RE: Antarvasna kahani नजर का खोट
भाभी- ये क्या कह रहे हो तुम
मैं- वही, जो आपके कानो ने सुना
भाभी- पर ऐसा कैसे हो सकता है
मैं- क्यों नहीं हो सकता है
भाभी- तुम नहीं समझ रहे हो जगन सिंह की मौत का शक सीधा अपने परिवार पर आएगा और दोनों गाँवो को झुलसते देर न लगेगी
मैं- गांव वालों को बड़ी चिंता है पर अपने घरवालों की नहीं,
भाभी- कहना क्या चाहते हो
मैं- यही की आप ढोंग करती हो की इस घर के लिए ये करती हो वो करती हो असल में आपको जरा भी फ़िक्र नहीं है इस घर की और ना इस घर में रहने वालों की
भाभी- यदि ऐसा है तो क्यों हो मेरे पास जाओ निकल जाओ
मैं- निकल तो चूका हूँ इस घर से पर कुछ सवाल बल्कि खोज है मेरी
भाभी- तो हर बार घूम फिर कर मुझ पर ही क्यों आ जाते हो तुम
मैं- क्योंकि भरोसा है आप पर
भाभी- झूठ, झूठ कहते हो तुम, क्योंकि तुम डरते हो असल में , चाहे तुम कितनी भी बाते बना लो पर कुंदन ठाकुर असल में तुम्हारी हैसियत एक कायर से ज्यादा कुछ नहीं है जो मुझ पर भी ठीक से जोर नहीं चला पाता , अगर दम है तो पकड़ लो गिरेबां राणाजी का और पूछ लो
भाभी की आँखों में मैंने एक बार फिर से वो ही अजीब सी चमक देखि मैंने,
मैं- पूछुंगा उनसे भी पूछुंगा बस एक बार सहर से आ जाये वो
भाभी- नहीं तब भी तुम दुबक जाओगे क्योंकि आज तक तुम जिए ही हो दुसरो के साए तले अपने आप से क्या उखाड़ लिया तुमने कुछ नहीं, कुछ भी नहीं , दबंग बाहुबली राणाजी के बेटे और राक्षष इंद्रर के भाई के अलावा औकात ही क्या है तुम्हारी इस घर में, एक नौकर की भी ऊँची हैसियत है तुमसे
भाभी के शब्द रूपी बाण मेरे अंतर्मन को बुरी तरह से घायल कर गए पर इसी यथार्थ से तो भाग रहा था मैं,
भाभी- मुझे समझ नहीं आता की आखिर हर बार मेरे सामने आकर खड़े क्यों हो जाते हो किसी भिखारी की तरह , अरे दम है तो अपने बाप से सवाल करो, ले दे कर मुझ पर जोर चलाने में मर्दानगी समझते है
मैं- ज्यादा हो रहा है भाभी
भाभी- अजी छोड़िये, क्या कम क्या ज्यादा तुम्हे क्या लगता है की मुझे हर राज़ का पता होगा कुछ सुनी सुनाई बाते है तुम्हे क्या बता दी ऊँगली पकड़ कर पहुँचा पकड़ लिया और ऊपर से अकड़, इन्दर की घडी , अरे नहीं है उसका सामान स्टोर में कभी रखा ही नहीं गया तो क्या घंटा मिलेगा तुम्हे,
तीस मार खान बने फिरते है , इनके खेत में कोई क़त्ल कर जाता है और फिर लाश भी गायब हो जाती है इनकी नाक के ठीक नीचे से पर ये कुछ नहीं कर पाते पर मर्दानगी देखिये मुझ पर जोर पूरा है
मैं- आपको कैसे पता ये सब
भाभी- क्योंकि हम ठकुराइन जसप्रीत है ,
मैं- कही आपने ही तो
भाभी- इन छोटे मोटे कामो के लिए हमे अपने हाथ गंदे करने की जरूरत नहीं है
मैं- मैं सिर्फ इतना पूछना चाहता हु की
भाभी- वकील लगे हो क्या जो बस पूछते ही जाओगे असल में तुमसे कुछ नहीं हो पायेगा अब भी तुम मुद्दे से भटक रहे हो , जबकि असल में तुम्हे अपनी बहन के बारे में पूछना चाहिए था पर वो तुम करोगे नही
मैं- तो आपको पता चल गया
भाभी- मुर्ख वो पासपोर्ट वाला बैग मैंने ही वहाँ रखा था ये मेरी ही चाहत थी की तुम्हे वो पासपोर्ट मिले वार्ना तुम सात जनम में भी कविता के बारे में सुराग नहीं लगा सकते थे
मैं- जब पता ही था तो क्यों छुपाया आपने
भाभी- क्योंकि तुम्हे टूटता हुआ नहीं देख सकती, तुम चाहे जो समझो पर जबसे तुम्हे देखा मैंने परवाह की है तुम्हारी, क्योंकि भोले हो तुम समझते नहीं ही दुनियादारी को पर जिद तुम्हारी
मैं- कहा है मेरी जीजी
भाभी- पता नहीं
मैं- भाभी इस बार ये नहीं चलेगा
भाभी- कहा ना नहीं पता,
मैं- भाभी, मैं जानता हूं अब इतना भी मत खेलो की सब्र टूट जाये जीजी के बारे में बता दो कही ऐसा न हो की मेरा हाथ उठ जाये
भाभी- क्या कहा तुमने, हाथ उठ जाये, थू है तुमपे और तुम्हारी मर्दानगी पे एक औरत पे हाथ उठाके खुद को मर्द साबित करोगे, जाओ जाकर चेक करवालो रगों में ठाकुरो का खून ही दौड़ रहा है या नहीं
मैं चिल्लाते हुए - भाभी
भाभी- क्या हुआ, उफ्फ्फ ये अहंकार तुम्हारा गौर से मेरी आँखों में देखो क्या तुम्हे इनमे डर दिखाई देता है , नहीं न
मैं- इस वक़्त मेरे लिए कुछ भी महत्वपूर्ण है तो मेरी बहन बस
भाभी- एकाएक बहन के प्रति प्यार उमड़ आया कारण क्या है
मैं- यही की कही उसके साथ कुछ गलत न हुआ हो
भाभी- तो उसमें तुम क्या कर सकते हो समय की धार का पहिया मोड़ सकते हो क्या तुम
मैं- आखिर बता क्यों नहीं देती जीजी के बारे में
भाभी- जितनी मदद कर सकती थी कर चुकी हूं अब माफ़ करो
मैं समझ गया था की एक बार फिर से खाली हाथ ही जाना पड़ेगा पर जाते जाते भी मैंने एक सवाल और पुछने की सोची
मैं- भाभी आप मेनका की बेटी है ना
भाभी मेरे पास आई और अपनी सर्द आवाज में लरजते हर बोली- नहीं, मैं,,,,,,,,,,,,,,,,,,, मैं।
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