RE: Porn Kahani हसीन गुनाह की लज्जत
ज़वाब में प्रिया ने मुझे जोर से अपने आलिंगन में ले लिया. आलिंगन में बंधे-बंधे दोनों बैड पर आजू-बाजू (मैं दायीं तरफ, प्रिया बायीं तरफ) लेट गए. अब की बार प्रिया ने मुझे ट्यूब-लाइट बंद करने को नहीं कहा.“अच्छा प्रिया! दो-एक बातें तो बता?”प्रिया की भवें प्रश्नात्मक तौर पर मेरी ओर उठी.
“आम तौर पर तू मुझे “मौसा जी नमस्ते” कह कर ही टाल देती रही है लेकिन उस दिन जब मैं और सुधा तेरे घर गए थे तो क्या हुआ था तुझे?”“उस दिन? उस दिन आप के आने से ज़रा पहले मेरी अपने पापा से जोरदार बहस हुई थी और उस टाइम मैं दिल से आप को याद कर रही थी.”“और वो मेरा लिंग दबाना, सहलाना और पीठ पर चिकोटी काटना?”” दबाने का तो ऐसा है कि वो या तो सिर्फ आप को पता या मुझे और यही बात पीठ पर चिकोटी काटने पर लागू होती है लेकिन सहलाने वाली बात का तो मैं कहूँगी कि वो सिर्फ एक एक्सीडेंट था.”” और आज जब हम वापिस आये थे तो क्या हुआ था तुझे? तू क्यों अपने कमरे में बंद हो गयी थी और कहने पर भी दरवाज़ा क्यों नहीं खोला तुम ने?”“आप समझे नहीं? पिछले तीन महीने से आप का इम्तिहान चल रहा था. इन तीन महीनों में आप ने मुझ से कभी कोई छिछोरी हरक़त नहीं की और आज शाम को आप का आखिरी इम्तिहान था. अगर आप ने मेरे कमरे का मुझ से दरवाज़ा खुलवाने की मनोमुनौवल की होती या जबरदस्ती दरवाज़ा खोलने की कोई जुगत की होती तो मुझे समझ आ जाना था कि आप सिर्फ एक जनाना जिस्म के पीछे पड़े हैं और प्रिया से आप को कोई लेना-देना नहीं और बीते समय में आप का मेरे साथ कोई ग़ैर-इखलाकी हरकत ना करने का कारण सिर्फ मौका नहीं मिलना ही था. अगर ऐसा होता तो मैंने आप को खुद को कभी भी छूने नहीं देना था और तमाम उम्र आप के साथ कोई वास्ता भी नहीं रखना था.”
तौबा तौबा! क्या खुराफाती सोच थी… लड़की की!“अच्छा! अब बता… मैं पास हुआ या फेल?”“आप को क्या लगता है?”“तू बता?”“मुझे ख़ुशी है कि जिसे मैंने देवता माना, वो सच में एक देवता ही है.”
भावावेश में मैंने प्रिया के चेहरे पर चुम्बनों की झड़ी लगा दी. हम दोनों के साँसों की गति निरंतर बढ़ती जा रही थी लेकिन इस से आगे ना वो बढ़ रही थी न मैं…लेकिन मैं पुरुष था… पहल तो मुझे ही करनी थी!आखिरकार आहिस्ता से मैंने अपना दायाँ हाथ ऊपर उठा कर प्रिया के बायें गाल पर रख दिया. प्रिया का दिल तेज़ी से धड़क रहा था, उसकी जलती गर्म सांसें मेरी कलाई झुलसाये जा रही थी. मैंने अपना हाथ आगे बढ़ाया तो मेरी तर्जनी और मध्यमा उंगली के बीच में प्रिया के बाएं कान की लौ आ गयी जिसे मैंने हल्के से मसल दिया.“सी… ई… ई… ई… ई… ई…!!!” शाश्वत आनन्द की पहली आनन्दमयी सिसकारी प्रिया के होंठों से फूट पड़ी. हम दोनों के बीच में कोई डेढ़-एक फुट का फ़ासला था. मैं थोड़ा सा प्रिया की तरफ़ सरका. अब मेरा दायाँ हाथ प्रिया की पीठ पर धीरे धीरे दायें-बायें, ऊपर-नीचे फिर रहा था. कपड़ों के ऊपर से प्रिया की कसी हुयी ब्रा की आउटलाइन स्पष्ट महसूस हो रही थी.
जैसे ही मैंने प्रिया का बायाँ हाथ उठा कर अपने ऊपर रखा तो प्रिया ने मुझे अपने साथ कस कर भींच लिया. दोनों के बीच का रहा सहा फासला भी ख़त्म हो गया. प्रिया के उरोज़ मेरी छाती में धँसे हुये थे और उस का बायाँ हाथ मेरी पीठ को कस कर जकड़े हुए था.कयामत तो तब बरपा हुई जब प्रिया ने अपनी बायीं टांग उठा कर मेरे ऊपर रख दी. कपड़ों के ऊपर से ही प्रिया की उतप्त योनि का ताप मेरे कठोर लिंग को जैसे जलाने पर आमादा था. मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई जलती हुयी अंगीठी मेरे लिंग के पास पड़ी हो.
मेरा दायाँ हाथ प्रिया की पीठ पर ऊपर-नीचे गर्दिश करता करता अब नितम्बों पर से होता हुआ, पैंटी-लाइन नापता-नापता योनि-द्वार तक जा रहा था. प्रिया की आँखें समर्पण के आनन्द के अतिरेक से बंद थी और प्रिया का पूरा जिस्म रह रह कर हल्के-हल्के झटके खा रहा था.
मैंने अपना बायाँ हाथ प्रिया की गर्दन के नीचे से ले जा कर प्रिया को अपनी ओर खींचा तो प्रिया के रस भरे होंठ मेरे प्यासे होंठों से आ मिले. तत्काल मैंने प्रिया के होठों का अमृतपान करना शुरू कर दिया.प्रिया भी आज बहुत गर्मजोशी से मेरा साथ दे रही थी.
अचानक मेरे निचले होंठ पर किसी मधुमक्खी ने डंक मारा हो जैसे…
कहानी जारी रहेगी
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