं कुछ समझा नही…”
पायल : “तू सब समझने लगा है आजकल..तभी तो तेरी नज़रें बदमाशियाँ करने पर उतारू है..”
मैं मंद-2 मुस्कुरा उठा…
फिर मैं अचानक बोला : “चलो, ये सब छोड़ो आप, मैं तो यहाँ आपको गेम को बीच मे छोड़ने की सज़ा देने आया हूँ…चलो अब खड़ी हो जाओ और जैसा मैं कहूँ वैसा करो..”
वो बिना किसी विरोध के खड़ी हो गयी, मेरा मन तो कर रहा था कि उन्हे कस कर पकड़ लूँ और सज़ा के तौर पर अनगिनत किस्सस कर दूं और शायद वो मना भी नही करेंगी…पर ऐसा करने की मेरी हिम्मत नही हुई.
मैं : “अब आप 10 पुश अप्स लगाओ यही, मेरे सामने…”
‘मेरे सामने’ बोलते हुए मैने कुछ ज़्यादा ही ज़ोर दिया
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