RE: Antarvasna kahani नजर का खोट
मेरे एक हाथ में ठाकुर अर्जुन सिंह की तलवार थी और दूसरे हाथ में सुनहरी घडी थी, मेरे भाई की घडी जिसे शायद इस जगह पर नहीं होना चाहिए था ,इंद्र की घडी का यहाँ होना साला सर ही घूम गया मेरा जो इंसान मर चुका है उसकी घडी यहाँ कैसे हो सकती है
मैंने घडी को उल्ट पलट के देखा भाई की घडी ही थी ये , पर अब सब कुछ और उलझ गया था खैर मैंने घडी अपनी जेब में डाली और तलवार को संभाल कर रख लिया मैं पूजा से मिलना चाहता था पर पहले आस पास के इलाके में चेक करना जरुरी था कि कही जगन सिंह की गाड़ी तो नहीं है
करीब दो घंटे मैंने जितना हो सका ढूंढा पर गाड़ी क्या टायरो के निशान भी ना मिले मतलब साफ था कि वो पैदल ही आया होगा , मैं जबतक वापिस आया दोपहर होने को थी सो मैं पूजा के घर की ओर चल दिया
जाकर देखा तो दरवाजा खुला था और मेमसाब सो रही थी मैंने झिंझोड़ कर जगाया उसको
पूजा- हां, क्या हुआ डरा ही दिया तूने
मैं- ये टाइम है सोने का
वो- आँख लग गयी थी
मैं- उठ और ये देख
मैंने उसके पिता की तलवार उसके सामने कर दी
पूजा- ये , ये तो
मैं- इसे लाल मंदिर में होना चाहिए था ना
पूजा- तेरे पास कैसे
मैं- एक गड़बड़ हो गयी है पूजा
वो- साफ़ साफ़ बोलना
मैंने उसे पूरी बात बताई रात की
पूजा- ये ठीक ना हुआ , न हुआ ये ठीक
मैं- पर मारा किसने
वो- आ साथ मेरे
मैं- कहा
वो- खेत में
मैं और पूजा दौड़ते हुए खेत में आये और मैं उसे कुवे के पीछे ले गया जहाँ मैंने जगन को गाड़ा था पर वहाँ जाते ही मेरे होश उड़ गए , गड्ढा खुला पड़ा था और लाश के टुकड़े गायब थे मैंने अपना माथा पीट लिया
मैं- पूजा अभी निकल यहाँ से हम सुरक्षित नहीं है यहाँ
पूजा- एक मिनट मुझे समझने दे जरा, रात को यहाँ कत्ल होता है लाश के टुकड़े किये जाते है फिर तू उनको गाड़ देता है सुबह मेरे पिता की तलवार मिलती है और अब लाश गायब
मैं- कोई खेल खेल रहा है हमारे साथ
पूजा- तलवार यहाँ होना क्या दर्शाता है,
मैं- पूजा मैं तेरी बात समझ रहा हु पर मामला गंभीर है किसी को भी लाश मिली तो दोनों गाँव सुलग जायेंगे
पूजा- गाँव की चिंता नहीं है मुझे तेरी फ़िक्र है और तुझ पर कोई आंच आये ये मैं होने नहीं दूंगी एक काम करते है अभी लाल मंदिर चलते है और रास्ते में जुम्मन को कहते चलेंगे की यहाँ कुछ आदमियो का पहरा लगा दे
तो करीब घंटे भर बाद हम जब लाल मंदिर पहुचे तो कुछ लोगो की भीड़ जमा थी हम भीड़ हटाते अंदर पहुचे तो पता चला की पुजारी को मार गया कोई, मेरे तो जैसे घुटने ही टूट गए दिमाग का दही हो गया नसे जैसे फटने को हो आया
पूजा मुझे वहां से थोड़ी दूर ले आयी
मैं- एक ही रात में दो दो कत्ल वो भी जब
पूजा मेरी आँखों में आँखे डालते हुए- वो भी जब , जब मैंने पुजारी को धमकी दी थी
मैं- पागल हुई है क्या ये महज एक इत्तेफाक है तुझे क्या आन पड़ी इनको मारने की
वो- जानती हूं कुंदन पर शक तो मुझ पर भी होगा ना
मैं- सिर्फ तू और मैं ही जानते है कि धमकी दी थी और पुजारी तो रहा नहीं और क्या फर्क पड़ता है
पूजा-पर
मैं- रहने दे मैं जानता हूं तूने नहीं मारा इनको
पूजा- मामला पेचीदा हो गया है कुंदन
मैं- मुझे अब तेरी चिंता हो रही है क्योंकि जो गड्ढे से लाश लेके गया उसे पक्का तेरे बारे में भी पता होगा और मैं हर वक़्त तेरे साथ होता नहीं पर अगर तेरे साथ कुछ हुआ तो
पूजा- मुझे कुछ नहीं होगा कुंदन मैं समर्थ हु अपनी रक्षा में
मैं- पहले की बात और थी पर अब तू मेरी है इसलिए मुझे कुछ सोचना होगा
पूजा- क्या
मैं- आज से तू देवगढ़ में रहेगी
पूजा- पर कुंदन
मैं- कहा न मैं आज से तू देवगढ में रहेगी
पूजा- बात को समझ
मैं- पूजा तुझे सुरक्षित रखना सबसे जरुरी है मेरे लिए दुश्मन कौन है मैं नहीं जानता पर वो शायद जानता हो की मेरी कमजोरी तू है ,
पूजा- पर मैं तो तेरी ताकत हु ना
मैं- मेरा सबकुछ तू है तू है तो मैं हु तू नहीं तो कुछ नहीं
पूजा-अब ऐसे भी ना देख की पिघल ही जाऊ मैं
मैं- मुद्दे की बात ये है कि कौन पेल गया इनको
पूजा- ऐसा हो सकता है कि पुजारी ने हमसे झूठ बोला हो चक्कर कुछ और हो , जिसमे इनकी जान गयी हो
मैं- होने को तो कुछ भी हो सके है पर जवाब कौन देगा
पूजा- कोई तो मिलेगा ही वैसे लगता है एक चक्कर अर्जुनगढ़ का लगा लेना चाहिए चाचा के गायब होने का पता तो चल ही गया होगा
मैं- अगर मैं गया तो वैसे ही दिक्कत हो जानी है
पूजा- तुझे कौन ले जायेगा मैं अकेली जाउंगी
मैं-पागल हुई क्या
पूजा- भरोसा नहीं मुझ पर
मैं- खुद से ज्यादा
पूजा- तो जाने दे
मैं- पर
पूजा- कहा न जाने दे
अब पता नहीं क्यों मैं पूजा को मना नहीं कर सका उसने मुझे गांव छोड़ा और अर्जुनगढ़ की तरफ निकल गयी मैं घर के बाहर खड़ा सोच रहा था कि कौन होगा इनसब के पीछे तभी भाभी आ गयी
भाभी- आज यहाँ
मैं- न आ सकु के
भाभी- आओ तुम्हारा ही घर है
मैं- कोई दिख न रहा
भाभी- राणाजी माँ सा को लेकर अपने सहर गए है वापसी के एक मित्र से मिलते हुए रात तक आएंगे
मैं- क्यों
भाभी- माँ सा की तबियत ठीक न थी तो सहर जाना ही था डॉक्टर को भी दिखा देंगे और घुमाई भी हो जायेगी
मैं- अकेली हो
भाभी- ना जी अब तुम जो आ गए
मैंने हवेली का दरवाजा बन्द किया और भाभी के पीछे उनके कमरे में आ गया भाभी मेरी ओर पीठ किये थी मैं उनके पीछे खड़ा हो गया और धीरे से उनके कंधे को चूमा
भाभी- कितनी बार कहा है तुमसे न हो पायेगा
मैं- कभी तो होगा , मैंने चूचियो को दबाते हुए कहा
भाभी- आह, आराम से
मैं- एक बात करनी है
भाभी- कहो, आजकल तो तुम अपनी गर्ज़ से ही आते हो मेरा कहा ध्यान है तुम्हे
मैं- सुनो तो सही
भाभी- क्या
मैंने जेब से भाई की घड़ी निकाल कर उनके हाथ में दे दी
भाभी की आँखे हैरत से खुल गयी
भाभी- ये तुम्हारे पास कैसे आयी, इसे तो
मैं- इसे तो
भाभी- इसे तो ।।।।।।।।।।।।।।
मैं- इसे तो भाई के सारे सामान के साथ स्टोर में होना चाहिए था
भाभी- तुम्हे कहा से मिली ये
मैं- सवाल ये नहीं की मुझे कहा मिली सवाल ये है कि घर से ये गायब कैसे हुई
भाभी- मुझे नहीं पता
मैं- भाभी सब चीज़े उलझ गयी है और मैं आँख बंद करके आप पर भरोसा करता हु क्योंकि एक आप ही हो मेरी
भाभी- मुझे सच में नहीं पता इसके बारे में
मैं- स्टोर की चाभी कहा है
भाभी- राणाजी के कमरे में हमेशा की तरह
मैं सीधा राणाजी के कमरे में आया और चाबियों का गुच्छा लेके स्टोर की ओर आ गया ताला खोला तो धुल ने स्वागत किया स्टोर का हाल देख कर लगता नहीं था की इसे हाल फिलहाल खोला गया हो
हर तरफ धुल की मोटी चादर बिछी थी ढेरो जाले लगे थे खांसते हुए मैं अंदर गया भाभी भी मेरे पीछे आ गयी
मैं- लास्ट टाइम इसे कब खोला था
भाभी- तुम्हारे भाई का सामान रखने को
मैं- लगता है क्या आपकी बात सच है
भाभी- राणाजी में तो ऐसा ही कहा था
मैं- देखता हूं
स्टोर में खूब सामान था पर घंटे भर की मेहनत के बाद ये स्पष्ट था कि भाई का सामान यहाँ पर नहीं था मैंने भाभी से बाहर निकलने को कहा और खुद भी निकल रहा था कि मेरा घुटना एक मेज से टकरा गया और उस पे रक्खा एक बैग गिर गया
मैंने बैग को उठाया और वापिस मेज पर रख ही रहा था कि तभी उसमे से कुछ निकल कर गिरा मैंने उसे वापस रखा और लगभग स्टोर से बाहर आ गया ही था की,,,
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