RE: Porn Kahani हसीन गुनाह की लज्जत
अभी भी प्रिया के दोनों पैर उसके नितम्बों के पास थे और दोनों टांगों के घुटने हवा में खड़े थे. एक बार मेरा लिंग प्रिया की योनि की अंतिम सीमा छू ले तो मैं प्रिया की टांगें सीधी करवा देता लेकिन अगर कहीं अभी से प्रिया ने टांगें सीधी कर ली तो प्रिया को फिर से अक्षत-योनि भेदन वाला दर्द याद आ जाना था. मैंने प्रिया के बाएं उरोज़ के निप्पल के साथ अपनी जीभ लड़ायी. अर्धसुप्त योद्धा एकदम से चैतन्य हो कर तन गया.
मैंने धीरे से निप्पल को चूमा और हल्के से उस के आसपास अपनी जीभ फेरी. प्रिया के मुंह से निकली सिसकारी ने बता दिया कि प्रिया की समस्त चेतना अभी उस के बाएं उरोज़ पर केंद्रित थी, मैंने अपने लिंग को हल्का सा पीछे खींच कर ज़रा ज़ोर से आगे को किया. अब आधा लिंग योनि में समा चुका था.
तत्काल प्रिया ने मेरे सर के पीछे से बाल पकड़ मुझे थोड़ा परे धकेलने की कोशिश की लेकिन मैं ऐसे कैसे पीछे हटता!मैंने अपनी वही पुरानी तक्नीक अपनायी, लिंग थोड़ा सा योनि से बाहर खींच कर जहाँ था, फिर से वही पहुंचा दिया, फिर थोड़ा बाहर निकाला और फिर जहाँ था, वही पहुंचा दिया, ऐसा मैं करता ही चला गया. पांच-सात मिनट बाद प्रिया थोड़ा सहज़ हो गयी और मेरी ताल पर अपनी ताल देने लगी, इधर मैं अपना लिंग उस की योनि से बाहर खींचता तो प्रिया अपने नितम्ब पीछे खींच लेती और जैसे ही मैं अपना लिंग उस की योनि में आगे धकेलता, प्रिया अपने नितंब ऊपर को उछालती.
हर थाप के साथ मेरा लिंग, प्रिया की योनि में थोड़ा और ज्यादा गहरे समाने लगा. तीन-चार मिनट बाद ही मेरा लिंग पूरे का पूरा प्रिया की योनि में आने-जाने लगा. इधर ऊपर मेरा मुंह प्रिया की बायीं बगल में कब समा गया, मुझे पता ही नहीं चला. मैं जीभ से प्रिया के रस-भरे उरोज़ चाटता, चूसता प्रिया की बालों रहित बगल में प्रिया के पसीने की मादक सुगंध लेता-लेता बगल की रेशमी त्वचा चूम रहा था. प्रिया इस आनन्द के कारण सातवें आसमान में थी और मैं जन्नत में. थप्प-थप्प… थप्प-थप्प… थप्प-थप्प…!! नीचे कबीरदास की चक्की पूरे यौवन पर चल रही थी.
प्रिया ने चूस-चूस कर मेरा निचला होंठ सूज़ा दिया था, आवेश में आ कर अपने तीखे नाखूनों से मेरी पीठ पर अनगिनत खूनी लकीरें उकेर दी थी. मैंने भी उत्तेज़ना-वश चूस-चूस कर प्रिया के दोनों उरोजों पर जगह जगह अनगिनत निशान डाल दिए थे.
मैं इन आनन्द के क्षणों को पूर्ण रूप से महसूस करना चाहता था इस लिए मैंने अपने लिंग को प्रिया की योनि में गहराई में लेजा कर अचानक वहीँ रोक दिया. मैं अपने लिंग के चारों ओर प्रिया की योनि की हल्की-हल्की पकड़ और स्पंदन महसूस कर रहा था. जैसे रेशम की नर्म-गर्म सी, नाज़ुक सी मुट्ठी जैसी कोई चीज़ मेरे मेरे लिंग पर रह-रह कर कस रही हो.
कुछ पल मैं इस स्वर्गिक आनन्द का मज़ा लेता रहा और फिर प्रिया ने मुझे टहोका तो मैंने फिर से काम-क्रीड़ा शुरू की. अभी तीन चार बार ही अपने लिंग को प्रिया की योनि के निकाला डाला था कि अचानक प्रिया ने अपनी दोनों टांगें सीधी कर ली; तत्काल मुझे अपने लिंग पर प्रिया की योनि का एक ज़बरदस्त खिंचाव महसूस हुआ. मेरा लिंग जैसे किसी नर्म-ग़र्म संडासी में कस गया था. प्रिया की योनि की दीवारों की मेरे लिंग पर रगड़ कई गुना बढ़ गयी थी और साथ ही प्रिया के मुंह से निकने वाली आहों कराहों में गज़ब की तेज़ी आ गयी थी.
प्रिया के टाँगें बिस्तर पर सीधी करने से प्रिया की योनि में आये अति कसाव के कारण मेरे लिंग का प्रिया की योनि में घर्षण बहुत ही बढ़ गया था और लिंग का योनि में आवा गमन बहुत मुश्किल हो रहा था.जैसे ही अपने लिंग को मैं बाहर निकाल कर दोबारा योनि में धकेलने के लिए जोर लगाता था, प्रिया के मुंह से इक दर्द भरी आह निकल जाती थी. प्रिया की योनि में से कामरस के साथ साथ जैसे आग की लपटें निकल रही थी.
दोनों के लिए काम-शिखर अब ज्यादा दूर नहीं था. मैंने अपनी कमर की स्पीड बढ़ानी शुरू कर दी; प्रिया ने भी उसी अनुपात में अपनी कमर आगे पीछे करनी शुरू कर दी. प्रिया की आँखें बदस्तूर बंद थी लेकिन प्रिया स्वार्गिक-आनन्द के इन पलों के एक-एक क्षण का मज़ा ले रही थी. मेरे हर धक्के के साथ प्रिया के मुंह से एक जोरदार “हक़्क़…” या “हा…!” की आवाज़ निकल जाती थी.
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