RE: Adult Kahani समलिंगी कहानियाँ
“बताया ना… हम उडती चिडिया पहचानते हैं… वो तो बिज़ी था थोडा, वरना शाम में ही तुम्हारा काम कर लिया होता…”
“उफ़्फ़… आसिफ़्फ़्फ़्फ़…” मैने कहा और थोडा ऊपर उठ के अपनी छाती को उसके घुटने पर रगडते हुये उसके लँड को अपने मुह में लिया और चूसना शुरु कर दिया! उसने अपना सर पीछे की तरफ़ कर लिया, टाँगें फ़ैला ली और आराम से मज़ा लेने लगा! मैने उसकी जीन्स पूरी उतार दी! उसकी व्हाइट अँडरवीअर मैली थी और आँडूओं के पास से तो काली हो गई थी! मैने उतारते हुये उसको सूंघा और फ़िर उसके खूबसूरत आँडूओं को चूमा तो वो भी उछले!
“लो ना, मुह में ले लो…” उसने कहा!
मैने पहले ज़बान से उसके आँडूओं को चाटा, वो उसकी जवानी की तरह नमकीन थे! फ़िर आँडूओं के साइड में उसकी जाँघ को सूंघा और चाटा और उसके बाद अपना मुह बडा सा खोल कर उसके आँडूओं को अपने मुह में गुलाब जामुन की तरह भर कर अपनी ज़बान से उनको चाटते हुये ही चूसने लगा! साथ में हाथ से उसके अजगर जैसे लौडे को सहलाने लगा! वो कुर्सी पर ही जैसे लेट सा गया! अब उसकी गाँड कुर्सी के बाहर थी! मैने उसको दोनो हाथों से पकड के सहलाना शुरु कर दिया!
“चलो ना, बेड पर चलो…” मैने उसके लँड से उसको पकडते हुये कहा!
“चलो…” उसने खडे होते हुये कहा! हम जैसे ही खडे हुये, मैं उससे लिपट गया और हल्का सा उचक के उसके लँड को अपनी जाँघों के बीच फ़ँसा लिया और अपनी जाँघों को कसमसा कसमसा के उसके लँड की मालिश करने लगा! मैने अपना एक हाथ अपनी गाँड की तरफ़ से घुमा के उसके लँड को हाथ से भी सहलाना शुरु कर दिया तो आसिफ़ ने मस्त होकर मुझे कस कर पकड लिया! हम अब पूरे नँगे थे! मैं अपनी टाँगे फ़ैला के उचक उचक के उसका सुपाडा अपने छेद पर भी लगा रहा था!
“चलो बेड पर…”
“अभी रुको, ऐसे मज़ा आ रहा है…” आसिफ़ ने कहा! उसका जिस्म गठीला और चिकना था! मैं कभी उसके बाज़ू को, कभी उसकी छाती को, कभी उसके कंधे को चाट और चूस रहा था! वो भी खूब मेरी गाँड और जाँघें वगैरह दबा दबा के सहला रहा था!
“चलो ना… बेड पर चलो…” उसने कामातुर होकर कहा!
मैं बेड पर लेटा तो वो ऊपर चढ गया! तब तक मेरी गाँड पूरी खुल चुकी थी! उसने थूक लगाया और देखते देखते उसका लँड मेरी गाँड के अंदर समाता चला गया!
“सिउउउहहहहह…” मैने सिसकारी भरी!
“अआह… अब मज़ा आया… साला… गाँड मारूँगा तेरी अब…” कहकर उसने लँड बाहर खींचा फ़िर अंदर दे दिया और फ़िर वैसे ही अंदर बाहर करने लगा! कुछ देर बाद उसने मुझे सीधा लिटाया!
“लाओ, पैर कंधे पर रखो…” उसने मुझे फ़ैला के मेरे पैर अपने कंधों पर रखवा लिये तो मेरी गाँड बडे प्रेम से उसके सामने खुल गयी और वो धकाधक धक्के दे-देकर मेरी गाँड मारने लगा!
“कैसा लगा, इलाहाबादी लौडा कैसा लगा?”
“बहुत बढिया है… आसिफ़… बहुत बढिया है…”
“हाँ बेटा, लो…” वो खूब अच्छे से धक्के लगा रहा था! मेरी टाँगें उसके कंधे पर झूल रही थी! उसने उनको पकडा और हवा में उठा दिया! मेरे दोनो तलवे पकड के फ़ैला दिये! टाँगें, जितनी मैक्सिमम फ़ैल सकती थीं, फ़ैला दीं और अपनी गाँड खूब कस कस के मेरी गाँड में अपना लँड अंदर बाहर देने लगा!
उसके बाद उसने मेरे घुटने मेरे सीने पर मुडवा दिये! अब तो मेरी गाँड भोसडे की तरह खुल के उसके सामने आ गई थी और वो उसको चोदे जा रहा था! अचानक उसने लँड बाहर निकाल लिया!
“एक मिनिट रुक…” उसने कहा और अपना फ़ोन उठा के कुछ करने लगा!
“क्या कर रह्य हो?”
“कुछ नहीं…” उसने कहा और इस बार वो मेरी गाँड में लँड घुसा के मारने लगा और साथ में उसका एम.एम.एस. क्लिप बनाने लगा!
“ये क्यों?”
“बस, ऐसे ही रिकॉर्ड रहेगा ना… कि तेरी मारी थी…” वो कभी फ़ोन अपने हाथ में ले लेता, कभी मेरे हाथ में दे देता… हमने करीब २० मिनिट की फ़िल्म बनायी! फ़िर उसका झडने लगा तो फ़ोन साइड में रख दिया और हिचक-हिचक के भयँकर धक्के देने लगा! उसने मुझे पलट के लिटा दिया और कूद कूद के मेरी गाँड में लँड डालने लगा और उसके बाद उसने मेरी गाँड के अंदर अपनी वीर्य का बारूद भर दिया! हम वैसे ही लिपट के लेटे रहे!
“तुमने अच्छा चोदा आसिफ़…” मैने उसको बाहों में भरते हुये कहा!
“हाँ बेटा, हम जो काम करते है… अच्छा ही करते हैं… अलीगढ आ जाना, वहाँ आराम से होगा… जब दिल करे, आ जाना…”
“अआह… हाँ, आऊँगा… अब तो आना ही पडेगा…”
“और लौंडे चाहिये तो मिलवा भी दूँगा…”
“हाँ, मिलवा देना… कौन हैं?”
“बस हैं ना… तू आम खा, गुठली से मतलब मत रख… वसीम को देगा?”
“हाँ, दे दूँगा…”
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