RE: Muslim Sex Stories सलीम जावेद की रंगीन दुन�...
भाग 4 - ट्रेन में जंग चम्पा भाभी के संग
गतांक से आगे…………
अगले दिन जब सब सो के उठे तो कम्मो अपने दोनों मुहबोले भतीजों से नजर मिलाने में झेप रही थी। पर ये दोनों हरामी किसी न किसी बहाने चाची चाची कहते हुए उसके पास पहुँच जाते और बेहद साधारण ढ़ंग से कुछ पूछने लगते । उन हरामियों के चेहरे या हाव भाव में रात के काण्ड का कोई चिन्ह नहीं था ऐसा लग रहा था कि जैसे रात कुछ हुआ ही नही था। पर कम्मो ठहरी औरत की जात लड़कों से नजर मिलते ही वो झेंपने लगती। करीब ग्यारह साढ़े ग्यारह बजे के आस पास उसके बरदास्त के बाहर हो गया पर तभी उसे दोनों हरामियों को अपनी आँखों से दूर भेजने का एक तरीका सूझ गया। बल्लू, बिरजू को अपनी बेटी बेला को बिदा कराने के लिए जाने को कहा। बल्लू, बिरजू बोले कि पहली बिदा का मामला है घर से कोई औरत जानी चाहिये, आप साथ चलो। कम्मो ताड़ गई कि सालों को चस्का लग गया है रास्ते मे चोद चोद के मेरी चूत सुझा देंगे। कोई कितनी भी चुदक्कड़ औरत हो, रात उत्तेजना और जोश में जो हुआ उस तरह के हादसे की शरम झेंप के समय के साथ मिटने से पहले वो फ़िर उस चक्कर में पड़ना नहीं चाहेगी ।
कम्मो –“मुझे बहुत काम है मैं धन्नो से कह के उसे तुम्हारे साथ कर देती हूँ।”
दोनो बहुत खुश हुए कि धन्नो काकी को पटाने का मौका मिलेगा।
कम्मो, अपना सारा झगड़ा किनारे रख धन्नो के पास झेंपी लजाई सी पहुँची और बेला को बिदा कराने के लिए जाने को बोला ।
धन्नो ने कम्मो को इतनी शराफ़त से बात करते कभी नहीं देखा था साथ ही उसकी(कम्मो की) शकल ऐसी लग रही थी जैसे नई बहू सुहाग रात के बाद खिली खिली झेंपी लजाई सी लगती है। धन्नों ने सोंचा आज चूँकि इसका मेरी मदद के बगैर काम नही चल रहा इसी लिए शरमा रही है। खैर सम्बन्ध सुधारने के ख्याल से उसने न नहीं की पर मजबूरी जताते हुए बोली –“कल खेत से अनाज आने वाला है जिज्जी अगर तुम अकेले सम्हाल सको तो मैं चली जाऊँ।
कम्मो ने सोचा अगर अनाज में कुछ कम ज्यादा हो गया तो सुधरते सम्बन्ध फ़िर बिगड़ जायेंगे सो हड़बड़ा के बोली –“नहीं धन्नो मेरे अकेले से न सपरेगा क्यों न बहू चम्पा को बल्लू, बिरजू के साथ भेज दें ।”
धन्नों ने हाँ कर दी। अब तो बल्लू, बिरजू की खुशी का ठिकाना नहीं था क्योंकि चम्पा भौजी को पटाने का मौका मिल रहा था। दोनो हरामी चम्पा भौजी को पटा के चोदने का ख्वाब देखने लगे और उसके लिए तरह तरह की तरकीबें सोचने लगे ।
बल्लू और बिरजू, दोनों भाई चम्पा भाभी को साथ ले शाम की ट्रेन से बेला को विदा करने के लिए चले। कम्मों ने कुछ तो धन्नो को खुश करने के ख्याल से, क्योंकि उसकी बहू साथ थी और कुछ अपनी झेंप के कारण बल्लू और बिरजू को जल्दी से जल्दी अपनी नजरों से दूर करने के ख्याल से उन्हें फ़र्स्ट क्लास के कूपे से भेजा था तीनों फ़र्स्ट क्लास के कूपे में चढ़े। टी टी लेडीज़ सवारी देख उनके पास आया और बताया कि कूपे में चौथी कोई सवारी नहीं है तो यदि वो चाहें तो कूपा अन्दर से बन्द कर लें। बल्लू और बिरजू ने फ़ौरन कूपा अन्दर से बन्द केर लिया। चम्पा नीचे की सीटों पर तकिया चद्दर लगाने लगी बल्लू और बिरजू, ने पैंट उतार के लुन्ग़ी बांध ली और पीछे खड़े उसके बड़े बड़े कसे हुए उभरे चूतड़ देखते हुए चम्पा को पटाने के लिए आगे की योजना सोच रहे थे। कुछ ही देर में बिस्तर ठीक कर चम्पा उठ कर जैसे ही पलटी और दोनो को घूरते देख सकपकाकर बोली –“अरे तुम दोनो ऐसे खड़े क्यों हो। बैठ जाओ खाने का वख़्त हो गया है चलो खाना निबटा लें।”
दोनो हड़बड़ा के एक बर्थ पर बैठ गये तो चम्पा ने सामने की बर्थ पर बैठकर खाना निकाला। बल्लू और बिरजू ने दारू की बोतल निकाली और तीन गिलासो में डालते हुए बोले –“लो भाभी थोड़ी तुम भी पी लो थकान उतर जायेगी और नींद अच्छी आयेगी।”
दिन भर की थकी चम्पा ने भी सोचा कि हिलती खड़खड़ करती ट्रेन में नींद कैसे आयेगी सो उसने थोड़ी नानुकुर के बाद ग्लास उठा लिया। दोनों हरामियों ने खाने के दौरान कई बार, चम्पा की नजर बचा के उसका खाली होता गिलास दोबारा भर दिया सो चम्पा करीब तीन पैग तो अनजाने में ही पी गयी सरूर चढ़ने पर उसे अच्छा लगने लगा तो चौथा पैग उसने माँग के पिया। खाना खतम होते होते उसे काफ़ी नशा हो गया था।
खाना खत्म कर तीनों इत्मीनान से बैठे तो बल्लू बोला –“हम सब हमेशा काम में लगे रहते हैं कभी बैठ के बाते करने का मौका ही नहीं आया। अगर नींद न आ रही हो तो आइये भाभी थोड़ी देर बैठ कर गप्पें मारी जायें।“
चम्पा पहली बार घर से निकली थी उसे भी बड़ों की गैर मौजूदगी का बेरोकटोक माहौल बहुत अच्छा लग रहा था । वो खुशी खुशी दोनों के बीच बैठ के बातें करने लगी। जल्द ही दोनों हरामियों बड़ी चालाकी से बातचीत का रुख देवर भाभी के मजाक की तरफ़ मोड़ा ।
बल्लू –“भाभी मदन भैया बहुत दिनों से नहीं आये कब आयेंगे?”
चम्पा –“पिछले महीने आये थे अब अगले महीने आयेंगे । दो महीने पर आते हैं।”
बिरजू –“तब तो आप बहुत अकेलापन महसूस करती होंगी।”
आमतौर पर नशे में इन्सान भावुक होता है और बातो के भाव के हिसाब से उदास और खुश होता है । यही चम्पा के साथ हुआ, नशे मे होने की वजह से बिरजू की बात से चम्पा पर तुरन्त उदासी का दौरा सा पड़ गया, बोली –“हाँ बिरजू भाई, वो तो है, पर किया भी क्या जा सकता है?”
बल्लू (मजाकिया ढंग से जैसे भाभी की उदासी दूर करने की कोशिश कर रहा हो ) –“हम हैं न आपके देवर आपका अकेलापन दूर करने के लिये जब बतायें हाजिर हो जायेंगें।”
बल्लू की बात पे सब ठहाका मार के हंस पड़े, बस फ़िर क्या था देवर भाभी वाला मजाक भी शुरू हो गया।
नशे मे धुत चम्पा की उदासी भी काफ़ुर हो गई। बल्लू की पीठ पर धौल जमा के हँसते हुए बोली –“ज्यादा बातें न बना सामने आजाऊँगी तो शरमा के भाग खड़े होगे अपने मदन भैया की तरह । आखिर हो तो उन्हीं के भाई ।”
बिरजू –“ क्या मतलब? मदन भैया भाग खड़े हुए थे ? कब?”
चम्पा –“ सुहागरात को और कब? जब लोगों ने उनसे मेरे कमरे में जाने को बोला, तो बोले कि मुझे शरम आती है और बाहर भागने लगे, लोगों ने बहुत समझा बुझा के अन्दर भेजा ।”
बल्लू –“अच्छा फ़िर क्या हुआ पूरा किस्सा बताओ न भाभी।“
नशे मे धुत चम्पा को ये अहसास ही न था कि हँसी हँसी में बात का रुख किधर जा रहा है सो नशे की झोंक में हँसते हुए बोली –
“ठीक है तो सुनों जब बड़ी मुश्किल से ये अन्दर आये तो बिस्तर के एक तरफ़ कोने में बैठ गये। मैं पहले से ही काफ़ी देर से बैठी थी और बैठे बैठे थक चुकी थी । मैंने सोचा कि अगर ये ऐसे ही सारी रात बैठे रहे तो शरम के मारे न मैं लेट सकूँगी न सो सकूँगी। सो मैंने धीरे से कहा –“मैं कोई आपको काट थोड़ी खाऊँगी थक गये होंगे आराम से लेट जाइये ।”
खैर तब इन्हें ख्याल आया कि मैं भी बैठे बैठे थक चुकी होऊँगी सो बोले –“ठीक है मैं बत्ती बुझा देता हूँ तुम भी लेट के आराम करो थक गयी होगी।”
तुम्हारे मदन भैया बत्ती बुझाने गये तो मैं बिस्तर के इसी तरफ़ जिधर बैठी थी वहीं लेट गयी वो बत्ती बुझा के वापस आये तो शायद उन्होंने सोचा कि मैं बिस्तर के इस तरफ़ उनके लिए जगह छोड़ के लेटी होऊँगी । सो वो अन्धेरे में उसी तरफ़ लेटने लगे और इस कोशिश में मेरे बदन पर गिर पड़े। उनके भारी बदन के दबाव से मेरे मुँह से निकला – उई मर गई !
मदन बौखला के बोले – अरे! माफ़ करना मैं समझा तुम दूसरी तरफ़ होगी।”
चम्पा के मुँह से मदन की कही ये बात सुन बल्लू बोला -“वाह देखा भाभी! भले घर के इज्जतदार आदमी की यही पहचान है वो कोई हमारी तरह लाअवारिस हरामी थोड़े ही हैं।”
चम्पा( बल्लू के कन्धे पेर आत्मीयता से हाथ रखकर) –“ अरे नहीं बल्लू भैया! मैं तो तुम दोनों को सगा देवर ही समझती हुँ। अब आगे की कहानी तो सुनो मदन की बौखलाई आवाज से मेरी हँसी निकल गई और मेरी हँसी सुन मदन भी हँसने लगा।
बल्लू –“थोड़ा खुलासाकर समझाकर बताओ भाभी ।”
चम्पा(चौंक कर) –“समझाकर? क्या मतलब ?
बिरजू –“मतलब जैसेकि जब मदन भैया तुम्हारे ऊपर गिरे तो उनके बदन का कौन सा हिस्सा तुम्हारे बदन के किस हिस्से से टकराया था।
चम्पा(चौंक कर) –“ये कैसे समझाऊँ ?
बिरजू –“मेरे ख्याल से बल्लू तू लेट जा और भाभी तुम बल्लू पर गिर पड़ो तो बात पूरी तरह समझ में आ जायेगी?
बिना चम्पा के जवाब का इन्तजार किये बल्लू चम्पा के दोनो कन्धे पकड़ के सीट से खड़ा करते हुए बोला –“ठीक है तुम पहले खड़ी हो जाओ मैं लेटता हूँ क्योंकि अगर तुम लेटी और मैं तुम्हारे ऊपर गिरा तो तुम्हें चोट लग सकती है। ऐसा कहकर उसने चम्पा को खड़ा कर दिया और उसी बर्थ पेर लेट गया । तभी बिरजू ने चम्पा को कुछ सोचने का मौका दिये बगैर बल्लू पर गिरने का इशारा किया, वो थोड़ा झिझकी तो बिरजू ने यह कहते हुए पीछे से धीरे से धक्का दिया –“अरे भाभी अपना बल्लू ही तो है ।”
नशे मे धुत चम्पा उस हल्के से धक्के से लड़खड़ाई और बल्लू के ऊपर गिर पड़ी।
चम्पा के सीने के ब्लाउज़ मे बन्धे दोनों बड़े बड़े बेल बल्लू की चौड़ी चकली छाती से पेट पेट से जाँघे जाँघों से कहने का मतलब चम्पा का पूरा गुदाज बदन बल्लू के कद्दावर शरीर से टकराया ।
बल्लू की मजबूत भुजायें चम्पा की पीठ से लिपट गयीं और वो बोला – वाह भाभी तब तो मदन भैया को बहुत मजा आया होगा ।
नशे की झोंक मे चम्पा बोली –“शायद तू ठीक कह रहा है क्यों कि उन्होंने भी मुझसे अलग होने के बजाये और लिपटा लिया था पर अब तू तो छोड़ मुझे या तू भी मजा ले रहा है। छोड़ मुझे या मार खायेगा मुझसे।”
बल्लू -“अरे मार लेना भाभी तुम्हारे देवर ही तो हैण अभी तो कह रहीं थी कि मैं तुम दोनों को सगा देवर समझती हुँ। सो तुम्हारे मारने से कौन हमारी इज़्ज़त घट जायेगी। अच्छा पहले पूरी कहानी तो सुना दो फ़िर मारना।”
एक तो दो महीने से भरी पूरी खूबसूरत जवानी के जोश से भरी चम्पा की अपने मर्द और उसके उसके मर्दाने जिस्म से मुलाकात नहीं हुई थी ऊपर से दारू का नशा सो उसके जिस्म को भी बल्लू के गठीले बदन का इस तरह लिपटना अच्छा ही लग रहा था उसने सोचा बदन से बदन सट जाने से क्या फ़रक पड़ता है देवर ही तो है कुछ कर थोड़े ही रहा है। फ़िर भी शरम से झेंपते हुए चम्पा अपने को छुड़ाने की हल्की सी कोशिश करते हुए मुस्कुरा के बोली –“आगे की कहानी में बताने लायक कुछ नहीं है तुम खुद समझदार हो एक बार लिपट जाने के बाद तुम्हारे मदन भैया क्या छोड़ने वाले थे। पूरा किस्सा खतम कर के ही छोड़ा।”
बिरजू –“ मैं कुछ समझा नही भाभी! मदन भैया ने क्या किस्सा खतम कर के ही छोड़ा।”
बिरजू की बात सुन बल्लू के ऊपर पड़ी उसकी भुजाओं में फ़ँसी चम्पा ने पीछे गरदन घूमा के बिरजू की तरफ़ देखा तो चम्पा को उसकी लुंग़ी में तम्बू सा उभरा खड़ा हो चुका लण्ड साफ़ नजर आ रहा था । तभी उसके नीचे लेटे बल्लू के लण्ड ने भी चम्पा के पेट पर ठुनका मारा। चम्पा ने एक बार फ़िर छूटने की कोशिश की –“देख बल्लू इतना मजाक काफ़ी है अच्छा! अब छोड़ मुझे।
-“अरे भाभी इतना क्यों घबरा रही हो देवरों के साथ थोड़ी मौज मस्ती करने में क्या हर्ज है वहाँ शहर में मदन भैया जाने कहाँ कहाँ मुँह मारते फ़िरते होंगे।”
कहकर बिरजू पीछे से लिपट गया और उसका लण्ड चम्पा के चूतड़ों मे गड़ने लगा। अब आगे से बल्लू का लण्ड चम्पा के पेट पर और पीछे से बिरजू का उसके चूतड़ों मे ठुनका ले रहा था। बिरजू की इस हरकत पे चम्पा बोली –“ ये क्या कर रहा है बिरजू ?”
बिरजू –“वाह भाभी बल्लू इतनी देर से आप से लिपटा हुआ है उससे तो आपने कुछ नही कहा अब जैसे ही मैं आया आप पूछ रही हैं कि ये क्या?”
दारू का नशा सुहाग रात की बात चीत, चुहुलबाजी और जवान मर्दाने शरीरों की रगड़ घिस्स से चम्पा का बदन भी गरम हो रहा था और चूत भी दुपदुपाने लगी थी
बात चम्पा के हाथ से निकलती जा रही थी उसके शरीर को ये सब अच्छा भी लग रहा था सो वह ज़्यादा विरोध नही कर पा रही थी पर फ़िर भी चम्पा कसमसाते हुए बोली –“अच्छा अब तो दोनों लिपट लिये अब तो हटो।”
बिरजू -“बस थोड़ी देर और भाभी मैं तो बस अभी अभी आया हूँ।”
तभी बल्लू चम्पा और बिरजू के बदन के भार से कराहा –“अबे! वो सब ठीक है पर अपने शरीर का वजन अपने हाथों पैरों पर रख, भाभी तो दबी जा रही होयेगी ही और मैं तो तुम दोनों के वजन से पिसा ही जा रहा हूँ ।”
सुनकर चम्पा और बिरजू को हँसी आ गयी और बिरजू ने अपना बदन का भार अपने हाँथों और घुटनों पर सम्हाल लिया।
चम्पा का सर बल्लू के सीने पर था उसने हँसते हुए सर उठाया, दोनों की नजरें मिली तो बल्लू ने थोड़ा अपना शरीर थोड़ा नीचे खिसकाते हुए चम्पा के होठों पर होठ रख दिये चम्पा को उसके लण्ड का उभार अपने पेट से सरकते हुए चूत पर पहुँचता महसूस हुआ। चम्पा कसमसाई तो बल्लू ने उसके होठ चूसते हुए अपनी बाहों का सिकँजा और कस दिया। चम्पा की कसमसाहट और विरोध घटता जा रहा था और दो जवान मर्दों के बीच फ़ँसा उसका बदन गरम होता जा रहा था। बल्लू ने एक लम्बा चुम्मा ले के जब अपने होठों की पकड़ ढीली की तो उत्तेजना से लाल चम्पा ने, काबू से बाहर हो रहे अपने जिस्म को छुड़ाने की नाकाम सी कोशिश कर हाँफ़ते हुए कहा
–“ देखो, हम लोग ये ठीक नहीं कर रहे हमें अपनी हदमें रहना चाहिये आखिर मैं तुम्हारि भाभी हूँ ये पाप है और ऐसा करना तुम्हारे मदन भैया को धोखा देने जैसा है।”
बल्लू -“अरे भाभी फ़िर वही बात! आप इतना क्यों घबरा रही हो जैसाकि बिरजू ने कहा देवरों के साथ थोड़ी मौज मस्ती करने में कोई हर्ज नहीं। वैसे भी कौन से हम आपके सगे देवर हैं सो भाभी के साथ गलत सही करने का पाप पड़ने वाली कोई बात ही नहीं । रही मदन भैया को धोखा देने वाली बात सो जैसा कि बिरजू ने बताया मदन भैया वहाँ शहर में जाने कहाँ कहाँ मुँह मारते फ़िरते ही होंगे।”
चम्पा के दिमाग में नशे और उत्तेजना की वजह से बल्लू बिरजू के द्वारा बार बार कही उनकी ये बात, आसानी से घर करने लगी कि मदन जरूर शहर में दूसरी औरतों के साथ मजे करता होगा । अब उसका विरोध ना के बराबर हो गया, वो हथियार डालने के अन्दाज में बोली –“देखो अगर किसी को पता चल गया तो बड़ी बदनामी होगी मैं तो कही कि न रहुँगी।”
-“अरे भाभी! तुम काहे फिकर करती हो यहाँ ट्रेन के बन्द डिब्बे में कौन सा कैमरा या एक्स रे का इन्तजाम है जो कोई देख लेगा । ऐसा मौका बार बार नही मिलता, इसका फ़ायदा उठाओ, मजे करो। हमने आपको भाभी कहा है तो निभायेंगे, आप बस मदन भैया से बचे खुचे अपने प्यार का थोड़ा सा हिस्सा हम गरीब देवरों की झोली में डाल दें। हम आपका अहसान मानेंगे हम सब संभाल लेंगे। वगैरह वगैरह
तभी बल्लू ने चम्पा की चूत को उसके घाघरे के ऊपर से अपनी मुट्ठी में भर लिया चम्पा –“आह! छोड़ दे न बल्लू बहुत हुआ।”
बल्लू(ब्लाउज़ मे हाथ डालते हुए) -“अरे भाभी देखो अब ज़्यादा नखरा मत करो, हम भी जानते हैं कि तुम्हारी चूत को लंड चाहिए फिर नखरा क्यो कर रही हो।”
चम्पा –“उफ़! ये बात नहीं है बल्लू भाई मैं डरती हूँ कि कहीं तुम लोगों के मुँह से ये बात किसी के सामने निकल गई तो मैं तो कहीं की न रहूँगी। जैसे कि जरा सा ढील देते ही जैसे तुम लोगों ने पहले तो बड़ी बड़ी बातें कर मुझे मना लिया पर अब बहक कर गन्दी बाते कर रहे हो।”
- “अरे वो तो हम तुम्हें खुलने और माहौल को गरम करने के ख्याल से कर रहे हैं वरना हम तो इतने गुपचुप काम करते हैं कि बगल वाले को भी खबर न लगे तुम्हीं बताओ हम कल रात हमने कम्मो चाची की चूत और गद्देदार पिछ्वाड़ा तबीयत से चोदा हुई खबर तुम्हें आज तक ।”
चम्पा ने जब यह सुना तो कहा –“ हाय राम! कमीनों! शरम करो एक बूढ़ी औरत जिसने तुम्हें अपना बेटा बना पालपोस के इतना बड़ा किया उसके बारे मे ऐसी झूठी बात कह रहे हो ।”
बिरजू(पीछे से चूतड़ों से लण्ड रगड़ते हुए) -“कौन से हम उसके सगे बेटे हैं ये भी तो हो सकता है कि उसने पालपोस के इतना बड़ा इसीलिए किया हो। अच्छा ठीक है! आप को यकीन नही आ रहा न तो फिर एक बात बताओ भाभी! जब तुमने सुबह पूछा कि कम्मो चाची ! रात जब अपने कमरे में गईं थी तो बिल्कुल ठीक थीं अचानक सुबह सुबह लंगड़ा्ने कैसे लगीं तो वो कैसी शरमा के लाल हो गयीं यह तो तुमने भी देखा था । अरे लंगड़ा् इसलिए रहीं थीं क्योंकि एक जमाने के बाद दो दो लंडो से ठुकवा के अगवाड़ा(चूत) और पिछवाड़ा(गांड़) दर्द कर रहा था। जिन कम्मो चाची को तुम बुढ़िया कह रही हो उनकी चूत ऐसी शानदार पावरोटी सी फ़ूली हुई है कि क्या बतायें तुम देखोगी तो मानोगी । इतनी तबीयत से अपनी चूत उठा उठा कर चुदवा रही थी तुम देखती तो ताज्जुब करती । अरे तुम देखना एक दिन तुम्हारे घर मे ही धन्नो काकी की चूत और उनका गद्देदार पिछ्वाड़ा ना मारा तो कहना।”
ऐसे ही बाते करते करते दोनो भाइयो ने अपनी अपनी लूँगी उतार कर अपना अपना काला लंड जब चम्पा को दिखाया तो वह सिहर गई । अब चम्पा ने अपना शरीर उनके ऊपर ढीला छोड़ दिया। अब दोनो भाइयो ने उसे आगे से और पीछे से दबोच लिया और उसके गाल गले होंठ सभी जगह चूमने लगे, जिससे चम्पा की चूत भी गीली होने लगी। बल्लू चम्पा की बड़े बड़े बेलों जैसी चूचियाँ को तबीयत से दबा दबा के मुँह मारने लगा ।
उधर बिरजू चम्पा का घाघरा उठा उसके बड़े बड़े चूतड़ों को दबोच रहा था।
अब बल्लू उसकी चूत को फैला फैला कर और बिरजू गद्देदार पिछ्वाड़े पर मुँह मार मार कर चाटने लगा। चम्पा उत्तेजना से पागल होने लगी थोड़ी ही देर मे चम्पा मे मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी -“आह आह बल्लू बिरजू जल्दी चुदाई शुरू करो अब ज़्यादा देर मत लगाओ।“
बस तभी बल्लू ने चम्पा को बर्थ पर लेटा दिया और उसकी पावरोटी सी चूत के मुहाने पर अपने लंड का सुपाड़ा लगाकर दो तीन बार हथौड़े के अन्दाज से ठोका तो चुदासी पुत्तियो ने अपना मुँह खोल दिया।
बल्लूने रस फ़ेकती चूत के मुहाने पे सुपाड़ा टिका के धक्का मारा तो उसका लंड चम्पा की चूत में आधा घुस के फस गया और चम्पा के मूह से हल्की सी चीख निकल गई-“ उईऽऽऽऽ माँऽऽऽऽऽ!
बल्लू –“भाभी तेरी चूत तो बहुत टाइट है।”
चम्पा –“आऽऽऽह! तेरे भैया तीन तीन महीने पर आते हैं तो ढीली कैसे हो। अब बाते न बना मार धक्का।”
बल्लू ने फिर एक करारा धक्का मारा और पूरा लंड चम्पा की चूत मे समा गया और धीरे धीरे मगर गहरे धक्के मारने लगा ।
चम्पा –“आह ओह मार दिया रे कितना मोटा लंड है तेरा शाबाश आऽअह ओऽह
हाय मैं तो मर गई रे आह आह बल्लू ऐसे ही धीरे धीरे ।”
तभी बिरजू ने चम्पा के हाथ मे अपना लंड पकड़ा दिया चम्पा उसके मोटे लंड को
अपने हाथो मे लेकर सहलाने लगी बिरजू चम्पा के के पास बैठ गया और उसके बड़े बड़े स्तन दबा दबा के बल्लू के मुँह मे देने लगा । जब जब बल्लू निपल चुभलाता चम्पा बिरजू का लंड अपने हाथो मे पकड़ा लण्ड कसकर दबा देती। बिरजू गनगना जाता सो उसे इस खेल में बहुत मजा आने लगा वो बल्लू से बोला –“ऐसे ही जोर जोर से चुभलाओ भैया बडा मजा आ रहा है।”
चम्पा – नहीं बल्लू ऐसे मैं जल्दी झड़ जाऊंगी धीरे धीरे चूस और धीरे धीरे चोद”
तब उसने चम्पा को उठा कर खुद लेट गया और बोला –“आजाओ प्यारी चम्पारानी! भाभी अब तुझे अपने लंड की सवारी करवाता हूँ।”
और चम्पा को अपने लंड पर बैठा दिया चम्पा पूरी मस्त होकर उसके लंड पर कूदने लगी, सारी रात में, ट्रेन के उस डिब्बे में दोनों मुहबोले देवरों से चम्पा कुल मिला के कितनी बार चुदी, ये तीनों मे से किसी को याद नही, पर जब तीनो थक गये तो नंगे ही एक दूसरे से चिपक के सो गये। तीनों ने फ़िर कपड़े अगले दिन सुबह ट्रेन से उतरने से पहले ही पहने। हाँ इस बीच दोनों हरामियों ने चम्पा से बेला को चोदने में मदद करने के लिए मना लिया था और तीनों ने उसकी पूरी योजना भी बना ली थी।
क्रमश:………………………
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