RE: bahan sex kahani बहन की कुँवारी चूत का उद्...
कमाल की बात ये थी कि पूरा समय मैं और जय कपड़े पहने ये सब करते रहे और वो दोनो नंगी होकर…
पर अब नंगा होने का समय हमारा था…
हम दोनो के लंड तंबू बनाकर अपनी हालत को बयान कर रहे थे…
अब उन दोनो को हम दोनो को उसी अंदाज मे सॅटिस्फाइ करना था जैसे हमने उन्हे किया था.
हम दोनो ने आनन-फानन मे अपने-2 कपड़े उतार फेंके और उन्ही की तरह नंगे होकर उनके सामने लेट गये.
पायल दी की नज़रें कभी मेरे और कभी जय के लंड पर घूम रही थी, वो शायद दोनो के लंड का साइज़ कंपेर करने की कोशिश कर रही थी, मैने पहले भी जय का लंड देखा था सिनिमा हॉल मे, वो भले ही मेरे लंड से थोड़ा सा लंबा था पर मेरा लंड काफ़ी मोटा था जबकि उसका काफ़ी पतला, पर कड़क दोनो थे.
ऐसी उम्र मे कड़क लंड ही निकलते है लोंडो की पेंट मे से.
पायल दी की तरह काजल ने भी मेरे लंड को जी भरकर देखा, उसके मुँह मे पानी आ रहा था, उसने तिरछी नज़र करके जय के लंड को भी देखा, और ठीक उसी वक़्त जय की नज़रें भी चोरी चुपके काजल के नन्हे बूब्स को ताक रही थी, दोनो भाई बहेन की नज़रें एक दूसरे से टकराई और अपनी-2 चोरी पकड़े जाने के बाद दोनो सकपका कर अपने-2 माल की तरफ ध्यान लगाकर खड़े हो गये.
खैर, इस व्क़्त तो मुझे भी पायल से ज़्यादा काजल मे इंटेरेस्ट था, उसने जैसे ही मेरे लंड पर अपने कोमल हाथ लगाए मैं रोमांच और खुशी से चिल्ला सा पड़ा.
”आआहह उम्म्म्मममम”
और लगभग यही आवाज़ जय की तरफ से भी आई.
पायल दी ने उसके लंड को अपनी मुट्ठी मे क़ैद करके मसलना शुरू कर दिया था, उसकी दोनो जाँघो को अपनी बाहों के नीचे दबा कर वो उसके लंड की अच्छे से मालिश कर रही थी.
काजल ने थोड़ी देर तो मेरे लंड को अच्छे से मसला और फिर मैने उसके चेहरे को पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया और अपने चेहरे के करीब लाकर मैने उसके होंठों को चूम लिया, उसके होंठ इस वक़्त बिल्कुल नर्म पड़ चुके थे, उनमे से भारी मात्रा मे शहद निकल कर मेरे मुँह मे जाने लगा, उसका हाथ अभी भी मेरे लंड पर ही था, वो उसे मसालती रही और मेरे हाथ उसके बूब्स पर आकर उन्हे मसल्ने लगे.
धीरे-2 मैने किस तोड़ी और उसे नीचे खिसकाना शुरू कर दिया, उसके चेहरे की मुस्कान बता रही थी कि वो मेरी बात समझ गयी है, वो भी अपने लरजते हुए होंठों को फड़काती हुई धीरे-2 नीचे तक गयी और मेरे लंड पर आकर उसका चेहरा जम सा गया.
उसने एक नज़र मेरी तरफ देखा और फिर लंड को परखने लगी.
ये उसकी लाइफ का पहला लंड था जो वो इतने करीब से देख रही थी, सिनिमा हॉल मे हालाँकि वो इसे चूस चुकी थी, पर अच्छे से देख नही पाई थी.
उसने अपनी जीभ निकाली और लंड के टोपे पर लगी बूँद को उसने चूस लिया, स्वाद तो उसे पहले ही पता था, ऐसा नशा चढ़ा उसे वो बूँद चाटकर कि उसने एक ही बार मे उसे पूरा अंदर लेकर बुरी तरह से चूसना शुरू कर दिया, जैसे कोई भूतनी चढ़ गयी हो उसमे, मेरे टटटे सहलाती हुई वो मेरे लंड को बाँसुरी की तरह बजाने मे लगी थी, उसके नन्हे बूब्स पर लगे निप्पल्स मेरी जाँघो पर चुभ रहे थे, जो मेरे अंदर एक अलग ही तरह का सेन्सीशन पैदा कर रहे थे.
मेरी आँखे बंद होती चली गयी और मैं आनंद सागर मे गोते लगाने लगा.
|