Muslim Sex Stories सलीम जावेद की रंगीन दुनियाँ
04-25-2019, 11:53 AM,
#21
RE: Muslim Sex Stories सलीम जावेद की रंगीन दुन�...
चौधराइन 

भाग 19 - उस्ताद मदन


"नही, कपड़े खराब हो जायेंगे।
तभी उसके दिमाग में आया की क्यों ना पीछे से लण्ड डाला जाये, कपड़े भी खराब नही होंगे।

"मामी, पीछे से डालु,,,?,,,,,,कपड़े खराब नही होंगे,,,।"

मामीलण्ड पर से अपने हाथ को हटाते हुए बोली,
"नही, बहुत टाईम लग जायेगा,,,,,,,,,रात में पीछे से डालना"

मदन ने उर्मिला देवी के कन्धो को पकड़ कर उठाते हुए कहा,
"प्लीज मामी,,,,,,,,,,,,उठो ना, चलो उठो,,,,,,,,,,"

"अरे, नही रे बाबा,,,,,,,मुझे बाजार भी जाना है,,,,,,,,ऐसे ही देर हो गई है,,,,,,,,,"

"ज्यादा देर नही लगेगी, बस दो मिनट,,,,,,,"

"अरे नही रे, तू छोड़ न, ,,,,,,,,,"

" हाँ तुम्हारा काम तो वैसे भी हो गया न क्या मामी ??? मेरे बारे में भी तो सोचो, थोड़ा तो रहम करो,,,,,,,,,,,,हर समय क्यों तड़पाती…?"

"तु मानेगा नही,,,,,,,,"

"ना, बस दो मिनट दे दो,,,,,,,,,"

"ठीक है, दो मिनट में नही निकला तो खुद अपने हाथ से करना,,,,,,,,मैं नही रुकने वाली."
उर्मिला देवी उठ कर, डाइनिंग़ टेबल के सहारे अपने चूतड़ों को उभार कर घोड़ी बन गई। मदन पीछे आया, और जल्दी से उसने मामी की साड़ी को उठा कर कमर पर कर दिया। कच्छी तो पहले ही खुल चुकी थी। उर्मिला देवी की मख्खन मलाई से, चमचमाते गोरे गोरे बड़े बड़े चूतड़ मदन की आंखो के सामने आ गये। उसके होश फ़ाखता हो गये।

उर्मिला देवी अपने चूतड़ों को हिलाते हुए बोली,
"क्या कर रहा है ?, जल्दी कर देर हो रही है,,,,,,,,,।"

चूतड़ हिलाने पर थेरक उठे। एकदम गुदाज और माँसल चूतड़, और उनके बीच की खाई। मदन का लण्ड फुफकार उठा।
"मामी,,,,,,,आपने रात में अपना ये तो दिखाया ही नही,,,,,,,उफफ्, कितना सुंदर है मामी,,,,,,,,,!!!।"

"जो भी देखना है, रात में देखना पहली रात में क्या तुझे चूतड़ भी,,?,,,,,,,तुझे जो करना है, जल्दी कर,,,,,,,,,,,"

"ओह, शीईईईईई मामी, मैं हंमेशा सोचता था, आप का पिछ्वाड़ा कैसा होगा। जब आप चलती थी और आपके दोनो चूतड़ जब हिलते थे. तो दिल करता था की उनमे अपने मुंह को घुसा कर रगड़ दु,,,,,,उफफफ् !!!"

"ओह होओओओओओओओ,,,,,,,,जल्दी कर ना,,,,,,,,"
कह कर चूतड़ों को फिर से हिलाया।

"चूतड़ पर एक चुम्मा ले लुं,,,,,,,?"

"ओह हो, जो भी करना है, जल्दी कर. नही तो मैं जा रही हुं,,,,,"
मदन तेजी के साथ नीचे झुका, और पच पच करते हुए चूतड़ों को चुमने लगा। दोनो माँसल चूतड़ों को हाथों में दबोच मसलते हुए, चुमते हुए, चाटने लगा। उर्मिला देवी का बदन भी सिहर उठा। बिना कुछ बोले उन्होंने अपनी टांगे और फैला दी।

मदन ने दोनो चूतड़ों को फैला दिया, और दोनो गोरे गोरे चूतड़ों के नीचे चुद चुद के सावली होरही बित्ते भर की चूत देख बीच की खाई में जैसे ही मदन ने हल्के से अपनी जीभ चलायी। उर्मिला देवी के पैर कांप उठे। उसने कभी सोचा भी नही था, की उसका ये भांजा इतनी जल्दी तरक्की करेगा।

मदन ने देखा की चूतड़ों के बीच जीभ फिराने से चूत अपने आप हल्के हल्के फैल्ने और सिकुड़ने लगा है, और मामी के पैर हल्के-हल्के थर-थरा रहे थे।

"ओह मामी, आपकी चूत कितनी,,,???,,,,,,,,उफफफफ्फ्फ् कैसी खुशबु है ?,,,,


इस बार उसने जीभ को पूरी खाई में ऊपर से नीचे तक चलाया, उर्मिला देवी के पूरे बदन में सनसनी दौड़ गई। उसने कभी सपने में भी नही सोचा था, की घर में बैठे बीठाये उसकी चूत चाटने वाला मिल जायेगा। मारे उत्तेजना के उसके मुंह से आवाज नही निकल रही थी। गु गु की आवाज करते हुए, अपने एक हाथ को पीछे ले जा कर, अपने चूतड़ों को खींच कर फैलाया।

मदन समझ गया था की मामी को मजा आ रहा है, और अब समय की कोई चिन्ता नही है। उसने चूतड़ों के के ठीक पास में दोनो तरफ अपने दोनो अंगूठे लगाये, और दरार को चौड़ा कर जीभ नुकीली कर के पेल दी। चूत में जीभ चलाते हुए चूतड़ों पर हल्के हल्के दांत भी गड़ा देता था। चूत की गुदगुदी ने मामी को एकदम बेहाल कर दिया था। उनके मुंह से सिसकारियाँ निकलने लगी,
"ओह मदन, क्या कर रहा है, बेटा ??,,,,,,,उफफफ्फ्,,,,,,,,मुझे तो लगता था तुझे कुछ भी नही,,,,,,पगले, शशशशीईईईईईईईई उफफफफ चाआट्ट रहा हैएएएए,,,,,,मेरी तो समझ में नहीईई,,,,,,,,।"

समझ में तो मदन के भी कुछ नही आ रहा था मगर चूतड़ों पर मुँह मारते काटते हुए बोला,
" पच्च पच्च,,,,मामी शीईईईईई,,,,,,,मेरा दिल तो आपके हर अंग को चुमने और चाटने को करता है,,,,,,आप इतनी खूबसुरत हो,,,मुझे नही पता था चूतड़ों चाटी जाती है या नहीई,,,,,,हो सकता है नही चाटी जाती होगी मगर,,,,,,मैं नही रुक सकता,,,,,,,मैं तो इसको चुमुन्गा और चाट कर खा जाऊँगा, जैसे आपकी चूत,,,,।"

"शीईईई,,,,,,,एक दिन में ही तु कहाँ से कहाँ पहुंच गया ? माहिर हो गया ,,,,, उफफफ्फ् तुझे मेरे चूतड़ इतने पसंद हैं तो चाट,,,,,,चुम,,,,,,उफफफ शीईईईईई बेटा,,,,,,बात मत कर,,,,,मैं सब समझती हूँ,,, तू जो भी करना चाहता है करता रह।"
मदन समझ गया की रात वाली छिनाल मामी फिर से वापस आ गई है। वो एक पल को रुक गया अपनी जीभ को आराम देने के लिये, मगर उर्मिला देवी को देरी बरदाश्त नही हुई। पीछे पलट कर मदन के सिर को दबाती हुई बोली,
"उफफफ् रुक मत,,,,,,,,,जल्दी जल्दी चाट....."

मगर मदन भी उसको तड़पाना चाहता था। उर्मिला देवी पीछे घुमी और मदन को उसके टी-शर्ट के कोलर से पकड़ कर खिंचती हुई डाइनिंग़ टेबल पर पटक दिया। उसके नथुने फुल रहे थे, चेहरा लाल हो गया था। मदन को गरदन के पास से पकड़, उसके होठों को अपने होठों से सटा कर खूब जोर से चुम्मा लिया। इतनी जोर से जैसे उसके होठों को काट खाना चाहती हो, और फिर उसके गाल पर दांत गड़ा कर काट लिया। मदन ने भी मामी के गालो को अपने दांतो से काट लिया।

"उफफ्फ् कमीने, निशान पड़ जायेगा,,,,,,,,,रुकता क्यों है,?,,,,,,,जल्दी कर, नही तो बहुत गाली सुनेगा,,,,,,,,,,और रात के जैसा छोड़ दूँगी..."

मदन उठ कर बैठता हुआ बोला, "जितनी गालीयां देनी है, दे दो,,,,,"
और चूतड़ पर कस कर दांत गड़ा कर काट लिया। 

"उफफफ,,,,,,,हरामी, गाली सुन ने में मजा आता है, तुझेएए,,,,????"

मदन कुछ नही बोला, चूतड़ों की चुम्मीयां लेता रहा,

",,,,,,आह, पच पच।"

उर्मिला देवी समझ गई की, इस कम उमर में ही छोकरा रसिया बन गया है।
चूत के भगनशे को अपनी उँगली से रगड़ कर, दो उन्ग्लीयोन को कच से बुर में पेल दिया. बुर एकदम पसीज कर पानी छोड़ रही थी। चूत के पानी को उँगलीयों में ले कर, पीछे मुड कर मदन के मुंह के पास ले गई. जो कि चूतड़ चाटने में मशगुल था और अपनी चूतड़ों और उसके मुंह के बीच उँगली घुसा कर पानी को रगड़ दिया। कुछ पानी चूतड़ों पर लगा, कुछ मदन के मुंह पर।

"देख, कितना पानी छोड़ रही है चूत ?, अब जल्दी कर,,,,,,,,"

पानी छोड़ती चूत का इलाज मदन ने अपना मुंह चूत पर लगा कर किया। चूत में जीभ पेल कर चारो तरफ घुमाते हुए चाटने लगा।

"ये क्या कर रहा है, सुवर ??,,,,,,,,खाली चाटता ही रहेगा क्या,,,,,मादरचोद ?, उफफ् चाट, चूतड़ों, चूत सब चाट लेएएएए,,,,,,,,,,भोसड़ी के,,,,,,,लण्ड तो तेरा सुख गया है नाआअ,,,,!!!,,,,,,,हरामी…चूतड़ खा के पेट भर, और चूत का पानी पीईईईईई,,,,,,,,,ऐसे ही फिर से झड़ गई, तो हाथ में लण्ड ले के घुमनाआ,,,,,,"

मदन समझ गया कि मामी से नही रहा जा रहा था. जल्दी से उठ कर लण्ड को चूत के पनियाये छेद पर लगा, धचाक से घुसेड़ दिया। उर्मिला देवी का बेलेन्स बिगड़ गया, और टेबल पर ही गिर पड़ी. चिल्लाते हुए बोली,
"उफ़ बदमाश, बोल नही सकता था क्या ?,,,,,,,,,, ,,,,,,,,,चूत,,,,,,,,आराम सेएएएएए......."
पर मदन ने सम्भलने का मौका नही दिया। धचा-धच लण्ड पेलता रहा। पानी से सरोबर चूत ने कोई रुकावट नही पैदा की। दोनो चूतड़ों के मोटे-मोटे माँस को पकड़े हुए, गपा-गप लण्ड डाल कर, उर्मिला देवी को अपने धक्को की रफतार से पूरा हिला दिया था, उसने। उर्मिला देवी मजे से सिसकारियाँ लेते हुएचू में चूतड़ों उचका-उचका कर लण्ड ले रही थी।

फच-फच की आवाज एक बार फिर गुन्ज उठी थी। जांघ से जांघ और चूतड़ टकराने से पटक-पटक की आवाज भी निकल रही। दोनो के पैर उत्तेजना के मारे कांप रहे थे।

"पेलता रह,,,,,,और जोर से माआआरर,,,,,,बेटा मार,,,,,फ़ाड़ दे चूत,,,,,,मामी को बहुत मजा दे रहा हैएएएएए,,,,,,,,। ओह चोद,,,,,,,,,देख रे मेरी ननद, तूने कैसा लाल पैदा किया है,,,,,,,,,तेरे भाई का काम कर रहा है,,,,,,,,ऐईईईई.......फाआआअड दियाआआआअ सल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्लेएएए नेए,,,,,,,,,,"

"ओह मामी, आअज आपकी चूत,,,,सीईईईई,,,,,मन कर रहा, इसी में लण्ड डाले,,,,,ओह,,,,सीईईईई,,,,,,सीई बस ऐसे ही हंमेशा मेरा लण्ड लेती,,,,,,,,........"
"हाय चोद,,,,,बहुत मजा,,,,,,सीईईइ चूतड़ोंचाटु,,,,,तु ने तो मेरी जवानी पर जादु कर दिया,,,,,"

"हाय मामी, ऐसे ही चूतड़ों को हिला हिला-हिला हिला के लण्ड ले,,,,,सीईईइ, जादु तो तुमने किया हैईई,,,,,,,,,,अहसान किया है,,,,इतनी हसीन चूत, मेरे लण्ड के हवाले करके,,,,'पक पक',,,,,लो मामी,,,,,ऐसे ही चूतड़ों नचा-नचा के मेरा लण्ड अपनी चूत में दबोचो,,,,,,,,,,,सीईईई"

"जोर लगा के चोद ना भोसड़ी के,,,,,,,देख,,,,,,,,,,,,,देख तेरा लण्ड गया तेरी मामी की चूत में,,,,,,, डाल साले,,,,,,पेल साले,,,,,पेल अपनी, मुझे,,,,,,,चोद अपनी मामी की चूत,,,,,,रण्डी की औलाद,,,,,,साला,,,,,मामीचोद,,,,,,"

'''''फच,,,,,,फच,,,,,फच,,,,,''''''''

और, एक झटके के साथ उर्मिला देवी का बदन अकड़ गया.
"ओह,,, ओह,,,, सीईई,,,, गई, मैं गई,,,,"
करती हुई डाइनिंग़ टेबल पर सिर रख दिया। झड़ती हुई चूत ने जैसे ही मदन के लण्ड को दबोचा, उसके लण्ड ने भी पिचकारी छोड़ दी. 'फच फच' करता हुआ लण्ड का पानी चूत के पसीने से मिल गया। दोनो पसीने से तर-बतर हो चुके थे। मदन उर्मिला देवी की पीठ पर निढाल हो कर पड़ गया था। दोनो गहरी गहरी सांसे ले रहे थे।
जबरदस्त चुदाई के कारण दोनो के पैर कांप रहे थे। एक दूसरे का भार सम्भालने में असमर्थ। धीरे से मदन मामी की पीठ पर से उतर गया, और उर्मिला देवी ने अपनी साड़ी नीचे की और साड़ी के पल्लु से पसीना पोंछती हुई सीधी खड़ी हो गई।

वो अभी भी हांफ रही थी। मदन पास में पडे टोवेल से लण्ड पोंछ रहा था। मदन के गालो को चुटकी में भर मसलते हुए बोली,
"कमीने,,,,,,,अब तो पड़ गई तेरे लण्ड को ठंड,,,,,,पूरा टाईम खराब कर दिया, और कपड़े भी,,,,,"

"पर मामी, मजा भी तो आया,,,,,,,,सुबह-सुबह कभी मामा के साथ ऐसे मजा लिया है,,,,,,"

मामी को बाहों में भर लिपट ते हुए मदन बोला। उर्मिला देवी ने उसको परे धकेला,
"चल हट, ज्यादा लाड़ मत दिखा तेरे मामा अच्छे आदमी है। मैं पहले आराम करूँगी फिर बाजार जाऊँगी, और खबरदार, जो मेरे कमरे में आया तो, तुझे ट्युशन जाना होगा तो चले जाना "

"ओके मामी,,,,,पहले थोड़ा आराम करूँगा जरा."
बोलता हुआ मदन अपने कमरे में, और उर्मिला देवी बाथरुम में घुस गई। थोड़ी देर खट पट की आवाज आने के बाद फिर शान्ती छा गई।
मदन युं ही बेड पर पड़ा सोचता रहा की, सच में मामी कितनी मस्त औरत है, और कितनी मस्ती से मजा देती है। उनको जैसे सब कुछ पता है, की किस बात से मजा आयेगा और कैसे आयेगा ??। रात में कितना गन्दा बोल रही थी,,,,,,' मुंह में मुत दूँगी ',,,,,,ये सोच कर ही लण्ड खड़ा हो जाता है. मगर ऐसा कुछ नही हुआ. चुदवाने के बाद भी वो पेशाब करने कहाँ गई, हो सकता है बाद में गई हो मगर चुदवाते से समय ऐसे बोल रही थी जैसे,,,,,,,,शायद ये सब मेरे और अपने मजे को बढ़ाने के लिये किया होगा। सोचते सोचते थोड़ी देर में मदन को झपकी आ गई।

एक घंटे बाद जब उठा तो मामी जा चुकी थी वो भी तैयार हो कर ट्युशन पढ़ने चला गया। दिन इसी तरह गुजर गया। शाम में घर आने पर दोनों एक दूसरे को देख इतने खुश लग रहे थे जैसे कितने दिनो के बाद मिले हो, शायद दोनों शाम होने का इन्तजार सुबह से कर रहे थे । फिर तो जल्दी जल्दी खाना पीना निबटा, दोनों बेड्रूम मे जा घुसे और उस रात में दो बार ऐसी ही भयंकर चुदाई हुई की दोनो के सारे कस-बल ढीले पड़ गये। दोनो जब भी झड़ने को होते चुदाई बन्द कर देते। रुक जाते, और फिर दुबारा दुगने जोश से जुट जाते। मदन भी खुल गया। खूब गन्दी गन्दी बाते की। मामी को ' साली,,,,,,चुदक्कड़ मामी,,,,,,,,, ' कहता, और वो खूब खुश हो कर उसे ' हरामी चूतखोर ,,,, ,,,,,,' कहती।

उर्मिला देवी के शरीर का हर एक भाग थूक से भीग जाता, और चूतड़ों, चूचियों और जांघो पर तो मदन के दांत के निशान पड़ जाते। उसी तरह से मदन के गाल, पीठ और सीना उर्मिला देवी के दांतो और नाखुन के निशान बनते थे।
घर में तो कोई था नही. खुल्लम-खुल्ला जहां मरजी, वहीं चुदाई शुरु कर देते थे दोनो। मदन अपनी लुंगी हटा मामी को साड़ी पेटीकोट उठा गोद में लण्ड पर बैठा कर ब्लाउज में हाथ डाल चूचियाँ सहलाते हुए टी वी देखता था फ़िर चुदास बढ़ जाने पर वही सोफ़े पर चोद देता। किचन में उर्मिला देवी बिना सलवार के केवल लम्बी कमीज पहन कर खाना बनाती और मदन से कमीज उठा कर, दोनो जांघो के बीच बैठा कर चूत चटवाती। या मदन पीछे से चूतड़ों पर लण्ड रगड़ता या मामी चूत में केला डाल कर उसको धीरे धीरे करके खिलाती । अपनी बेटी की फ्रोक पहन कर, डाइनिंग़ टेबल के ऊपर एक पैर घुटनो के पास से मोड़ कर बैठ जाती और मदन को सामने बिठा कर अपनी नंगी चूत दिखाती और दोनो नाश्ता करते। चुदास लगने पर मदन मामी को वहीं पड़ी डाइनिंग टेबिल पर लिटा के खड़े खड़े चोद देता।
मामी मदन का लण्ड खड़ा कर, उस पर अपना दुपट्टा कस कर बांध देती थी। उसको लगता जैसे लण्ड फट जायेगा मगर चूतड़ों चटवाती रहती थी, और चोदने नही देती। दोनो जब चुदाई करते करते थक जाते तो एक ही बेड पर नंग-धडंग सो जाते।
शायद, चौथे दिन सुबह के समय मदन अभी उठा नही था। तभी उसे मामी की आवाज सुनाई दी,
" मदन……मदन बेटा,,,।"

मदन उठा देखा, तो आवाज बाथरुम से आ रही थी। बाथरुम का दरवाजा खुला था, अन्दर घुस गया। देखा मामी कमोड पर बैठी हुई थी। उस समय उर्मिला देवी ने मैक्सी जैसा गाउन डाल रखा था। मैक्सी को कमर से ऊपर उठा कर, कमोड पर बैठी हुई थी। सामने चूत की झांटे और जांघे दिख रही थी।

मदन मामी को ऐसे देख कर मुस्कुरा दिया, और हस्ते हुए बोला,

"क्या मामी, क्यों बुलाया,,,?"

"इधर तो आ पास में,,,,,,,", उर्मिला देवी ने इशारे से बुलाया।

"क्या काम है ?,,,,,,,यहाँटट्टी करते हुए."

मदन कमोड के पास गया और फ्लश चला कर. झुक कर खड़ा हो गया। उसका लण्ड इतने में खड़ा हो चुका था।

उर्मिला देवी ने मुस्कुराते हुए. अपने निचले होठों को दांतो से दबाया और बोली.
"एक काम करेगा ?"

"हां बोलो, क्या करना है,,,?"

"जरा मेरी चूतड़ धो दे ना,,!!??,,,,,,"
कह कर उर्मिला देवी मुस्कुराने लगी। खुद उसका चेहरा लाल हो रहा था । मदन का लण्ड इतना सुनते ही लहरा गया। उसने तो सोचा भी नही था, की मामी ऐसा करने को बोल सकती है। कुछ पल तो युं ही खड़ा, फिर धीरे से हँसते हुए बोला,
"क्या मामी ?, कैसी बाते कर रही हो ?।

इस पर उर्मिला देवी तमक कर बोली, "तुझे कोई दिक्कत है, क्या,,,?"

"नही, पर आपके हाथ में कोई दिक्कत है, क्या,,,,,?"

"ना, मेरे हाथ को कुछ नही हुआ, बस अपने चूतड़ों को तुझसे धुलवाना चाहती,,,,,,,,?।"

मदन समझ गया की, 'मामी का ये नया नाटक है. सुबह सुबह चुदवाना चाहती होगी। यहीं बाथरुम में साली को पटक कर चोद दूँगा, सारा चूतड़ धुलवाना भुल जायेगी।' उर्मिला देवी अभी भी कमोड पर बैठी हुई थी। अपना हाथ टोईलेट पेपर की तरफ बढ़ाती हुई बोली,
"ठीक है, रहने दे,,,,,चूतड़ों को चाटेगा, मगर धोयेगा नही,,,,,,आना अब चूने भी तो,,,,,,,,,,"

"अरे मामी रुको…नारज क्यों होती हो,,,,,,,मैं सोच रहा था, सुबह सुबह,,,,,,,लाओ मैं धो देता हुं.?

और टोईलेट पेपर लेकर, नीचे झुक कर चूतड़ को अपने हाथों से पकड़ थोड़ा सा फैलाया. जब चूतड़ों का छेद ठीक से दिख गया, तो उसको पोंछ कर अच्छी तरह से साफ किया, फिर पानी लेकर चूतड़ों धोने लगा । मदन ने देखा कि मामी को इतना मजा आ रहा था की चूत के होंठ फरकने लगे थे।
चूतड़ों के सीकुडे हुए छेद को खूब मजे लेकर, बीच वाली अंगुली से चूत तक रगड़-रगड़ कर धोते हुए बोला,
"मामी, ऐसे चूतड़ धुलवा कर, लण्ड खड़ा करोगी तो,,,,,,,,??!!।

उर्मिला देवी कमोड पर से हँसते हुए, उठते हुए बोली,
"तो क्या,,?,,मजा नही आया,,,,,???"
बेसिन पर अपने हाथ धोता हुआ मदन बोला,
"वो तो ठीक है पर…दरअसल मुझे कुछ दिखा था जरा आप यहाँ खड़ी हो तो”

और मामी को कमर से पकड़ कर, मुंह की तरफ से दीवार से सटाकर बोला –
“जरा थोड़ा झुको मामी।”
मामी “क्या है रे” कहते हुए झुक गईं।
मदन एक झटके से उसकी मैक्सी ऊपर कर दी, अब उनके बड़े बड़े चूतड़ों के नीचे उनकी गीली बित्ते भर की चूत गीला भोसड़ा साफ़ दिख रहा था। बस फ़िर क्या था मदन ने अपनी शोर्टस् नीचे सरका, फनफनाता हुआ लण्ड निकाल कर उस गीले भोसड़े पर लगा जोर का धक्का मार बोला –“ मजा तो अब आयेगाआ,,,,,,!!!।"

उर्मिला देवी ' आ उईईइ क्या कर रहा है कंजरे,?,,,,छोड़...' बोलती रही, मगर मदन ने बेरहमी से तीन-चार धक्को में पूरा लण्ड पेल दिया और हाथ आगे ले जा कर चूचियाँ थाम निपल मसलते हुए, फ़टा फ़ट धक्के लगाना शुरु कर दिया। पूरा बाथरुम मस्ती भरी सिसकारीयों में डुब गया. दोनो थोड़ी देर में ही झड़ गये। जब चूत से लण्ड निकल गया, तो उर्मिला देवी ने पलट कर मदन को बाहों में भर लिया।
कुछ ही दिनो में मदन माहिर चोदु बन गया था। जब मामा और मोना घर आ गये, तो दोनो दिन में मौका खोज लेते जैसे कि लन्च टाइम में मदन कालेज से आ चोद के चला जाता और छुट्टी वाले दिन कार लेकर, शहर से थोड़ी दुरी पर बने फार्म हाउस पर काम करवाने के बहाने निकल जाते।

जब भी जाते मोना को भी बोलते चलो, मगर वो तो होमवर्क मे व्यस्त होती थी, मना कर देती। फिर दोनो फार्म हाउस में मस्ती करते।

क्रमश:…………………………
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RE: Muslim Sex Stories सलीम जावेद की रंगीन दुन�... - by sexstories - 04-25-2019, 11:53 AM

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