RE: Porn Kahani हसीन गुनाह की लज्जत
आपने पढ़ा कि प्रिया मेरे घर में मेरे साथ अकेली है, रात हो चुकी है, वो मेरे बेडरूम में मेरे बेड पर है.
मैंने उसकी टीशर्ट में अपना हाथ सरका दिया और इसके साथ ही प्रिया की टीशर्ट थोड़ी और ऊपर को ख़िसक गयी; तत्काल प्रिया के सारे शरीर में एक कंपकंपी सी हुई और प्रिया ने अपना दायाँ हाथ उठा कर मेरी गर्दन के नीचे से निकाल कर मुझे खींच कर अपने साथ लगा लिया.
अब मेरे दायें हाथ की उंगलियाँ प्रिया के सपाट पेट पर ब्रा की निचली सीमा से ले कर कैपरी के ऊपरी इलास्टिक की सीमा तक ऊपर-नीचे, दाएं बाएं हरकत करने लगी. मैं जानबूझ कर ना तो प्रिया के वक्ष को अभी सीधे हाथ लगा रहा था और ना ही उसकी योनि को!पेट पर ऊपर की ओर गर्दिश करती मेरी उंगलियाँ ब्रा की निचली पट्टी को छूते ही और ऊपर को जाने की जगह दायें बायें बग़ल की ओर मुड़ जाती थी, ऐसा ही नीचे की ओर उँगलियों की गर्दिश करते वक़्त प्रिया की कैपरी के ऊपरी इलास्टिक को छूते ही और नीचे जाने की बजाए पेट पर ही इधर उधर हो जाती थी.
अचानक मैंने गौर किया कि प्रिया की काँखें एकदम रोमविहीन हैं, वहाँ एक भी बाल नहीं था और बग़लों के नीचे की त्वचा एकदम नरम और मुलायम थी.“ऐसी ही बालों से रहित, रोमविहीन प्रिया की मनमोहक और कोमल योनि भी होगी…” ऐसा सोचते ही मुझ में तीव्र उत्तेज़ना की लहर उठी.
ऊपर मैंने प्रिया के दायें कान की लौ होंठों से चुमकारना शुरू किया और मैं बीच बीच में प्रिया के कान में रह रह कर अपनी जीभ भी फिरा रहा था.“सी… ई… ई… ई… ई..ई..ई!!! आ… ई… ई..ई..ई!!! उफ़… फ़..फ़!!! आह… ह..ह..ह!! हा… ह..ह..ह!!!”
इस दोहरे काम-आक्रमण को झेलना प्रिया के लिए हर्गिज़ आसान न था; प्रिया के जिस्म में रह रह कर काम-तरंगें उठ रही थी और प्रिया के मुंह से आनन्ददायक सिसकारियों की आवाज़ ऊँची… और ऊँची होती जा रही थी और प्रिया की बेचैनी पल प्रतिपल उसके क़ाबू से बाहर होती जा रही थी.
अचानक प्रिया ने मुझे अपने से थोड़ा परे किया और अपने बाएं हाथ से मेरे नाईट-सूट के बटन खोलने की कोशिश करने लगी लेकिन एक हाथ से बटन खोलना और वो भी बाएं हाथ से… थोड़ी टेढ़ी खीर थी.बहुत कोशिश के बाद एक ही बटन खुल पाया. प्रिया ने शिकायत भरी नज़रों से मुझे देखा. मैंने तत्काल इशारा समझा और फ़ौरन अपने हाथों को फ़ारिग कर के चंद ही पलों में अपने नाईट-सूट के अप्पर के सारे बटन खोल दिए और उसे उतार कर परे फ़ेंक दिया.
अब मैं सिर्फ बनियान और पज़ामे में था और प्रिया के तन पर अभी भी टी-शर्ट और कैपरी थे.
मैंने प्रिया को कमर में हाथ डाल कर थोड़ा ऊपर उठाया और प्रिया के हाथ ऊपर कर के आराम से उस की टी-शर्ट निकाल दी. सफ़ेद कसी हुई ब्रा में प्रिया का कुंदन सा सुडौल शरीर मेरे सामने दमक रहा था. प्रिया ने हया-वश अपने वक्ष के आगे अपनी बाहों का क्रॉस बना कर सर झुका लिया. मैंने प्रिया का चेहरा उस की ठोढ़ी के नीचे उंगली लगा कर उठाया तो प्रिया ने शर्म के मारे आँखें बंद कर ली.
“आँखें खोलो प्रिया!”“उंहूं…! मुझे शर्म आती है.”“अरे खोलो तो… यहाँ कौन है तेरे मेरे सिवा?” मैंने दोनों हाथों से प्रिया के दोनों कंधे थाम लिए.
प्रिया ने हौले-हौले अपनी आँखें खोली तो मुझे सीधे अपनी काली कज़रारी आँखों में झांकते पाया.झट से प्रिया ने मेरी ही आँखों पर अपना हाथ रख दिया- आप मुझे ऐसे ना देखो प्लीज़… मैं तो शर्म से ही पिघल जाऊँगी.
मैंने बहुत नरमी से अपने एक हाथ से अपनी आँखों पर रखे प्रिया के हाथ को हटाया और उसी हाथ की हथेली का इक चुम्बन लेकर उसी हाथ की लम्बी पतली, नाज़ुक तर्जनी ऊँगली अपने मुंह में डाल ली और उसे चूसने लगा.
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