RE: Porn Kahani चली थी यार से चुदने अंकल ने ...
मैं बोली- अच्छा इसकी सर्विसिंग कैसे करोगे?
संतोष ने मेरा हाथ पकड़ा, अपने जीन्स में घुसा कर बोला- इस औज़ार से!
फिर बोला- पसंद आया औज़ार? इसी से सर्विसिंग करूँगा रानी!
मैं बोली- इस औज़ार से तो मैं पूरे दिन सर्विसिंग करवा सकती हूँ लेकिन एक दिक्कत है।
संतोष बोला- क्या दिक्कत है?
मैं संतोष को चुम्मी लेते हुए बोली- आज मैं पीरियड में हूँ। तुम अपने औज़ार को आज थोड़ा आराम दो। कल मेरी इस प्यारी सी चूत की ढंग से सर्विसिंग करना!
यह बात सुनते ही वो बोला- यार कितने दिनों से नहीं चोद रहा हूँ इस पीरियड के चक्कर में… तुम बोली थी कि आज ख़त्म हो जायेगी। इसलिए आज इंस्टिट्यूट जल्दी आया कि आज तुम्हारी जबर्दस्त चुदाई करूँगा। और तुम्हारा रोज पीरियड हो जाता है।
यह बात सुनकर मैं गुस्सा हो गई, बोली- क्या मैं जान बूझ कर पीरियड बुलाती हूँ। यकीन नहीं है तो लोअर खोलकर देख लो।
फिर वो प्यार से बोला- नहीं मेरी जान, मुझे तुम पर विश्वास है।
और मेरे गले लग गया, मेरी गालों को चूमने लगा, मेरे लिप्स चूसने लगा और मेरी चूचियों को कस कर मसलने लगा।
मैं भी धीरे-धीरे गर्माने लगी, वो मेरी गांड मसलने लगा और बोला- बेबी, आज मूड है, एक बार करने दो ना?
मैं बोली- यार पीरियड में हूँ।
तो संतोष बोला- मैं चूत की बात नहीं कर रहा हूँ। मैं तो इसकी बात कर रहा हूँ।
वो मेरी गांड को दबाते हुए बोला।
मैं बोली- बिल्कुल नहीं, गांड के बारे में सोचना भी मत… मेरी इतनी प्यारी गांड लहू लुहान हो जाती है।
हालांकि मैं भी गर्म हो गई थी, मैं भी चुदना चाहती थी लेकिन गांड में बहुत ज्यादा दर्द होता है इसलिए डर रही थी।
फिर वो मेरे होठों को धीरे-धीरे खा रहा था और मुझे गांड मरवाने के लिए मनाने लगा, कहने लगा- मैं आराम से चोदूँगा, दर्द नहीं होने दूँगा, अगर दर्द हुआ भी तो थोड़ा ही होगा। मेरे लिए तुम थोड़ा दर्द बर्दाश्त नहीं कर सकती?
मैं भी कुछ देर में मान गई, बोली- ठीक है, बर्दाश्त तो कर लूँगी लेकिन चोदोगे कहाँ?
यह बात सुनते ही उसने मुझे कसकर गले से लगा लिया, बोला- वहीं जहाँ हम रोज दिन में सुहागरात मनाते हैं।
मैं बोली- छत पर?
वो बोला- बिल्कुल!
मैं बोली- यार, आज तो कोई निगरानी करने के लिए भी नहीं है। अगर कोई आ गया तो?
संतोष बोला- यार, इतनी तेज बारिश में कोई पढ़ने आया ही नहीं तो हमें कौन देखेगा।
मैंने सोचा कि यह सही कह रहा है और मैं उसके साथ ऊपर चली गई।
ऊपर जाते ही जैसे वो पागल हो गया, मेरी चुची को टॉप पर से ही खाने लगा।
मैं बोली- आराम से… मैं कहीं भागी नहीं जा रही!
फिर उसने मेरा टॉप उतार कर एक साइड रखा। टॉप निकलते ही मेरी दोनों रसभरी चुची बाहर निकल आई जिन्हें देख कर वो चूमने, काटने लगा।
मुझे दर्द हो रहा था लेकिन मजा भी आ रहा था, मेरे मुंह से ‘आआआहह आअहह…’ की आवाज़ निकल रही थी, मैं भी उसका जमकर साथ दे रही थी।
15-20 मिनट ऐसे ही चलता रहा। फिर मैं बोली- आगे भी कुछ करना है या नहीं?
वो बोला- क्यों नहीं रानी, आज तो तेरी गांड में अच्छे से मोबिल ऑयल डालूँगा।
मैं सुनकर चौंक गई कि ये क्या बोल रहा है। फिर समझ गई कि यह लंड के मोबिल ऑयल की बात कर रहा है।
वो अपने घुटनों पर बैठ गया और मेरी लोअर खोलने लगा।
मैं बोली- पूरा मत खोलना, चूतरों से थोड़ी सी नीचे सरका कर चोद लो।
वो मान गया और धीरे से मेरी लोअर को खोलकर घुटनों तक सरका दिया।
लोअर खुलते ही मेरी संगमरमरी अमानत नंगी हो गई, वो बोला- यार तुम्हारे कपड़े उतारने में मजा आ जाता है। और वो भी बिना ब्रा पेंटी के!
यह कहकर वो मेरी फूली हुई गांड को अपने दांतों से जख्मी करने लगा।
मैंने भी उसके लंड को बाहर निकाल लिया, मैं उसका साथ खुलकर दे रही थी, उसके लंड को ऐसे बेरहमी से मसल रही थी जैसे वो बेरहम होकर मेरी चुची मसलता है।
मैं लंड को जितना मसलती, उतना ही उसका लंड कड़क और लंबा हो रहा था। मैं बोली- यार ये तो लंबा होता जा रहा है। मैं गांड में इतना बड़ा नहीं लूँगी। मेरी गांड फट जायेगी, आज छोड़ दो। कल तुम मेरी चूत ही मर लेना!
लेकिन वो माना नहीं और मेरी बातों को अनसुना करते हुए मुझे हर तरीके से मसल रहा था।
मैं भी एकदम गर्म हो गई थी, मेरे मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थी जो असहनीय हो रही थी, मैं बोली- जो करना है, जल्दी करो न बेबी, अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है।
मेरे इतना बोलते ही वो अपना लंड मेरी गांड पर रखकर सहलाने लगा और अन्दर डालने की कोशिश करने लगा। मेरी तो डर के मारे हालत खराब थी और अन्दर से चुदने का जोश भी था।
तभी वो मुझे टेबल पे झुकने को बोला और अपने लंड को मेरी गांड के छेद के पास रखकर धक्का मारा। गांड टाइट होने की वजह से लंड अंदर नहीं गया।
मैं बोली- यार मेरी गांड फाड़ने पे क्यूँ लगे हो, पहले अपने लंड पर कुछ लगा लो,
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