Antarvasna kahani नजर का खोट
04-27-2019, 12:32 PM,
#9
RE: Antarvasna kahani नजर का खोट
झट से उसकी आँख खुल गयी उसने खुद पर गौर किया उसकी सांसे फूली हुई थी जैसे मिलो दौड़ लगायी हो उसने पूरा बदन पसीना पसीना हुआ पड़ा था जबकि कमरे में पंखा पूरी रफ़्तार से चल रहा था तो फिर ये पसीना कैसे उसकी आँखों के सामने अभी तक वो मंजर घूम रहा था जो शायद उसने सपने में ही देखा था 

पता नहीं ये क्या बचैनी थी ये कैसा अहसास था जो उसकी नींद को उड़ा ले गया था उसने फिर से सोने की कोशिश की पर नींद आ नहीं रही थी किसी अनजाने डर का अंदेशा सा हो रहा था 

अपने डर से झुझते हुए मैं धीर धीरे आ रहा था आस पास अगर भी कुछ तेज होती तो मैं कांप जाता था कुछ और आगे आया तो मैंने देखा की कच्ची सड़क जो जंगल की तरफ जाती थी उस तरफ ऊंट गाडियों का काफिला जा रहा था तो मैं चौंक सा गया क्योंकि जंगल काफी दूर तक फैला हुआ था और उसकी दूसरी तरफ सरहद थी जिसके बारे में मैंने बस सुना ही था 

मैं उन गाडियो की तरफ देखते हुए बेध्यानी में चले जा रहा था तभी मुझे ठोकर लगी और मैं गिर गया और साथ ही लालटेन का शीशा भी टूट गया बेडागर्क, मैंने खुद को कोसा पता नहीं कब मैं अपना रास्ता छोड़ कर उ रास्त पर हो लिया जहा वो ऊंट गाडिया जा रही थी 

मैं बस चले जा रहा था पर आगे जाने पर मैंने देखा की ऊंट गाड़िया पता नहीं किस तरफ निकल गयी थी और कोई आवाज भी नहीं आ रही थी मैंने खुद को ऐसी जगह पर पाया जहा मैं पहले कभी नहीं आया था आस पास घने पेड़ तो नहीं थे पर फिर था तो जंगल ही डर फिर से मुझ पर हावी होने लगा मैंने वापिस जाना ही मुनासिब समझा पर मुताई सी लग आई थी तो मुतने लगा और तभी मेरी नजर एक हलकी सी रौशनी पर पड़ी , इस जंगल में रौशनी जैसे कोई दिया टिमटिमा रहा हो मैंने टाइम का अनुमान लगाया करीब साढ़े दस –ग्यारह तो होगा या ऊपर भी हो सकता है पर इतनी रात में कौन हो सकता है देखू के नहीं .......... नहीं जाने दे क्या पता क्या बवाल हो 

फिर ध्यान में आया की किस्से- कहानियो में सुना था की जंगल में भुत-प्रेत भी होते है तो अब जी घबराने लगा कुछ छलावो के बारे में भी सुना था की वो तरह तरह की माया दिखा कर ओगो को अपनी तरफ खींचते है तो दिल घबराने लगा तभी कुछ आवाज सी आई तो मैं और घबरा गया पर उत्सुकता होने लगी तो कुछ सोचा और जी को मजबूत करके मैं उस तरफ चला

“आह आई ”मेरे होंठो से आह निकली मैंने देखा पाँव में चप्पल को पार करते हुए काँटा पैर में धंस गया था खून निकलने लगा मिटटी लगा कर थोडा रोका उसको और उस दिशा में बढ़ने लगा तो देखा की एक पीपल का बड़ा सा पेड़ है और उसके चारो तरफ एक बड़ा सा चबूतरा बना हुआ था पेड़ पर खूब सारे धागे बंधे थे और एक दिया उसी चबूतरे पर जल रहा था 

उसके पास ही झोला सा कुछ रखा था पर कोई दिखा नहीं अब इतनी रात में कौन दिया जला गया यहाँ पर वो भी इतनी दूर इस बियाबान में हवा थोड़ी सी तेज तेज चल पड़ी थी तो मैंने अपनी चादर को कस लिया फिर मुझे कुछ सुनाई दिया जैसे की कोई झांझर की आवाज हो मेरी तो सिट्टी पिट्टी गुम हो गयी मैं जान गया की भुत-प्रेत का ही मामला है ये तो 

गला सुख गया प्यास के मारी थर्र थर्र कांपने लगा मैं पैरो में जैसे जान बाकी ना रही तभी मेरी नजर चबूतरे के निचे गयी एक हांडी सी रखी थी मैंने इधर उधर देखा और चबूतरे के पास गया हांड़ी में पानी था मैं प्यासा मर रहा था मैंने उसे अपने मुह से लगाया और गतागत पीने लगा और तभी कुछ ऐसा हुआ की मेरे हाथो से हांड़ी नीचे गिर गयी और मेरी तो जैसे साँस ही रुक गयी धडकनों ने जैसे दिल का साथ छोड़ दिया 

“भुत भुत ” मैं बहुत जोर से चीखा और निचे गिर गया और गिरता भी क्यों ना एक दम से पीपल के पीछे से वो मेरे सामने जो आ गयी थी बाल इतने घने उसके पुरे चेहरे को ढके हुए ऊपर स काले स्याह कपडे 

“मुझे मत खाना मैं तुम्हारे हाथ जोड़ता हु ” मैं मरी सी आवाज में बोला डर से कांपते हुए 

“नहीं आज तो तुझे खाऊ ही गी बहुत दिन हुए इन्सान का मांस नहीं खाया मैंने और तू तो खुद मेरे पास आया है तेरे गरम खून को पीकर मैं अपनी प्यास बुझाउंगी हां हा हाह ”

उसकी ये बात सुनते ही मैं तो जैसे बेहोश ही होने को हो गया मेरा गला फिर से सुख गया जबकि अभी मैंने पानी पिया था ऐसे लगा की जैसे हाथ पांवो की जान ही निकल गयी हो वो धीरे धीरे मेरी तरफ बढ़ने लगी मैं पीछे को सरकने लगा 

“हा हा हा आज तो शिकार करुँगी तेरा तेरे गर्म खून से मेरी प्यास बुझेगी लड़के आ पास आ मेरे आ ” वो पल पल मेरे पास आते जा रही थी और मैं फीका होता जा रहा था क्या यही अंत था मेरा क्या ये भूतनी आज मुझे मार ही देगी मेरे दिमाग में तरह तरह के बिचार आने लगे थे 

और फिर मैंने सोचा भाग यहाँ से कोशिश कर जान बचाने की मरना है तो मर पर कोशिश जरुर कर भागने की मैंने अपनी पूरी शक्ति बटोरी और भागा एक तरफ पर किस्मत खराब कुछ कदम बाद ही मेरा पैर किसी जड़ में फस गया और मैं पास की पथरीली जमीन पर पीठ के बल जा गिरा और मेरे जख्म इस दवाब को झल नहीं पाए 

“aaahhhhhhhh ” मेरी एक दर्दनाक चीख उस ख़ामोशी में गूंजती चली गयी मेरी आँखों से आंसू बहने लगे मैं कराहने लगा दर्द से और तभी मैंने किसी को अपने पास आते महसूस किया मैंने डर से अपनी आँखों को बंद कर लिया मुझे अपने बदन पर दो हाथ महसूस हुए

“भूतनी जी मुझे जाने दो , मुझे मत खाओ ”बस इतना ही बोल पाया मैं
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