Parivaar Mai Chudai हमारा छोटा सा परिवार
05-18-2019, 01:17 PM,
RE: Parivaar Mai Chudai हमारा छोटा सा परिवार
मैं शर्मा गयी और हड़बड़ाहट में जल्दी से शानू से बोली , " ठीक है। मैं वहां पहुँच जाऊँगी। "

शानू ने अपने विशिष्ट अंदाज़ में कहा, "और सुन यदि तूने एक हफ्ते से पहले वापस जाने को बोला तो मुझसे कुट्टी ," मैं अब बेबस थी। 



बुआ ने मेरी तैयारी में मदद की, "नेहा बेटी तुम्हें ज़रूरी काम करना पड़ेगा। अकबर भैया बहुत अकेले पड़ गएँ हैं। शब्बो

दीदी भी बहुत अकेली हैं। "

अकबर अंकल विधुर हैं और उन्होंने अपनी दोनों बेटियों को अपनी बहिन शबनम आंटी की मदद से पाला पोसा। शबनम

आंटी भी विधवा हैं। उनके इकलौते बेटे आदिल की शादी नसीम दीदी से उन दोनों के प्यार को देख कर हुई थी।

"तुम्हारा जादू यदि उस परिवार पर चल गया तो उनकी खुशी कई गुना बड़ जाएगी। मैं अचानक बुआ की योजना को

समझ गयी।

"बुआ मैं अकबर अंकल से सीधे सीधे कैसे बात कर पाऊंगीं ?" मैं सीख रही थी पर अभी भी बुआ जितनी चतुर नहीं बन

पाई थी।

"अकबर भैया और तुम्हारे दोनों मामा और मैंने कई बार इकट्ठे सम्भोग किया है। अकबर भैय्या का किसी को तो ध्यान

रखना था ना ! पर शब्बो दीदी का प्यार उनके दिल में ही घुट कर रह जायेगा। जब तुम अकबर भैया को अकेला पाओ तो

पाओ तो उनको कहना कि तुम्हे मैंने उनका ख्याल रखने के लिए कहा है। यदि इस से उन्हें सब समझ नहीं आया तो मुझे

कहना," बुआ ने मुझे जादू की चाभी थमा दी - अकबर अंकल के लिए उनका निजी खत।

*************************************

अकबर चाचू का घर शहर से बाहर था। दो घंटों में ड्राइवर ने उनके विशाल भवन के सामने गाड़ी रोक दी। शानू बाहर

ही मेरा इंतज़ार कर रही थी।

शानू का शरीर पहले से भी और भर गया था। उसके गदराया शरीर मेरी तरह ही उस से कई साल बड़ी लड़कियों को

शोभा दे सकने दे सकने के लायक था। हम दोनों को देख कर कई लोग हमें हमारी वास्तविक उम्र से कई साल बड़ा

समझते थे। शानू मेरे से ग्यारह महीने छोटी थी। मैं तब किशोरावस्था के दो साल पूरे कर चुकी थी। शानू तब दुसरे साल के

प्रारम्भ में थी। मैंने दसवीं पूरी कर ली थी और शानू ने दसवीं में प्रवेश किया था।

हम दोनों दौड़ कर एक दुसरे से लिपट गए और बिना वजह के दोनों रूआँसे हो गए।

शानू और मैं जल्दी से शानू के कमरे की ओर दौड़ पड़े। घर के नौकरों और ड्राइवर ने सामान संभल लिया।

"शानू सब लोग कहाँ हैं ?" मैंने शानू को अपने से अभी तक जकड़ रखा था।

"अब्बु अभी काम पर हैं. मैंने उन्हें फोन नहीं किया। शाम को उन्हें सरप्राइज़ देंगें। नसीम आपा की दोस्त की मम्मी बीमार हैं

सो उनकों न चाहते हुए भी शहर जाना पड़ा। आदिल भैया टेनिस से वापस आने वालें हैं। "

"अरे अभी भी तू आदिल भैया को अभी भी भैया कहती है। अब तो वो जीजू हैं। मेरे भी और तेरे भी। अरे अब तो तू और मैं

उनकी आधी घरवाली हैं। उनका हम दोनों पर पहला हक़ है और वो जब चाहें उस हक़ से हमें अपना सकते हैं ," मैंने शानू

के गुलाबी होंठों को चुम कर उसे ताना दिया।

"नेहा मैं क्या करूँ ? मेरे मुंह से इतने सालों की आदत की वजह से भैया ही निकल पाता है, " शानू ने भी मुझे चूमा और

फिर खिलखिला के हँसते हुए बोली , "तुझे तो मैं बता सकतीं हूँ कि नसीम आपा भी जब भैया ….. मेरा मतलब है जीजू

जब उनकी जम कर चुदाई करतें हैं तो वो भी भूल जातीं हैं कि आदिल भैया उनके खाविंद हैं और 'भैया और ज़ोर से

चोदो, भैया चोदो मुझे ' चीख पड़ती हैं। "

"खैर अब मैं आ गयीं हूँ। तुझे जीजू का पूरा ख्याल कैसे रखतें हैं सीखा कर जाऊंगीं ," मैंने शानू ने भरी उभरे नितिम्बों

को कस कर दबाया।

"तू तो ऐसे कह रही है जैसे तुझे सब पता है ," शानू ने जवाब में मेरे भरे पूरे नितिम्बों को मसल दिया।

मैंने भेद भरी मुस्कान कायल कर दिया और उसे सारी कहानी विस्तार से सुना दी। मैंने उस से कुछ भी नहीं छुपाया।

शानू भौचक्की रह गयी और फिर मुझे लिपट गयी और हम दोनों खुशी से रो पड़े।

शानू सुबक कर बोली, " हाय रब्बा रवि और सुरेश चाचू ने तुझे बिलकुल भी नहीं बक्शा ? उनके मोटे लण्डों ने तेरी चूत

या गाड़ फाड़ दी होती तो क्या होता ?"

"मेरी प्यारी शानू यह ही तो सम्भोग का आनंद है । बड़े मामा और सुरेश चाचू के हाथी जैसे लंड लेने में मेरी तो जान ही

निकल गयी। पर जितना भी दर्द हुआ और मैं जितना भी बिबिलायी पर जितना आनंद उनके लंड को अपने भीतर लेने में

आता है उसके आगे वो दर्द कुछ भी नहीं है। नम्रता चाची जैसे कहतीं हैं कि जब तक लड़की के चूत या गांड मरवाते समय

चीख ने निकले तो लंड की इज़्ज़त खतरे में है। " मैंने शानू के फड़कते नथुनों को चूम कर उसे कस कर जकड लिया।

जब हम दोनों शांत हुए तो मैं बोली , "जीजू कब आने वाले हैं ?"

शानू ने लाल गीली आँखों से मुस्करा कर कहा , "शायद आने वालें ही होंगें। "

"तो फिर तैयार हो जा, " मैं उसके उभरते उरोज़ों को मसल कर कहा , " आज तेरी चूत का उद्घाटन होने वाला है जीजू के

लंड से। "

"हाय नेहा नसीन आपा ख़ूबसूरत हैं और भ........ आईय़ा …… जीजू इतने हैंडसम हैं मैं तो बच्ची जैसी दिखती होंगी

उनको । तू उनको तो बड़ी आसानी से फंसा सकती है ," शानू के दिल की पुकार उसके बेचैन आंदोलित मस्तिष्क के

ऊपर काबू पाना चाह रही थी।

"अच्छा अब बकवास बंद कर और जल्दी से कपडे बदल ले। आज तेरी चूत का उद्घाटन जीजू के लंड से ज़रूर होगा। तू

चाहे या न चाहे। ," मैंने शानू को खींच कर बिस्तर से उतारा।

******************************************

शानू और मैंने तंग टी शर्ट और छोटे शॉर्ट्स पहन लिए। हालांकि शानू और मैं किशोरावस्था के द्वार से एक और दो साल

ही दूर थे पर उस समय किसी ऋषि का मन भी डाँवाँडोल हो जाता।

जब आदिल भैया मेरा मतलब जीजू दाखिल हुए तो मेरी भी सांस रुक गयी। जीजू उस समय बाईस साल के थे और छह

फुट से ऊंचे गोरे सुंदर और बहुत मांसल हो गए थे। भैया पसीने से नहाये हुए थे हुए थे। मुझे देख कर उनकी खुशी रुक

नहीं पा रही थी। मैं दौड़ कर उनकी बाँहों में समा गयी।

"आदिल भैया, आदिल भैया ," मैं खुद शानू को दी हुई सलाह को भूल गयी।

जीजू ने मुझे अपनी बाँहों में भर कर हवा में उठा लिया, "ऊफ़ मुझसे गलती हो गयी। अब तो आप मेरे जीजू हैं, " मैंने

इठला कर आदिल भैया को चुम लिया।

"नेहा अब तुम शानू को समझाओ ना ," आदिल भैया ने मुझे कस कर भींचा और खुद फिर से मेरे होंठों को चूम लिया।

जैसे ही आदिल भैया ने मुझे नीचे रखा मैंने शानू को उनकी तरफ धकेला , "जीजू अब चलिए अपनी दूसरी साली को भी

किस कीजिये। "

आदिल भैया ने शर्माती शानू को बाँहों कर और बोले, "एक बार तो जीजू बोल दो शानु। "

"जीजू ," शानू ने शरमाते हुए फुसफुसाया। और दुसरे ही क्षण आदिल भैया के होंठ शानू के होंठों से चिपक गए।

आदिल भैया ने हांफती हुई कमसिन शानू को नीचे उतारा और बोले , "मैं जल्दी से नहा कर तैयार होता हूँ फिर बाहर खाने

चलते हैं। "

"जीजू अब आपकी दो दो सालियां है। नहाने में मदद की ज़रुरत हो तो हमें बुला लीजियेगा ," मैंने इतराते हुए कहा।

आदिल भैया की आँखों ने सच बोल दिया और उन्होंने ने हम दोनों को घूर कर देखा, "सच में शायद मुझे मदद की

ज़रुरत पड़ ही जाये। "

शानू और मैं शर्म से लाल हो गए। मैंने भैया को अपने कमरे की ओर जाता देखा।

"शानू की बच्ची यह ही मौका है ," मैंने शानू को जगाया। वो बेचारी आदिल भैया को लाचार प्यार भरी निगाहों से दूर जाते

हुए घूर रही थी।

हम दोनों ने पांच मिनट इंतज़ार किया और फिर धीमे क़दमों से आदिल भैया के कमरे में घुस गए। भैया के कपड़े पलंग पर

बिखरे थे और कमरे से संलग्न स्नानगृह से स्नान के फौवारे आवाज़ साफ़ सुनाई पड़ रही थी। हम दोनों का ध्यान बिस्तर

पर पड़ी तौलिया की तरफ गया और दोनों ने मुस्करा कर विजय की पताका फेहरा दी।
Reply


Messages In This Thread
RE: Parivaar Mai Chudai हमारा छोटा सा परिवार - by sexstories - 05-18-2019, 01:17 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,560,526 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 551,150 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,258,272 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 951,351 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,687,989 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,109,863 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 3,000,703 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,222,122 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,091,942 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 290,701 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 5 Guest(s)