RE: Porn Kahani हसीन गुनाह की लज्जत
शनै:शनै: प्रिया के शरीर में एक अकड़न सी उभरने लगी और मुंह से अस्पष्ट से शब्द निकलने लगे “ऊँ… ऊ… ऊँ… ऊँ… हाँ… आँ… हा… हाय… उ… हक़्क़… ई… ई… इ… ई… ई..इ… ग… यी”.
प्रिया का स्खलन अब दूर नहीं था और मैं भी अपनी मंज़िल के करीब ही था.
मैंने अपना सारा वज़न अपनी कोहनियों पर ले लिया और अपनी कमर को बिजली की सी तेज़ी से चलाने लगा.
प्रिया की सिसकारियाँ पूरे बैडरूम को गुँजाये दे रही थी जिन्हें सुन कर मैं और उत्तेजित हो कर हर वार पर बेरहमी से प्रिया की योनि में अपने लिंग को जड़ तक उतारे जा रहा था.
तभी प्रिया ने अपने दोनों हाथ मेरी पीठ पर ऐसी सख्ती से जकड़े कि प्रिया का ऊपर वाला धड़ हवा में मेरी छाती के साथ चिपक गया.
प्रिया बेसाख्ता मुझ पर चुम्बनों की बरसात किये दे रही थी और नीचे मेरा लिंग प्रिया की योनि को बिजली की तेज़ी से मथे दे रहा था.
अब तक मेरे लिंग पर प्रिया की योनि की दीवारों का दबाब इस कदर बढ़ गया था कि मेरे लिए अपना लिंग प्रिया की योनि से बाहर खींचना लगभग नामुमकिन सा हो गया था.
अचानक प्रिया का तमाम शरीर अकड़ने लगा, प्रिया ने मेरे बाएं कंधे पर जोर से काटा और एक जोर से “आ… आ… आ… आ… आ… ह… ह… ह..ह…!!! ” की चीख सी मारी.
साथ ही प्रिया की आँखें उलट गयी तथा वो निष्चेष्ट सी हो कर मेरी बाहों में झूल गयी.
प्रिया स्खलित हो चुकी थी.
मुझे प्रिया की योनि के अंदर अपने लिंग के आसपास गर्म-गर्म द्रव सा महसूस होने लगा.
जैसे ही मैंने अपना लिंग पूरी सख्ती से प्रिया की योनि से बाहर खींच कर वापिस प्रिया की योनि की गहराई की आखिरी हद तक पंहुचाया, तभी मेरे अंदर… मेरे खुद का ज्वालामुखी फट पड़ा.
मैंने प्रिया को सख्ती से अपनी बाहों में कस लिया और प्रिया की योनि के अंदर मेरे लिंग से वीर्य की जोरदार एक बौछार हुई… फिर दूसरी… फिर तीसरी.
मेरे वीर्य से प्रिया की योनि बाहर तक सराबोर हो उठी और मैंने पसलियाँ तोड़ देने की हद तक प्रिया को अपने आलिंगन में दबा डाला.
अचानक ही प्रिया जैसे होश में आयी और मेरी सख्त पकड़ से खुद को छुड़ा कर प्रिया ने मुझे ठीक अपने ऊपर, अपने आगोश में ले लिया और मेरे सर के बालों में अपनी उंगलियाँ फेरने लगी.
सामने दीवार घड़ी पर साढ़े चार बज़ रहे थे.
हम दोनों ने एक-दूसरे के साथ किया वादा निभा दिया था.
अभी तो हम दोनों एक-दूसरे के आगोश में थे लेकिन अब जिंदगी में कभी ऐसा मौक़ा दोबारा आएगा या नहीं… और अगर आएगा भी तो प्रिया पॉजिटिव रेस्पॉन्स देगी या नहीं, इस का जवाब तो भविष्य के गर्भ में ही था.
लेकिन यह भी सच है कि
“त्रिया चरित्रम् पुरुषस्य भाग्यम्, देवो न जानति कुतो मनुष्यम्”
देखते हैं कि जिंदगी आगे क्या-क्या रंग दिखाती है?अगर आगे ऐसा कुछ हुआ तो आप सब से अपने अनुभव जरूर बाँटूगा.
तब तक विदा!!!
आपको मेरी कहानी कैसी लगी?
मुझे आप सब पाठकों की प्रतिक्रिया की आतुरता से प्रतीक्षा रहेगी.
.........सतीश
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