RE: Hindi Porn Kahani गीता चाची
एक तो उनपर प्रेक्टिस करके मेरा हाथ एकदम सध गया. दूसरे उनके मुलायम शरीर को गूंधने में उन्हें और मुझे जो मजा आता था वह मानों बोनस था. खास कर जांघों की मालिश करते करते तो मैं ऐसे अपनी उंगलियों से उनके भगोष्ठ हल्के हल्के रगड़ कर उनकी चूत को तड़पाता कि वे चूतड़ उचकाने लगती थीं. "बस ऐसे ही चाचाजी के साथ करना लल्ला, न तुझ पर चढ़ जायें तो फ़िर कहना." अपनी जांघों को मसलवाते हुई वे मुझे कहतीं.
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हमने प्रीति से शुरू में सब छुपा कर रखने का निश्चय किया इसलिये चाचाजी लौटने वाले थे उस दिन उसे हफ़्ते भर के लिये पास के गांव में उसकी दूर की बुआ के यहां भेज दिया. जब चाचाजी वापस आये तो चाची को खुश देखकर बहुत प्रसन्न हुए. समझ गये कि उनके किशोर भतीजे ने उनकी पत्नी की चूत को खूब तृप्त रखा है. मुझे आंख भी मारी कि बहुत अच्छा किया बेटे.
मेरा अब उनकी ओर देखने का ढंग ही बदल गया था इसलिये उनके आंख मारने से मुझे अजीब गुदगुदी सी हुई. उन्होंने भी मेरी आंखों में और ही कुछ देख होगा क्योंकि वे जरा चकरा से गये. जब कपड़े बदलते हुए मैंने उनके सुडौल शरीर और मजबूत बदन पर गौर किया तो मेरा खड़ा होना शुरू हो गया, ठीक वैसे ही जैसे किसी सुंदर स्त्री को देखकर होता है.
मैंने भी उनके सामने सिर्फ जांघिये में घूमने का कोई मौका नहीं छोड़ा, गर्मी का बहाना लेकर या फ़िर जान बूझकर उनके कमरे में कोई चीज़ ढूंढने का बहाना कर के. उनकी आंखें मेरे किशोर शरीर पर बार बार पड़तीं और वे बड़ी मुश्किल से अपनी निगाहें फ़ेरते कि आखिर मैं उनका सगा भतीजा हूं. पर वे मेरी तरफ़ बहुत आकर्षित होने लगे थे यह मैं समझ गया.
दूसरे ही दिन शाम को मैंने अपना प्लान आजमाने का निश्चय कर लिया. चाचाजी को अटपटा न लगे इसलिये हमें अकेले छोड़ कर चाची तीन चार घंटे के लिये पड़ोस में चली गयीं. उधर चाचाजी ने नहाने के लिये अपने सारे कपड़े निकाले और सिर्फ जांघिया पहनकर बाथरूम जाने लगे. उनके कसे जांघिये में से उनके बड़े लंड का आकार साफ़ दिख रहा था. मैं देख कर घबरा भी गया और उत्तेजित भी हुआ. बाप रे, बैठी हालत में इतना बड़ा है तो खड़ा कैसा होगा?
मैंने कहा. "चाचाजी मालिश कर दूं?" वे रुक कर बोले "अरे अनिल बेटे, तुझे आती है क्या?" मैंने बताया कि चाची की तो रोज करता हूं. इस जवाब पर वे मुस्कराने लगे. उनकी आंखें मेरे बदन पर जमी थीं. मैंने भी सिर्फ एक जांघिया पहना था. मुझे मालूम था कि उन्हें अब अपना भतीजा नहीं बल्कि एक चिकना गोरा छरहरे बदन का खूबसूरत लड़का दिख रहा था. पर उनका सगा भतीजा था इसलिये वे अब भी अपने आप पर काबू किये हुए थे. मैंने फ़िर आग्रह किया तो वे तैयार हो गये.
वे जमीन पर एक चटाई पर लेट गये. मैंने दरवाजा लगा लिया और फ़िर हाथ में तेल लेकर उनके पास नीचे बैठकर उनकी मालिश करने लगा.
पहले तो मैंने उनके हाथों और पैरों पर मालिश की. फ़िर सीने और पेट पर उतर आया. चाचाजी का बदन एकदम चिकना था. छाती पर बाल नहीं थे. उनका शरीर अब मुझे उत्तेजित कर रहा था. उन्हें मैंने पलट जाने को कहा. फ़िर उनकी चौड़ी पीठ और कमर पर तेल लगाकर रगड़ने लगा.
चाचाजी के मोटे मजबूत चूतड़ों का आकार जांघिये में से साफ़ दिख रहा था. मैंने अपने हाथ उनके जांघिये की इलास्टिक के नीचे से अंदर डाले और उनके नितंबों की मालिश करने लगा. वे थोड़ा कसमसाये. मैं समझ गया कि उनका लंड अब खड़ा होने लगा होगा. मैने जान बूझ कर बड़े प्यार से नितंबों की खूब मालिश की, एक दो बार मेरी उंगली उनके गुदा पर से भी गयी. उस समय वे सिहर से जाते.
मैंने उन्हें फ़िर पलटने को कहा. वे आनाकानी करने लगे. मैं समझ गया कि लंड खड़ा है. मेरा भी अब तक जोर से खड़ा हो गया था. मौका अब करीब था. मैने जिद करके अपनी मनवा ही ली. वे पलटे तो उनके जांघिये में ये बड़ा तंबू बना था. चाचाजी के चेहरे पर थोड़ी शर्मिंदगी थी पर फ़िर उन्होंने मेरे जांघिये में भी तना हुआ लंड का आकार देखा. मैं चुपचाप उनकी ओर बिना देखे उनकी छाती और फ़िर जांघों की मालिश करता रहा.
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