RE: vasna story जंगल की देवी या खूबसूरत डक�...
वो दिन का ही समय था अजय को यंहा कैद हुए 3 दिन हो चुके थे ,अभी अभी मोंगरा और बलवीर कही गए थे ,वो खिड़की के पास बैठा हुआ सब कुछ देख रहा था और बस किसी मदद की तलाश में था …….
वो बैठा बैठा सो गया था की उसे फिर से घोड़ो की आवाज सुनाई दी ..उसने देखा की मोंगरा वापस आ चुकी है लेकिन इस बार उसके साथ बलवीर नही था ,घोड़े से उतर कर वो सीधे अजय के कमरे में आयी ..
“क्यो मेरी जान कैसे हो “
अजय गुस्से से उसे देख रहा था
“अरे मेरी जान को बहुत ही गुस्सा आया ..”
मोंगरा के खिलखलाने की आवाज से पूरा कमरा गूंज गया,उसकी बात सुनकर बाहर खड़े हु उसके आदमी भी हँस रहे थे ,ये अजय के लिए रोज का काम हो गया था,कभी कभी मोंगरा उसके कमरे में आया करती थी और उसे यू ही सताया करती थी ..
“सुनो इसके हाथ पैर अच्छे से बांध कर इसे घोड़े पर बिठा दे ..”
मोंगरा ने कमरे के बाहर खड़े हुए आदमी से कहा
“लेकिन सरदार इसे आप कहा ..”
“मादरचोद जो बोला है वो कर …”
मोंगरा ने सीधे ही पिस्तौल उसके सामने ठिका दिया वो घबरा कर अजय के बंधनो को और कसने लगा,और कुछ लोग उसे उठा कर मोंगरा के घोड़े में बिठा दिया ,मोंगरा उसके पीछे जा बैठी और घोड़ा फिर से चल पड़ा ,वो पहाड़ी से नीचे आ चुके थे अभी तक मोंगरा ने एक शब्द भी नही कहा था …
नीच उतर कर वो जंगल की तरफ जाने लगे ….
थोड़ी दूर ही गए होंगे की अजय की नजर उस वेन पर पड़ी जो की वँहा खड़ी हुई थी ...तिवारी और डॉ को देखकर अजय आश्चर्य में पड़ गया था ……
उसके सारे बंधन खोल दिए गए ,वो उस लड़की की तरफ देखने लगा जो उसे छुड़ा कर लाई थी …
उसकी आंखों का आंसू ही उसकी सच्चाई बता रहा था ..
“चम्पा “अजय ने अपनी कांपती हुई आवाज में कहा
वो रोते हुए उसके गले से लग गई ….
वो ऐसे गले मील जैसे उनके लिए समय थम ही गया था और जंहा में और कुछ भी नही बचा था ..
…………
“अब आप लोगो का हो गया हो तो चले “तिवारी ने हल्की आवाज में कहा
“जब मोंगरा को ये पता चलेगा तो वो बौखला जायेगी और अब हमारा भी इस जगह रहना ठीक नही …”तिवारी की आवाज से ख़ौफ़ साफ समझ आ रहा था
“उसे पता चल जाएगा की तुम्हे किसने छुड़ाया है ..खैर छोड़ो चलो जितनी जल्दी हो सके हमे यंहा से निकलना होगा ..”
डॉ फिर से गाड़ी में बैठ गया लेकिन पता नही अजय को क्या हो गया था वो कभी डॉ को देखता तो कभी चम्पा को और कभी तिवारी लेकिन वो एक कदम भी हट नही रहा था …
सभी के चहरे पर अजय के इस व्यव्हार दो देखकर चिंता की लकीर छा गई थी …..
“अजय चलो “चम्पा ने उसके हाथो पर जोर डाला
“नही ...ऐसे नही अगर ऐसे गया तो मोंगरा हमे फिर से ढूंढ लेगी और फिर शायद वो हो जाए जो नही होना चाहिए,वो ठाकुर से बदला लेने की बजाय हम सब से बदला लेगी ...मैंने उसकी वो दीवानगी देखी है ,मैं उसका पागलपन जानता हु …”
“लेकिन अजय हम कर भी क्या सकते है ...क्या तुम मेरा वो सपना पूरा नही करोगे जो हमने साथ में देखा था,मैं एक घर चाहती हु अजय ,तुम्हारा साथ चाहती हु ,हम दोनो इन सबसे कही दूर चले जायेंगे ….”********
“नही चम्पा ऐसे नही मैं तुम लोगो की जिंदगी को दाव पर नही लगा सकता ……..मुझे मुकाबला करना होगा …”
“किसका “
डॉ ने चौक कर कहा
“मोंगरा और उसके गिरोह का “
“तुम पागल हो गए हो ..?”
लगभग तीनो ने एक साथ ही कहा
“हा थोड़ा सा “अजय के चहरे में मुस्कुराहट फैल गई और उसने तिवारी के कमर में लगा हुआ वैयरलेश निकाल लिया ……
कुछ ही देर में वँहा पुलिस और ठाकुर के आदमियों की कई गाड़िया लग चुकी थी ,सभी इतने खामोशी में हो रहा था की ऊपर पहाड़ में बैठे किसी भी शख्स को इसकी भनक ना हो,चम्पा तिवारी और डॉ की अजय ने एक नही सुनी उसे कोई धुन चढ़ गई थी ,अजय ने ही पूरा प्लान बनाया था और पहाड़ी को पूरी तरह से घेर लिया गया था …
“तुम में से कोई भी वँहा नही जाएगा “
अजय ने ठाकुर के बेटे रणधीर से कहा…
और इससे पहले वो कुछ भी बोले सीधे उसके माथे पर पिस्तौल ठिका दिया …
“अपनी ठाकुरगिरी अपने पास रख यंहा मत दिखा ..चुपचाप यंहा बैठा रह …”
रणधीर जैसे मचल कर रह गया और अपने साथियों के साथ थोड़ी दूर जाकर बैठ गया ,वही अजय सभी पुलिस वालो को समझने लगा की कैसे पहाड़ी को घेरना है और बिना किसी को शक हुई अपनी पोजिशन लेनी है …
***********
|