RE: Muslim Sex Stories सलीम जावेद की रंगीन दुन�...
चौधराइन
भाग 22 - समझौता चौधराइन का
कहने को तो मदन जोश में कह गया पर चौधराइन के जाने के बाद उसके दिमाग ने सोचा कि ये मैंने चौधराइन से ये कैसा बेवकूफ़ी भरा वादा कर लिया इस तरह तो मैं दिनरात इनकी चूत ठन्डी करने में ही लगा रहूँगा और इस गाँव में भरी तरह तरह कि चूतों का स्वाद न ले पाऊँगा। पर जल्दी ही उसके शैतानी दिमाग को एक शान्दार आइडिया सूझ गया।
हुआ यों कि एक दिन एक नये नये जवान हुए चिकने लड़के चिन्टू को ले उसकी भरी पूरी गदराई जवान खूबसूरत माँ चम्पा मदन के पास आई।
चम्पा –“मदन बेटा, ये मेरा लड़का चिन्टू पढ़ता लिखता तो है नहीं दिनभर शैतानी करता रहता है। आप चौधराइन से कह के इसे किसी काम पे लगा दो तो धीरे धीरे कुछ सीख जायेगा और बड़ा होने तक अपनी रोजी रोटी तो कमा ही लेगा।”
मदन उन्हें ले के चौधराइन के पास गया और सारी बात बताई ।”
सारी बात सुन चौधराइन ने माँ बेटे को थोड़ी देर बाहर बैठ इन्तजार करने के लिए बोल मदन को सलाह करने के लिए अन्दर बुलाया।
चौधराइन –“लौंडा है तो मेरे रजिस्टर में दर्ज करने लायक
मदन –“और उसकी माँ मेरे खाते लायक।
चौधराइन –“क्या बकता है।”
मदन –“क्यों मेरा मन नही होता नये नये तजुर्बे करने का?
चौधराइन –“पर तूने तो मुझसे वादा किया था कि अब तू अपनी ताकझाँक बन्द कर देगा।“
मदन –“तब आपने रजिस्टर कहाँ खोला था?
चौधराइन –“पर जरा संभल के।
मदन –“ आप फ़िक्र न करो। तो आज से तय रहा जो लड़का आपका उसकी माँ बहन मेरी।”
चौधराइन –“ठीक है। बुलाओ।”
मदन ने माँ बेटे को अन्दर बुलाय।
चौधराइन –“ठीक है। शुरू में मैं इसे हल्का काम दूँगी ताकि इसे काम करने की आदत पड़े। इसे आज रात भेज देना पँचायतघर की रखवाली करने। इसे सिर्फ़ वहाँ सोना है। ”
दोनों खुशी खुशी चले गये । उस रात जब चौधराइन ने चिन्टू से अपनी चूत जम के बजवाई तो चौधराइन के करतब देख देख मदन भी बहुत उत्तेजित हो गया और उसने भी चौधराइन की चूत धुन डाली। चुदाई से निबट करीब रात के दो बजे जब मदन बगिया वाले मकान पर जा रहा था तो सोच रहा था कि चौधराइन ने तो हरी झन्डी दे दी पर चिन्टू की अम्मा चम्पा फ़ँसानी तो खुद मुझे ही पड़ेगी ।”
भगवान ने खुद ही इसका रास्ता दिखा दिया। हुआ यों कि तीसरे दिन करीब एक बजे दोपहर में चम्पा मदन के पास बगिया वाले मकान पर आई और
मदन –“ आओ चम्पा चाची। कहो कैसी हो?”
चम्पा –“मैं तो ठीक हूँ पर चिन्टू बड़ा थका थका रहता है । ऐसा क्या काम कराती है चौधराइन?”
मदन –“कुछ नहीं बस पँचायत घर में सोता है।”
चम्पा(हँसकर) –“अरे सोने से कहीं कोई थकता है बेटा।”
मदन ने सोचा हँस रही है क्यों न इसका मन टटोलने के देखे सो बोला –“क्यों तुम रात में सोती हो तो नहीं थकती क्या या चन्दू(चम्पा का पति) चाचा नहीं थकते ।”
चम्पा उसका दोहरा मतलब समझ गयी, उसके मन में गुदगुदी सी हुई क्योंकि उसने भी गाँव में मदन के कारनामों की कहानियाँ सुनी थीं हँस के बोली –“अरे मेरी बात और है मैं तो तुम्हारे चन्दू चाचा के मारे……वो भी कभी जब वो मुझे……हटो। क्या फ़ालतू बात ले……।” यह बोलते बोलते चम्पा शर्मा के चुप हो गई। फ़िर संभल के आगे बोली –“ पर वो तो अकेला…।”
और वो फ़िर शर्मा गई।
मदन मजाक के ढ़ंग से –“कौन जाने शायद चौधराइन चाची साथ में……।”
चम्पा हँसते हुए –“ क्या मजाक करते हो बेटा कहाँ चौधराइन कहाँ जरा सा बच्चा।”
मदन मुस्कुराकर –“ जरा सा बच्चा क्यों। मेरी ही उमर का होगा और चौधराइन चाची तुम्हारी उमर की।”
चम्पा भी अब शर्म छोड़ पूरी तरह बहस के मूड में आ गयी थी मुस्कुरा के बोली –“हाँ माना तेरी ही उमर का है पर हम बुढ़ियों और तेरी उमर वाले का क्या तालमेल?
मदन आश्चर्य प्रकट करते हुए –“तुम्हें बुढ़िया बताने वाले को मैं अन्धा ही कहूँगा । मुझे तो ताज्जुब है कि तुम और चन्दू चाचा रोज क्यों नहीं थकते । चाचा शायद तुम्हें नाजुक समझ के………।”
चम्पा –“ चुप कर बेटा ये सब कोई रोज रोज थोड़े ही………।”
मदन –“ये तो अगर मैं चन्दू चाचा होता तो बताता।”
पता नही बात चीत की झोंक में या शायद जानबूझ के चम्पा कह गई –“अच्छा तो तू आज बता ही दे।”
बस मदन ने चम्पा चाची का गदराया बदन बाहों में भर लिया उसकी मजबूत बाहों के उमंग भरे कसाव में चम्पा को एक अनोखा अनुभव हुआ पर उसने छूटने की एक कमजोर सी कोशिश की –“छोड़ बेटा क्यों मजाक करता है।”
इसबार मदन ने गम्भीर आवाज और चमकती आँखों से चम्पा चाची की उत्तेजना के खुमार से भरती आँखों में झाँक के कहा –“ये मजाक नहीं है चाची यही तो मैं साबित करना चाहता हूँ।”
ऐसा बोलते हुए मदन चम्पा चाची को लिए लिए ही बिस्तर पर गिर पड़ा।
चम्पा उत्तेजना से काँपती आवाज में–“ अरे अरे कहीं कोई आ गया तो…………?
आगे का वाक्य चम्पा के मुँह में ही घुट गया क्यों कि मदन ने उसके होठों को अपने होठों मे दबा लिया नये जवान होते लड़के का जिस्म और की बाँहो का कसाव चम्पा को अपने चढ़ती जवानी की याद दिला रहा था वो अपना आपा खोती जा रही थी और मदन से लिपटती जा रही थी एक दूसरे के होठों को चूसते चूसते कब दोनों के जिस्म से कपड़े उतर गये पता ही नहीं चला । जब दोनों के होठ अलग हुए तो बुरी चम्पा ने हाँफ़ते हुए मदन से कहा –“क्या सचमुच मैं अभी भी तेरे जैसे जवान लड़के को लुभाने लायक हूँ।”
मदन चम्पा चाची के ऊपर से उठ के बैठ गया और एक भरपूर नजर बिस्तर पर नंगधड़ंग पड़ी चम्पा चाची पर डाली और बोला –“मैं झूठ नहीं बोलूँगा दरअसल मेरी उमर के लड़कों को नईजवान लड़कियों से औरतें ज्यादा पसन्द आती हैं और औरतों में आप बेजोड़ हैं।”
चम्पा चाची –“अगर तू सच कहता है तो ताज्जुब नहीं रोज रात में चौधराइन मेरे चिन्टू को चूस डालती हो।”
मदन –“अरे छोड़ो चाची दोनो साले मजा करते होंगे अभी थोड़ी देरे में तुमको मेरी बात का विश्वास हो जायेगा।”
ये कह मदन ने अपने दोनों हाथों से उनकी केले के खम्बों जैसी जाँघें पकड़ के फ़ैलायी और अपने फ़ौलादी लण्ड का सुपाड़ा उनकी फ़ूली हुई चूत के रसीले मुहाने पर रखा । फ़िर अपने दोनों हाथों में उनकी बड़े बड़े खरबूजों जैसी चूचियाँ थाम के धक्का मारा। चम्पा के मुँह से निकला –“आआह्ह्ह!
सुपाड़ा अन्दर जा चुका था पर इसके बाद मक्कार मदन रुक गया और चम्पा चाची की बड़े बड़े खरबूजों जैसी चूचियाँ दबा दबाके निपल ऐसे चूसने लगा जैसे कोई आम चूस के खाता है। उसकी इस हरकत से उत्तेजित हो चम्पा ने अपने भारी चूतड़ उछाल उछाल के उसका पूरा लण्ड अपनी चूत में धाँस लिया और झुँझला के फ़ुसफ़ुसाई –“अगर तू ऐसे करता रहा तो मैं बिना चुदे बिना थके ही झड़ जाऊँगी। फ़िर तू साबित कैसे करेगा कि तू चम्पा चाची को थका सकता है।”
बस मदन इसी बेकरारी का तो इन्तजार कर रहा था उस भरी दोपहरी में बगिया के उस एकान्त मकान में मदन ने चम्पा चाची के जिस्म और दिमाग को अपनी जोशखरोश से भरी चुदाई से इतना मजा दिया कि वो अपने घर ऐसे थिरकते हुए लौट रही थीं जैसे कि वो एक बार फ़िर जवान हो गई हों। चम्पा चाची ने शाम को अपने पति (चन्दू) के आने पर उन्होंने बड़ी आवभगत की और रात में खुद पहल कर चन्दू चाचा को चुदाई के लिए उकसाया। दोपहर में जो कुछ मदन की चुदाई से सीखा था वो सब चन्दू चाचा के साथ फ़िर से दोहरा के आजमाया।
चन्दू को बहुत मजा आया और बड़ा आश्चर्य हुआ। चुदाई के बाद उसने पूछा –“आज तू बड़ी खुश है चम्पा।”
चम्पा चन्दू के बालों भरे चौड़े सीने पर हाथ फ़ेरते हुए –“ खुश क्या चिन्टू की चिन्ता दूर हुई वैद्यजी(सदानन्द) के लड़के ने चौधरी के यहाँ लगवा दिया।”
चन्दू –“कौन वो मदन?”
चम्पा बोली –“हाँ वही। मुझे तो बड़ा सीधा लगता है पर लोग तो पता नहीं क्या क्या कहते हैं।”
चन्दू –“हाँ ताज्जुब तो मुझे भी है मैं एक गरीब किसान हुँ पर हमेशा आते जाते अपनी तरफ़ से चाचा राम राम कहना कभी नहीं भूलता । मुझे लगता है चौधरी की बगिया में जो चोर नौकर थे वो ही बदनाम करते हैं क्यों कि सालों को मदन ने निकाल दिया।”
चम्पा मुस्कुराई और मन ही मन सोंचा अब तो और भी राम राम करेगा –“खैर हमें क्या अपना लड़का ठिहे से लग गया।”
चन्दू उसकी चूत पर हाथ फ़ेर कर –“ठीक बात क्यों न इसी खुशी में बार और हो जाये
चम्पा ने उसके लण्ड पर हाथ रखा –“हाय दैया! ये तो फ़िर खड़ा हो गया।”
चन्दू चम्पा के ऊपर आ के सुपाड़ा चूत पर लगाते हुए–“खुशी मना रहा है न।“
चम्पा की इतनी चुदाई शादी वाली रात भी नहीं हुई थी जितनी आज हुई।
अगले दिन खेत पर जाते समय चन्दू मदन से मिल उसका आभार प्रकट करते हुए गया। मदन ने चन्दू को इतना खुश कभी नहीं देखा था।
उसी दिन चम्पा चाची ने मदन को मिल रात के किस्से की जानकारी दी तो मदन की समझ मे सारा माजरा आया वो हँसते हुए बोला –“ वाह चाची भतीजे से सीख चाचा पे आजमाया और उन्हें खुश भी कर दिया। तुमने कमाल कर दिया।
चम्पा –“कमाल तो तूने कर दिया हमें खुश रहना सिखा दिया। सारे करतब तेरे ही तो सिखाये हुए हैं ।”
मदन –“मिलती रहा करो, चाची ऐसे ऐसे करतब बताऊँगा कि चाचा को आप जन्नत की हूर लगेंगी।”
चम्पा –“जुग जुग जियो बेटा। आज तो नही परसों दोपहर एक बजे आऊँगी।”
मदन –“ठीक है चाची।”
तो इस तरह शुरू हुई चौधराइन की चूत की चौधराहट। अब हाल ये है कि चौधराइन को कोई नया शिकार मिले, तो उसके घर की औरते माँ बहन जो भी मदन को पसन्द आ जाय, चौधराइन की तरफ़ से उन्हें चोदने की छूट है और दूसरी ओर अगर गाँव की कोई औरत मदन से फ़ँस जाती हैं तो उनके लड़कों के लण्ड से चौधराइन अपनी चूत सिकवाती हैं । समाप्त
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