RE: non veg kahani नंदोई के साथ
काफी देर तक वहीं फर्श पर नंगी पड़ी रही। फिर किसी तरह उठकर बेडरूम में जाकर अपने कपड़े ढूँढे और कपड़ों को पहनकर बाहर सोफे पर सो गई। सुबह जल्दी वहाँ से भाग निकली। तब तक किसी की नींद नहीं खुली थी। हाँ भागते समय चौकीदार को रिश्वत में दो मिनट तक अपने बदन को सहलाने और होंठों को चूमने का मौका देना पड़ा।
घर आकर मैंने अपनी तबीयत खराब होने का बहाना लगाया। क्योंकी मेरी चाल में लड़खड़ाहट थी और किसी को भी शक हो सकता था। मेरी ननद को मेरे साथ बीती घटना किसी तरह पता चल गई थी। दोनों मियां बीवी में जमकर लड़ाई भी हुई। दीदी ने मुझे सांत्वना देते हुए माफी भी माँगी। मगर जो हो चुका था वो तो लौटाया नहीं जा सकता था। मेरी ननद ने मुझे कसम दी थी की उस शाम की घटनाओं का कभी जिक्र ना करूँ और एक बुरा सपना मानकर भूलने की कोशिश करूँ।
मेरी शादी तय किए हुए दिन शरद से हो गई और मैं उनके साथ जयपूर चली आई। सुहागरात के दिन मैंने अपनी ठुकी पीटी योनि अपने पति को दी तोहफे में। वो तो मेरी किश्मत अच्छी थी की उन्हें इसका पता नहीं चल पाया। हाँ इसके लिए कुछ रोने धोने का ड्रामा जरूर करना पड़ा। लेकिन जिंदगी में हुए इस तरह के हादसे को भूलना कितना मुश्किल होता है मैं अच्छी तरह समझती हूँ।
आज शादी को कई साल हो गये मगर आज भी जब मैं अपने नंदोई के साथ में होती हैं तो पूरे बदन में पता नहीं क्या-क्या होने लगता है। राज ने बीच-बीच में मुझे वापस बरगलाने की कोशिश की थी मगर मैंने दीदी को बताने की धमकी देकर उन्हें शांत किया था।
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