Adult Kahani समलिंगी कहानियाँ
05-14-2019, 11:45 AM,
#80
RE: Adult Kahani समलिंगी कहानियाँ
इसके बाद बारी बारी से हम पढ़ाई के समय एक दूसरे का लंड चूसते. उसके सामने बैठ कर अपना चेहरा उसकी घनी झांटों में छुपा कर उसका लंड पूरा निगल कर वह सुख मिलता कि कहा नहीं जा सकता. हां, मुझे चुपचाप लंड मुंह में लेकर बैठने की प्रैक्टिस करना पड़ी क्योंकि शुरू के दो तीन दिन में उसका लंड चूसने को ऐसा तरस जाता कि चूस कर उसे पढ़ाई पूरी होने के पहले ही सिर्फ आधे घंटे में ही झड़ा देता.
एक दूसरे के बदन के लिये हमारी हवस का एक और चरण पूरा हुआ जब एक दूसरे के मूत्र को सिर्फ शरीर पर या
चेहरे पर लेने के बजाय हमने उसे पीना शुरू कर दिया.
पहल मैंने ही की. अब तक बहुत किताबों में और फ़िल्मों में मैं देख चुका था कि कैसे प्रेमी युगल अपने साथी का मूत्र बड़ी आसानी से पी जाते हैं. मैं भी यह करना चाहता था पर थोड़ा डरता था.
आखिर एक दिन जब टेबल के नीचे बैठकर मेरी बारी उसका लंड चूसने की थी तो मैं तैश में आ गया. उस दिन मैंने लगातर ढाई घंटे की पढ़ाई उससे कराई थी, बिना उसे झड़ाये. बाद में वह ऐसा झड़ा कि चार पांच चम्मच भर कर अपनी मलाई मेरे मुंह में उगली. फ़िर तृप्ति की सांस लेता हुआ वह मेरे मुंह से लंड निकाल कर कुर्सी से उठने की कोशिश करने लगा.
मैंने उसे नहीं छोड़ा बल्कि कस कर पकड़ लिया और झड़ा हुआ लौड़ा चूसता ही रहा.
"छोड़ दे यार, क्या कर रहा है? मुझे पिशाब लगी है जोर की. छोड़ नहीं तो तेरे मुंह में ही कर दूंगा." उसकी बात को अनसुनी करके मैं चूसता ही रहा. आंखें उठा कर उसकी आंखों में झांका और उसे आंख मार दी.
वह समझ गया. वासना से उसकी आंखें लाल हो गयीं. कुर्सी पर बैठ कर मेरे बाल बिखेरता हुआ वह बोला. "तो यह मूड है तेरा? देख, एक बार शुरू करूंगा तो रुकेंगा नहीं, पूरा पीना पड़ेगा. और नीचे नहीं गिराना साले नहीं तो बहुत मारूंगा."
उसे शायद डर था कि मैं बिचक न जाऊं इसलिये उसने मेरा सिर अपने पेट पर कस कर दबाया और मूतने लगा. उसका लंड मेरे गले तक उतरा हुआ था ही, सीधे गरमागरम मूत की तेज मोटी धार मेरे गले में उतरने लगी. मैं निहाल हो गया. मेरा लंड ऐसा खड़ा हुआ कि पूछो मत. गटागट उस खारे शरबत को मैं पीने लगा. इतने चाव से मैं
पी रहा था कि उसने भी देखा कि जबरदस्ती की जरूरत नहीं है और अपना हाथ हटाकर मेरे गाल पुचकारता हुआ
आराम से मूतने लगा.
उसे जोर की पेशाब लगी थी, दो गिलास तो जरूर मूता होगा. मूतना खतम होते होते वह भी तैश में आ गया. उसका लंड फ़िर खड़ा हो गया था और उसने लगे हाथ बैठे बैठे मेरा मुंह चोद डला. दूसरी बार उसका वीर्य पीकर मैं उठा और उसे कुर्सी से उठाकर वहीं जमीन पर पटककर उसकी गांड मार ली. वह दो बार झड़ कर लस्त हो गया था इसलिये चुपचाप जमीन पर पड़ा पड़ा मरवाता रहा. उसके गुदाज मांसल शरीर को भोगना मुझे तब ऐसा लग रहा


था जैसे किसी औरत को भोग रहा हूं. वह भी आज किसी औरत की तरह बिलकुल शांत पड़ा पड़ा मरवा रहा था.
उसका भी मेरे शरीर की ओर कितना आकर्षण था यह उसने तुरंत दिखा दिया. उसी रात सिक्सटीनाइन करने के बाद उसने तो मेरे मुंह में मूता ही, साथ साथ मुझसे भी मुतवा लिया. एक दूसरे से लिपटे हुए बिस्तर पर पड़े पड़े ही हम एक दूसरे के मुंह में मूतते रहे. वह मेरा मूत इतने चाव से पी रहा था कि खतम होने पर भी छोड़ने को तैयार नहीं हुई. इसके बाद सिक्सटी नाइन के तुरंत बाद अपने साथी के मुंह में मूतना हमारा एक प्रिय कार्यक्रम बन गया.
मेरे बाल पहले ही काफ़ी लंबे थे. हेमन्त के कहने पर मैंने बाल कटाना बंद कर दिया. उसका कहना था कि मेरी लड़कियों जैसी सूरत उससे और प्यारी लगती है. शायद वह बाद में मुझे लड़की रूप में देखना चाहता था.
हमारे संभोग का अगला मादक मोड़, खास कर मेरे लिये एक बड़ा कामुक क्षण, करीब एक माह बाद आया. अब तक हम रोज के क्रिया कलाप में ढल चुके थे. मैं बहुत खुश था. समझ में नहीं आता था कि हेमन्त के बिना कैसे इतने दिन रहा.
एक माह में मेरी ऐसी हालत हो गयी कि एक दिन गांड मराते हुए मैंने हेमन्त से कहा, "यार हेमन्त, मेरे राजा, कितना अच्छा होता अगर मैं लड़की होता. तुझसे शादी करके जिंदगी भर तेरी सेवा करता. जनम भर तेरा लंड मेरी गांड में होता!"
वह बोला. "तो क्या हुआ, लड़की तू अभी भी बन सकता है. बस छोरियों जैसे कपड़े पहन ले. बाल तेरे अब अच्छे बढ़ गये हैं, थोड़े और बढ़ा ले, एकदम चिकनी छोकरी लगेगा."
"और लंड और मम्मे?" मैंने पूछा.
"नकली चूचियां लगा लेना, पैडेड ब्रेसियर पहन लेना. लंड तो तेरा बहुत प्यारा है मेरी जान. तूने वे शी मेल वाले फ़ोटो देखे हैं ना? क्या चिकनी छोकरियां लगती हैं पर सब मस्त लंड वाली होती हैं. उनसे संभोग में एक साथ नर
और मादा संभोग का आनंद आता है. तू वैसा बन सकता है चाहे तो. मेरी वैसे चूतों में कोई खास दिलचस्पी नहीं है। सिवा एक चूत के. उससे मैं बहुत प्यार करता हूं. वैसे तू चाहे तो मेरे साथ चल कर हमारे गांव में रह सकता है, मेरी पत्नी बनकर न सही, मेरी भाभी बनकर.'
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