RE: Porn Kahani हसीन गुनाह की लज्जत
प्रिया की योनि से बेशुमार काम-रस बह रहा था, उसकी पूरी पेंटी भीग चुकी थी। मैंने योनि की दरार पर उंगली फेरते फेरते अपनी बीच वाली उंगली से प्रिया की योनि के भगनासा को सहलाया, प्रिया ने जल्दी से अपनी दोनों जाँघें जोर से अंदर को भींच ली।मैंने वही उंगली प्रिया की योनि में जरा नीचे अंदर को दबाई तो प्रिया के मुंह से ‘उफ़्फ़’ निकल गया।
प्रिया शतप्रतिशत कंवारी थी, लगता था कि प्रिया ने कभी हस्तमैथुन भी नहीं किया था।
तभी मुझे अपनी बाईं ओर हल्की सी हलचल और कपड़ों की सरसराहट का अहसास हुआ, मैंने तत्काल अपना हाथ प्रिया की योनि पर से खींचा और प्रिया से जरा सा उरली तरफ सरक कर गहरी नींद में सोने के जैसी ऐक्टिंग करने लगा।
मिंची आँखों से देखा तो सुधा बाथरूम जाने के लिए उठ रही थी।
जैसे ही सुधा बाथरूम में घुसी मैंने फ़ौरन अपने कपड़े ठीक किये और फुसफुसाती आवाज़ में प्रिया को भी अपने कपड़े ठीक करने को कह दिया।सब कुछ ठीक ठाक करने के बाद हम दोनों ऐसे अलग अलग लेट गए जैसे गहरी नींद में हों।बाथरूम से बाहर आ कर सुधा ने AC का टेम्प्रेचर बढ़ाया और वापिस बिस्तर पर आकर मुझे पीछे से आलिंगन में ले लिया।बाल बाल बचे थे हम!मुझे बहुत देर बाद नींद आई।
अगले दिन शनिवार था और शनिवार के बाद इतवार की छुट्टी थी।शाम को लगभग 4 बज़े A.C वाले का फ़ोन आया कि A.C ठीक हो गया था और वो पूछ रहा था कि कब अपने आदमी मेरे घर भेजे ताकि A.C वापिस फ़िट किया जा सके।मैंने उसे इतवार शाम को आकर A.C फिट करने को बोला।
अब मेरे पास केवल एक ही रात थी जिसमें मैंने कुछ कर गुज़रना था और मैं रात को सबकुछ कर गुज़रने को दृढ़प्रतिज्ञ था। शाम को मैंने अपने परिचित कैमिस्ट से गहरी नींद आने की गोलियों की एक स्ट्रिप ली और आईसक्रीम की दूकान से एक ब्रिक बटरस्काच आईसक्रीम ले कर घर आया।सुधा को बटरस्काच आईसक्रीम बहुत पसंद थी।
चार गोलियां पीस कर में पुड़ी में अपने पास रख ली।
अगली रात डिनर के टाइम डिनर टेबल पर प्रिया डिनर सर्व कर रही थी, आमतौर पर सुधा डिनर सर्व करती थी लेकिन उस दिन प्रिया डिनर सर्व कर रही थी, आते-जाते बहाने बहाने से मुझे यहां वहां छू रही थी।
डिनर हुआ, आईस क्रीम मैंने खुद सबको सर्व की। बच्चों की और सुधा वाली प्लेट में मैंने वो पीसी हुईं नींद की गोलियां मिला दी। सब ने आईसक्रीम खाई और करीब 9:30 बजे मैं एक दोहरी मनस्थिति में अपने बैडरूम में आ गया।नींद की गोलियों का असर सुधा पर एक से डेढ़ घंटे बाद होना था।ब्रश करने के बाद मैंने हस्तमैथुन किया और अपना अंडरवियर पहने बिना ही पजामा पहन लिया और एक नावेल लेकर वापिस अपने बिस्तर पर आ जमा। मैं अपने बिस्तर पर दो तकियों के साथ पीठ टिका कर, पेट तक चादर ले कर ओढ़ कर और घुटने मोड़ कर नॉवल पढ़ने लगा।
सब काम निपटा कर, करीब सवा दस बजे प्रिया और सुधा दोनों बैडरूम में आईं। तब तक बैडरूम में चलते A.C की बड़ी सुखद सी ठंडक फ़ैल चुकी थी।आते सुधा बोली- आज तो मैं बहुत थक सी गई हूँ, बहुत नींद आ रही है!‘मुझे भी!’ प्रिया ने भी हामी भरी।
‘तो सो जाओ, किसने रोका है।’ मैंने कहा।‘और आप?’ सुधा ने पूछा।‘मैं थोड़ा पढ़ कर सोऊंगा, मुझे अभी नींद नहीं आ रही है।’ मैंने कहा।‘ठीक है… पर आप ट्यूब लाइट बंद करके टेबललैम्प जला लें!’ सुधा ने मुझ से कहा।
मैंने सिरहाने फिक्स टेबल-लैम्प जला कर ट्यूब लाइट बंद कर दी।
अब स्थिति यूं थी कि मेरे सर के ऊपर थोड़ा बाएं तरफ टेबल-लैम्प जल रहा था और प्रिया मेरे दाईं तरफ क़दरतन अंधेरे में थी और मेरे दाईं ओर से, मतलब सुधा की ओर से प्रिया को साफ़ साफ़ देख पाना मुश्किल था क्योंकि बीच में मैं था और प्रिया मेरी परछाई में थी।बीस-पच्चीस मिनट बिना किसी हरकत के बीते। वैसे तो मेरी नज़र नॉवेल के पन्नों पर थी लेकिन दिमाग प्रिया की ओर था।कनखियों से प्रिया की ओर देखा तो पाया कि प्रिया बाईं करवट लेटी हुई मेरी ओर ही देख रही थी।
फिर प्रिया ने आँखों ही आँखों में मुझे लाइट बंद करने का इशारा किया लेकिन मैंने उसे अभी रुक जाने का इशारा किया। जबाब में प्रिया ने मुझे ठेंगा दिखा कर मुंह बिचकाया, ऊपर चादर ले कर उलटी तरफ करवट ली और मेरी तरफ पीठ कर के लेट गई।
मुझे हंसी आ गई और मैंने हाथ बढ़ा कर प्रिया का कंधा छूआ तो उसने मेरा हाथ झटक दिया। मैंने दोबारा वही हाथ उस की कमर पर रखा तो प्रिया ने दुबारा मेरा हाथ अपनी कमर से झटक दिया।लड़की सचमुच रूठ गई थी।
अब के मैंने अपना हाथ हौले से प्रिया के ऊपर वाले नितम्ब पर रख दिया, इस बार प्रिया ने मेरा हाथ नहीं झटका। मैं धीरे-धीरे कोमलता से प्रिया का पूरा नितम्ब सहलाने लगा।
अचानक मुझे महसूस हुआ कि आज प्रिया ने लोअर के नीचे पैंटी नहीं पहन रखी थी। वही हाथ प्रिया की पीठ पर फिराने से पता चला कि ब्रा भी नदारद थी। इन सब का सामूहिक मतलब तो ये था कि मेरी प्रेयसी अभिसार के लिए आज पूरी तरह से तैयार थी।ऐसा सोचते ही मेरा लिंग अपनी पूरी भयंकरता के साथ मेरे पजामे में फुंफ़कारने लगा।
अपना वही हाथ प्रिया के कंधे तक ला कर मैंने प्रिया का कंधा हलके से अपनी ओर खींचा तो प्रिया सीधी हो कर लेट गई और आँख के इशारे से मुझे टेबल-लैम्प बुझाने को कहा।
मैंने पहले सुधा की ओर घूम कर देखा, अपना चेहरा परली तरफ घुमा कर हल्क़े से कंबल में चित लेटी सुधा गहरी निद्रा में थी। मैंने हाथ बढ़ा कर टेबल लैम्प बंद किया और अंधेरा होते ही झुक कर प्रिया के होंठों पर होंठ रख दिए।प्रिया ने फ़ौरन अपनी बाजुएं मेरे गले में डाल दी और बड़ी शिद्दत से मेरे होंठ चूसने लगी।
कुंवारी चूत की कहानी जारी रहेगी।
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