RE: Hindi Porn Kahani गीता चाची
कुछ देर में मजा लेता हुआ पड़ा रहा. चाची की गांड कस के मेरे लंड को पकड़े हुए थी. मैं बस झड़ने ही वाला था. आखिर न रहकर मैने उनकी गांड मारना शुरू कर दी. अब तक सब थूक सूख जाने से मेरा लंड और उनकी गांड का छेद सूख गये थे और इसलिये लंड फ़िसल नहीं रहा था, बस फंसा हुआ था उनकी गांड में. मुझे तो इस घर्षण से बड़ा मजा आया. पर चाची बिलबिला उठीं. गांड में फंसे लौड़े के आगे पीछे होने से उन्हें बहुत तकलीफ़ हो रही थी. पर मै अब इतना उत्तेजित हो गया था कि उनके सिसकने की परवाह न करके कस के दस बारा धक्के लगाये और झड़ गया.
"मजा आ गया चाची, आपकी गांड बड़ी कसी हुई है." मैंने उन्हें चूमते हुए कहा. वे कराह कर बोलीं. "लल्ला, मुझे तो बहुत दर्द हुआ. ऐसी सूखी गांड मारता है कोई भला? गांड मराने का, लंड अंदर बाहर होने का तो मजा आया ही नहीं." फ़िर प्रीति से बोलीं. "जा लाकर तेल ले आ, मैं कहती हूं वैसा कर अब."
चाची की हिदायत के अनुसार मैंने अपना झड़ा लंड आधे से ज्यादा बाहर निकाला. "अरे पूरा मत निकाल नहीं तो फ़िर घुसाते समय मुझे दुखेगा." उस पर प्रीति ने तेल लगाया. फ़िर चम्मच से लंड के आजू बाजू से चाची के गुदा मे तेल छोड़ा. मेरा लंड आधा खड़ा था इसलिये मैंने उसे दो तीन बार अंदर बाहर किया और चाची का गुदा और मेरा लंड तेल से बिलकुल चिकने हो गये.
चाची ने राहत की सांस ली. मेरे लंड को खड़ा होने का समय देने के लिये दस पंद्रह मिनिट हमने मिलकर बारी बारी से प्रीति की चूत चूसी. जब मेरा फ़िर तन्ना कर खड़ा हो गया तो चाची मुझे ललकार कर बोलीं. "अब आ मैदान में लल्ला, अब मार, देखें कितना दम है तुझमें."
अगले आधे घंटे हम दोनों ने असली गांड चुदाई का मजा लिया. लंड मस्त सटक सटक कर गीता चाची की गांड में अंदर बाहर हो रहा था. उधर मैं उनके स्तन अपने हाथों में लेकर उन्हें दबा और मसल रहा था. मैंने खूब हचक हचक कर गांड मारी. चाची भी अब एकदम गरम हो गयी थीं. मुझे उकसा उकसा कर और जोर से पेलने को कह रही थीं और चूतड़ उछाल उछाल कर मरवा रही थीं. मैंने भी आखिर उनकी चुदैल प्रवृत्ति का लोहा मान लिया और आधे घंटे बाद आखिर कसमसा कर झड़ गया. वे अब भी तैश में थीं. "बस हथियार डाल दिये राजा बेटा? अब तेरी जीभ को मेरी चूत की प्यास बुझानी पड़ेगी."
उन्होंने आखिर जब मेरी जीभ से चुदवाया तब जाकर वे झड़ीं. रस की ऐसी धार लगी कि मेरा और प्रीति का पेट भर गया उसे पीकर.
रोज चाची की गांड मारने का एक कार्यक्रम हमारी रति क्रीड़ा में जुड़ गया. अक्सर यह दोपहर को ही होता. हमने बहुत से तरीके भी आजमाये, खड़े खड़े, लेटकर, गोदी में बिठाकर इत्यादि. दीवार से चाची को टिकाकर खड़े खड़े उनकी गांड मारने में काफ़ी मजा आता था. गोद में बिठाने का आसन बहुत देर मजा लेने को सबसे अच्छा था. इस आसन में मैं एक कुर्सी में बैठता था और चाची मेरे लंड को अपने गुदा में लेकर मेरी गोद में बैठ जाती थीं. प्रीति सामने जमीन पर बैठकर चाची की चूत चूसती और मैं उनके मम्मे दबाता हुआ उनसे चूमाचाटी करत हुआ हौले हौले ऊपर नीचे अपना लंड उनकी गांड में मुठियाता.
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