RE: Kamvasna मजा पहली होली का, ससुराल में
जब मैं किचेन में गयी तो वहां मेरी छोटी ननद, कडाही की काल्खि निकाल रही थी और दूसरे हाथ में बिंदी और टिकुली थी. मैने पूछा तो बोली, आपके भाई के श्रिंगार के लिये लेकिन भाभी...उसे बताइयेगा नहीं. ये मेरे उसके बीच की बात है. हंस के मैं बोली, एक दम नहीं, लेकिन अगर कहीं पलट के उसने डाल दिया तो ननद रानी बुरा मत मानना. वो हंस के बोली, अरे भाभी. साल्ले की बात का क्या बुरा मानना. एक दम नहीं और फिर होली तो है डालने डलवाने का त्योहार. लेकिन आप भी समझ जाइये ये भी गांव की होली है, वो भी हमारे गांव की होली. यहां कोयी भी चीज छोडी नहीं जाती होली में.
उसकी बात पे मैं सोचती मुस्कराती कमरे में बैठी तो ते तैयार बैठे थे. बची खुची बोतल भी उन्होने खाली कर दी थी. साडी उतारते उतारते उन्होने पलंग पे खींच लिया और चालू हो गये.
सारी रात चोदा उन्होने, लेकिन मुझे झडने नहीं दिया. जब से मैं आयी थी ये पहली रात थी जब मैं झड़ नहीं पायी वरना हर रात...कम से कम ५-६ बार. इतनी चुदवासी कर दिया मुझे की...वो कस कस के मेरी पनियाई चूत चूसते और जैसे ही मैं झड़ने के करीब होती, कच कचा के मेरी चूचीयां काट लेते. दर्द से मैं बिल बिला पडती, मेरी चीख निकल उठती. मेरे मन में आया भी की...बगल के कमरे में मेरा भाई लेटा है और वो मेरी हर चीख सुन रहा होगा पर तब तक उन्होने निपल को भी कस के काट लिया, नाखून से नोच लिया. उनकी ये नोच खसोट काटना मुझे और मस्त कर देता था. सब कुछ भूल के मैं फिर चीख पडी. मेरी चीखें उनको भी जोश से पागल बना देती थीं. एक बार में ही उन्होने बालिश्त भर लम्बा, लोहे के राड ऐसा सख्त लंड मेरे चूत में जड तक पेल दिया.
जैसे ही वो मेरी बच्चेदानी से टकराया,मस्ती से मैं चिल्ला उठी हां राजा हां चोद चोद मुझे ऐसे ही. कस कस के पेल दे अपना मूसल मेरी चूत में. और वो भी मेरी चूचीयां मसलते हुए बोलने लगे, ले ले रानी ले. बहूत प्यासी है तेरी चूत ना...घोंट मेरा लौंडा...मेरी सिस्कियां भी बगल के कमरे में सुनायी पड़ रही होंगी, इसक मुझे पूरा अंदाज था, लेकिन उस समय तो बस यही मन कर रहा था की वो चोद चोद कर के बस झाड दें...मेरी चूत. जैसे ही मैं झड़ने के कगार पे पहुंची, उन्होने लंड निकाल लिया. मैं चिल्लाती रही राजा बस एक बार मुझे झाड दो, बस एक मिनट. लेकिन आज उनके सर पे दूसरा ही भूत सवार हो गया. उन्होने मुझे निहुरा के कुतिया ऐसा बना दिया और बोले चल साल्ली पहले गांड मरा. एक धक्के में ही आधा लंड अंदर...ओह ओह फटी ...फट गयी मेरी गांड मैं चिखी कस के. पर उन्होंने मेरे मस्त चूतडों पे दो हाथ कस के जमाये और बोले यार क्या मस्त गांड है तेरी.
साथ साथ पूछा, होली में चल तो रहा हूँ ससुराल पर ये बोल की साल्लीयां चुदवायेंगी की नही. मैं चूतड मटकाते बोली, अरे साल्लीयां है तेरी न माने तो जबरदस्ती चोद देना. खूश होके जब उन्होने अगला धक्का दिया तो पूरा लंड गांड के अंदर. वो मजे में मेरी क्लिट सहलाते हुए गांड मारने लगे.अब मुझे भी मस्ती चढने लगी. मैं सिस्कियां भरती बोलने लगी हे मुझे उंगली से ही झाड दो ...ओह्ह ओह्ह ...मजा आ रहा है ओहहह. उन्होने कस के लिट को पिंच करते हुए पूछा, हे पर बोल पहले तेरी बहनो की गांड भी मारूगा मंजूर. हां हां ओह ओह...जो चाहो बोला तो तेरी सालियां है जो चाहो करो जैसे चाहो करो. पर अबकी फिर जैसे मैं कगार पे पहुंची उन्होने हाथ हटा लिया. इसी तरह सारी रात ७-८ बार मुझे कगार पे पहूचा के वो रोक देते...मेरी देह में कपन चालू हो जाता लेकिन फिर वो कच कचा के काट लेते.
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