RE: non veg kahani व्यभिचारी नारियाँ
हांफते हुए फिर से पीछे हो कर नजीबा अपनी भितरी जाँघों की गर्म और गीली त्वचा पर अपने हाथ फिराने लगी। उसकी गाँड लैदर की सीट पर मथ रही थी और उसका पेट ऊपर-नीचे हो रहा था। उसने अपना एक हाथ चूत की मेंड़ पर रखा और उसकी अंगुलियाँ फिसल कर क्लिट को आहिस्ता से सहलाने लगी।
नजीबा ने अपने दूसरे हाथ की चार अंगुलियाँ आपस में जोड़कर लंड के आकार में । इकट्ठी कीं और धीरे से स्थिरतापूर्वक चूत में अंदर घुसा दीं। उसकी क्लिट प्रबलता से हिलकोरे मारने लगी और चूत से बहुत सारा झाग निकलने लगा। ।
नजीबा थरथराते हुए सिसकने लगी। वो एक हाथ की अंगुलियों से अपनी चूत को चोद रही थी और दूसरे हाथ से अपनी क्लिट सहला रही थी। उसकी जाँचें हिलोरे मारते हुए झटक रही थीं। वो जानती थी कि आज तृप्ति के लिए उसे एक से अधिक बार झड़ना पड़ेगा।
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उसकी पलकें बंद हो गयी और उसके हाथ तीव्रता से चलते हुए कामोन्माद के पहले मलाईदार उत्कर्ष के लिए उद्यम करने लगे। उसकी चूत जितनी गर्मी ही उसके दिमाग में भी चढ़ी हुई थी। कई कल्पनायें और तसवीरें उसके दिमाग में प्रचंड नृत्य कर रही थीं। बारबार उसके ख्यालों में गधे के विशाल लंड की तसवीर ही आ रही थी। उसे एहसास था कि अपनी चूत को अंगुलियों से चोदते हुए जानवरों के लौड़ों की कल्पना करना कितना विकृत था, किंतु ये ख्याल था कितना उत्तेजक और मादक। एक लहराती हुई तरंग उसके पेट और चूत में दौड़ गयी। हांफते हुए नजीबा ने अपनी आ चारों अंगुलियाँ पूरी की पूरी अपनी चूत में घुसा दीं। दूसरे हाथ से अपनी क्लिट को प्रचंडता से रगड़ते हुए नजीबा अपनी तरबतर चूत के अंदर चारों अंगुलियाँ घुमाने लगी।
अचनक ही वो कामोत्कर्ष पर पहुँच गयी। एक पल वो कामोन्माद के शिखर पर मंडरा रही थी उर दूसरे ही क्षण उसकी चूत ज्वालमुखी की तरह फट पड़ी।
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एक के बाद एक लहर उसके शरीर में हिलोरे मारती हुई दौड़ने लगी और एक के बाद ॥ एक ऐंठन उसकी चूत और जाँघों को झंझोड़ने लगी। नजीबा को ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे उसका पूरा शरीर पिघल रहा है और रगों में चरम आनंद की करोड़ों चिंगारियाँ फूट रही हैं और जैसे उसका दिमाग फट जायेगा और उसकी धमनियाँ काम-रस से भर गयी हैं।
नजीबा आगे झुकी और फिर कमर पीछे मोड़कर अपनी चूत को अंगुलियों से लगातार चोदते हुए उत्तेजना से अपनी चूत का रस निकालने लगी और चरम-आनंद की लहरें श्रृंखला में फूटने लगी। उसकी चूत का अमृत उसके पेट के नीचे झाग बनाने लगा और उसकी धारायें टाँगों से नीचे बहने लगी। उसकी क्लिट में भी बार-बार विस्फोट होने लगा -
और हर विस्फोट के साथ उसकी चूत की गहराइयों से चूत-रस की धार फूट पड़ती।
चूत मे कामोन्माद की एक जोरदार आखिरी लहर ने उसे झंझोड़ कर रख दिया और नजीबा हाँफती हुई कुर्सी पर पीछे फिसल कर मुस्कुराने लगी। उसकी अंगुलियाँ अभी भी उसकी चूत में चल रही थी कि कहीं रोमांच की कोई लहर अंदर ना रह जाये। उसकी उत्तेजना कुछ कम हुई पर जैसे-जैसे उसने अपनी चूत को सहलाना जारी रखा, उसकी क्लिट फिर से तनने लगी। इतनी बार झड़ने के कुछ ही क्षणों पश्चात वो चुदक्कड़ औरत फिर से उत्तेजित हो गयी थी।
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