RE: Antarvasna kahani नजर का खोट
जब उसने मेरी आँखों में देखते हुए ये सवाल किया तो मेरे सीने में जलन सी होने लगी
मैं- नहीं अभी साथ नहीं है
वो- क्यों
मैं- बस ऐसे ही
वो- सब ठीक है न
मैं- हां, सब ठीक है तुम बताओ कुछ
वो- कुछ नहीं मेरे पास बताने को आपसे कुछ छुपा भी नहीं
मैं- समझता हूं तुम्हारे दुःख का कारन मैं ही तो हु
वो- ऐसा मत कहिये
बातो बातो में उसका खेत आ गया था मैंने गाड़ी रोकी वो उतरी तभी मैंने कहा - एक मदद करोगी मेरी
वो- आपके लिए जान दे दू मदद कहके शर्मिंदा ना कीजिये
मैं- कल मेरे साथ कही चलोगी
वो- हाँ, चल पड़ूँगी
मैं- पर लौटने में देर सवेर हो सकती है
वो- मैं देख लुंगी
मैं- कल दोपहर को यही मिलना
वो- ठीक है
छज्जे वाली से विदा लेके मैं सीधा पूजा के घर पंहुचा तो वो मेरा ही इंतज़ार कर रही थी
पूजा- कुंदन आज मेरे साथ अर्जुनगढ़ चल
मैं- क्यों, कैसे, अचानक
पूजा- सब बताती हु चल तो सही
पूजा के चेहरे पर एक अलग सा नूर आ गया था जिसे देखने को मैं पिछले कुछ दिनों से तरस सा गया था ,और जिस तरह से उसने अर्जुनगढ़ चलने की बात कही थी मामला अलग सा लगा मैं
मैं- आज खुद ले जा रही हो
पूजा- मैंने कहा था न की सही समय पर मैं खुद ले जाउंगी कुंदन , और मेरा मन भी है
मैं- चल फिर अब तेरे कहे को मैं कैसे टाल सकता हु
पूजा मेरी गोद में आके बैठ गयी उसकी गर्म सांसे मेरे माथे को चूमने लगी, उसकी उंगलियां किसी सर्प की तरह मेरे सीने पर रेंगने लगी और फिर उसने अपने चेहरे को झुकाया और अपने नर्म होंठ मेरे लबो पर लगा दिए,
जैसे कोई शर्बत का प्याला पीने लगी हो वो आज उसका अंदाज कुछ अलग सा लगा मुझे पर महक गया मैं अंदर तक, कुछ पलों के लिए धड़कने बेकाबू सी हो गयी थी , तभी बाहर बादल गरजने की आवाज सी आयी, मौसम ने भी करवट ले ली थी इस सर्द मौसम में बरसात संजोग कुछ कहानी लिखने का हो रहा था
पूजा- मैं खाना बना लेती हूं खाके चलेंगे
मैं- ठीक है मेरी जान
मैं वही चूल्हे के पास बैठ गया और उसको देखता रहा उसकी चूड़ियों की खनक मुझ पर जैसे जादू सा कर देती थी, मंद आंच में उसका सिंदूरी रूप एक अलग आभा लेता था उसके गुलाबी गाल आज जैसे न जाने किस हया से और गुलाबी हुए जा रहे थे,
पूजा बार बार मेरी ओर देख के मुस्कुराती आज उसके होंठो पे वो मुस्कान थी जो हमारी पहली मुलाकात पे थी , जल्दी ही हम अपनी अपनी थाली लेके बैठे थे, उसने एक निवाला तोडा और मेरी तरफ बढ़ाया उस निवाले से साथ मेरे होंठो ने उसकी रेशमी उंगलियो को हलके से चुम लिया ,
केहने को ये बस कुछ छोटी मोटी बाते थी पर अपने साथ ढेर सारी मोहब्बत लिए थी कभी वो मुझे खिलाती कभी मैं बरसात भी अब जोर पकड़ने लगी थी और शायद अरमान भी
पूजा- चले
मैं- हाँ
मैंने अपने साथ उसे लिया और गाड़ी अर्जुनगढ़ की तरफ बढ़ चली, रस्ते भर वो मेरे काँधे पर अपना सर रखे बैठी रही, मैंने सीशा कुछ नीचे को सरका लिया बरसात की वो नन्ही बूंदे जब मेरे चेहरे पर पड़ती बस जैसे कोई अपना छू रहा हो,
पूरा गांव जैसे सोया हुआ था और बरसात का शोर कान फोड़ रहा था उस बड़ी सी हवेली का जर्जर दरवाजा खुला हुआ था गाडी रेंगते हुए बड़े दरवाजे तक आयी , हल्का सा भीगते हुए हम दोनों अंदर आये पूजा ने मेरा हाथ कस के पकड़ा और एक तरफ ले चली
उसने एक कमरे को खोला और हम अंदर आये माचिस की तिल्ली से कमरे में रौशनी हुई पूजा ने मोमबती जलायी
पूजा- मेरा कमरा है
मैं- अच्छा है
वो- तुम बैठो मैं बस अभी आती हु
मैं- कहा जा रही हो
पूजा- आती हु बस दो मिनट में
पूजा कमरे से बाहर चली गयी मैं पलंग पर बैठा इधर उधर नजर घुमाने लगा सिरहाने पर पूजा की वैसी ही तस्वीर थी जो राणाजी के तहखाने में थी वही मोतियों सी मुस्कान जो सीधा मेरे दिल में उतरती थी
मैंने वो तस्वीर उठा ली और देखने लगा , तभी पायल की आवाज ने मेरा ध्यान खींचा तो मैंने देखा दरवाजे पर पूजा थी, और अब मुझे समझ आया की उसका मकसद क्या था दुल्हन के उसी जोड़े में पूजा खड़ी थी ,
इतनी सुंदरता, इतनी मोहकता उसको ऐसे इस रूप में देख कर लगा की कोई अप्सरा ही उतर आई हो इस धरती पर जैसे
पूजा- ऐसे ना देखो मुझे
मैं- जानती हो आज तुम्हे यु देख कर मैं कितना खुश हूं इस से बेहतर कोई तोहफा नहीं मेरे लिए
वो मेरे पास आई और सिंदूर की डिब्बी मेरे हाथ में देते हुए बोली- कर दो मुझे सिंदूरी आज अपनी बना लो, आज अपनी हकदार बना दो मुझे
मैंने चुटकी भर सिंदूर लिया और उसकी मांग को भर दिया पूजा का सारा अस्तित्व ही मेरी बाहो में सिमट गया सिंदूर उसको अपने साथ सिंदूरी कर गया था
पूजा- आज मैं बहुत खुश हूं कुंदन आज मैं पूरी जो होने जा रही हु
मैं- मेरी ज़िंदगी को अपने रंग में रंगने के लिए शुक्रिया तुम्हारा तुम न होती तो कभी ऐसे जी न पाता मैं
मेरे हाथ उसकी पीठ से होते हुए उसके नितंबो तक आ पहुचे थे और जैसे ही मैंने उसके कूल्हों को दबाया उसने अपनी गर्दन उचकायी और होंठ होंठो से जा मिले ,बदन जो हल्का सा काँप रहा था गर्मी की राहत सी मिली वो जो एक हल्का से मीठा सा अहसास मेरी जीभ से होते हुए दिल तक दस्तक दे रहा था और पूजा मुझमे ऐसे घुल रही थी जैसे दूध में चुटकी भर केसर ।
पूजा- इसलिए तुम्हे रोकती थी यहाँ आने से क्योंकि मैं चाहती थी इस खूबसूरत तोहफे के साथ तुम्हे यहाँ लेके आउ मेरे सरताज
मैं- तुम साथ हो मेरे पास हो अब किसी और तोहफे की चाहत नहीं कुंदन का जीवन बस तुमसे शुरू और तुमसे ख़तम
पूजा- शायद यही मोहब्बत है वही मोहब्त जो किस्से कहानियो में पढ़ी, सुनी जो महकते फूलो में सूंघी, जो अहसास ये हवा कभी अपने साथ लायी जो आधी रातो को बेमतलब जाग के महसूस किया वो मोहब्बत आज तुम्हारे रूप में मैंने पा ली है कुंदन मैंने पा ली है
मैं- हरपल जिसके लिए मैं तरसा हर लम्हा जिसकी तमन्ना थी मुझे हर दिन हर रात जिस अकेलेपन से मैं परेशां था एक झोंके की तरह तुम आयी और मुझे महका गयी
पूजा- तो क्यों देर करते हो , आज इस बरसात की तरह बरस जाओ और मुझ बंजर भूमि की प्यास बुझाओ, आज तर कर दो मुझे मेरे राजा
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