RE: Porn Kahani हसीन गुनाह की लज्जत
बाहर आते ही मैंने अपने बैडरूम का दरवाज़ा और बच्चों के कमरे का दरवाज़ा बाहर से लॉक किया और प्रिया को बताया कि मौसी नहीं उठेंगी क्योंकि मौसी आज नींद में नहीं नशे में है।फिर मैंने उसको नींद की गोलियों वाली बात बताई तो प्रिया आश्वस्त हुई।
मैंने प्रिया को बाहों में लेकर उसके तपते होठों पर होंठ रख दिए। अब प्रिया भी दुगने जोशो-खरोश से मेरा साथ देने लगी। मैं प्रिया का निचला होंठ चूस रहा था और प्रिया मेरा ऊपर वाला होंठ चूस रही थी।कभी मैं प्रिया की जुबान अपने मुंह में पा कर चूसता और कभी मेरी जीभ प्रिया के मुंह के अंदर प्रिय के दांत गिनती।
मेरे दोनों हाथ प्रिया के जिस्म की चोटियों और घाटियों का जायज़ा ले रहे थे, प्रिया का एक हाथ मेरे लिंग के साथ अठखेलियां कर रहा था और दूसरा हाथ मेरी गर्दन के साथ लिपटा था और प्रिया खुद मेरे साथ लिपटी हुई पूरी हवा में झूल रही थी।
ऐसे ही प्रिया को अपने साथ लिपटाये लिपटाये चलते हुये मैंने ड्राइंग रूम में बिछे दीवान के पास उस को खड़ा कर दिया और खुद प्रिया का नाईट सूट उतारने लगा।प्रिया ने रस्मी सा प्रतिरोध किया तो सही पर मैं माना ही नहीं… पलों में मैंने प्रिया के नाईट सूट के साथ साथ नीचे पहनी इनर भी उतार दी और अगले ही पल मैंने अपने कपड़ों को भी तिलांजलि दे दी और प्रिया की ओर मुड़ा।
वस्त्रविहीन खड़ी प्रिया कभी अपनी नग्नता छुपाने की, कभी दिखाने की कोशिश करती, कोई खजुराहो का दिलकश मुज्जस्मा लग रही थी। प्रिया के अनावृत दो उरोज़ और उन पर तन कर खड़े दो निप्पल जैसे पूरे संसार को चुनौती दे रहे थे कि ‘है कोई… जो हमें झुका सके?’
मेरा मन भावनाओं से भर आया, मैंने प्रिया को जोर से अपने आलिंगन में कस लिया और बदले में प्रिया ने दुगने जोर से मुझे अपने आलिंगन में कस लिया।प्रिया के दोनों उरोज़ मेरे सीने में धँसे हुए से थे। मैं प्रिया के दिल की धड़कनें साफ़ साफ़ अपने सीने में धड़कती महसूस कर रहा था। वक़्त का पहिया चलते-चलते अचानक थम सा गया था, उस वक़्त मैं… सिर्फ मैं था, ना कोई पति… ना पिता, सिर्फ मैं!
मेरी दोनों बाजुयें सख़्ती से प्रिया को लपेटे हुए प्रिया की पीठ पर जमी थीं। मैं अपना एक हाथ प्रिया की पीठ पर ऊपर नीचे फिरा रहा था कंधों से लेकर नितंबों के नीचे तक!कभी कभी मेरी उंगलियां नितंबों की दरार के साथ साथ नीचे… गहरे नीचे उतर जाती, बिल्कुल योनि-द्वार तक!
प्रिया की योनि से कामरस का अविरल प्रवाह जारी था जिससे मेरा हाथ सना जा रहा था लेकिन उस अलौकिक आनन्द को पाते रहने में मुझे प्रिया की योनि-द्वार तक अपने हाथों की गर्दिश कयामत के दिन तक मंज़ूर थी।
थोड़ी देर बाद मैंने बहुत प्यार से प्रिया को आलिंगन में लिए लिए, दीवान पर लेटा दिया और प्रिया के निप्पलों को अपने मुंह में लेकर कर खुद प्रिया के ऊपर झुक सा गया, उसके मुंह से सिसकारियां अपने चरम पर थी।
अचानक प्रिया ने अपना एक हाथ नीचे कर के मेरा लिंग अपने हाथ थाम लिया और जोर जोर से अपनी ओर खींचने लगी।
आज़माइश की घड़ी पास आती जा रही थी, बतौर प्रेमी, मेरे कौशल का इम्तिहान बहुत सख़्त था, मुझे ना सिर्फ बिना कोई हल्ला किये एक सफल अभिसार करना था, बल्कि अपनी कँवारी प्रेमिका को बिना कोई ठेस लगाए अपने प्यार का एहसास भी करवाना था।बगल वाले कमरे में मेरी पत्नी सो रही थी और किसी किस्म का हल्ला-गुल्ला उसकी नींद उचाट कर सकता था।
काम मुश्किल था… पर मुझे करना ही था… हर हाल में करना था और अभी करना था।
मैंने प्रिया को जरा सा सीधा किया और घुटनों के बल बैठ कर प्रिया की दोनों टांगों के बीच में आ गया, अपना लिंग मैंने अपने दाएं हाथ में लेकर प्रिया की योनि की दरार पर रख कर थोड़ा अंदर की ओर दबाते हुए ऊपर नीचे फिराना शुरू कर दिया। प्रिया के मुंह से आहें, कराहें क्रमशः तेज़ और ऊँची होती जा रही थी और उसके शरीर में रह रह कर उत्तेजना की लहरें उठ रही थी।
जैसे ही मेरे लिंग का शिश्नमुंड प्रिया की योनि की दरार के ऊपर भगनासा को दबाता, प्रिया के शरीर में मदन-तरंग उठती जिसका कम्पन मैं स्पष्टत: महसूस कर रहा था।प्रिया की योनि से कामरस अविरल बह रहा था, प्रिया रह-रह कर मुझे अपने ऊपर खींच रही थी जिससे यह बात साफ़ थी कि गर्म लोहे पर चोट करने का वक़्त आ गया था पर मैं कोई रिस्क नहीं ले सकता था।
अचानक मेरे लिंग का शिश्नमुंड प्रिया की योनि के मध्य भाग से जरा सा नीचे जैसे किसी नीची सी जगह में अटक गया और तभी प्रिया के शरीर में भी जोर से इक झुरझुरी सी उठी, जन्नत का मेहमान जन्नत की दहलीज़ पर ख़डा था, मैंने अपना लिंग प्रिया की योनि में वहीं टिका छोड़ दिया और ख़ुद प्रिया के ऊपर सीधा लेट गया।
मैंने प्रिया का निचला होंठ अपने होंठों में लिया और हौले हौले उस को चुभलाने लगा। प्रिया ने प्रतिक्रिया स्वरूप अपनी दोनों टांगें हवा में उठाईं और मेरी क़मर पर कैंची सी मार कर अपने पैरों से मेरी क़मर नीचे की ओर दबाने लगी।अभी मेरा शिश्नमुंड भी पूरा प्रिया की योनि के अंदर नहीं गया था और लड़की मेरे लिंग को और अपनी योनि के अंदर लेने को उतावली हो रही थी।
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