RE: Kamvasna मजा पहली होली का, ससुराल में
* अरे तेरी सास ने गदहे से चुदवाया था या घोडे से जो तुझे ऐसे लंड वाला मर्द मिला..,ओह लगता है अरे एक मिनट रुक न ननदोयी राजा,अरे तेरी सलज़ की कसी गांड है तेरी अम्मा की ४ बच्चो जनी भोंसड़ा नहीं जो इस तरह पेल रहे हो...रुक रुक फट गई ओह.” मैं दर्द में गालियां दे रही थी.
पर रुकने वाला कौन था. एक चूची मेरी गांड मारते ननदोयी ने पकड़ी और दूसरी चूत चोदते छोटे ननदोई ने इतनी कस कस के मींजना शुरु किया की मैं गांड का दर्द भूल गयी. थोडे ही देर में जब लंड गांड में पूरी तरह घुस चुका था था तो उसे अंदर का नेचुरल लुब्रीकेट भी मिल गया,
फिर तो गपागप गपागप...मेरी चूत और गांड दोनो ही लंड लील रही थीं. कभी एक निकालता दूसरा डालता और दूसरा निकालता तो पहला डालता, और कभी दोनो एक साथ निकाल के एक साथ सुपाडे से पूरे जड तक एक धक्के में पेल देते. एक बार में जड तक लंड गांड में उतर जाता, गांड भी लंड को कस के दबोच रही थी.
खूब घर्षण भी हो रहा था, कोयी चिकनाई भी नहीं थी सिवाय गांड के अंदर के मसाले के. मैं सिसक रही थी तड़प रही थी मजे ले रही थी. साथ में मेरी साल्ली छिनाल ननद भी मौके का फायदा उठा के मेरी खडी मस्त क्लीट को फडका रही थी, नोच रही थी. खूब हचक के गांड मारने के बाद ननदोयी एक पल के लिये रुके. मूसल अभी भी आधे से ज्यादा अंदर ही था. उन्होने लंड के बेस को पकड के कस कस के उसे मथनी की तरह घुमान शुरु कर दिया. थोड़ी ही देर में मेरे पेट में हलचल सी शुरु हो गई. ( रात में खूब कस के सास ननद ने खिलाया था और सुबह से ‘फ्रेश’ भी नहीं हुयी थी.)
उमड घुमड...और लंड भी अब फचाक फचाक की आवाज के साथ गांड के अंदर बाहर...तीतरफा हमले से मैं दो तीन बार झड गयी, उसके बाद मेरे नीचे लेटे नन्दोइ मेरी बुर में झडे. उनके लंड निकालते ही मेरी ननद की उंगलीयां मेरी चूत में ...और उनके सफेद मक्खन को ले के सीधे मेरे मुंह में,चेहरे पे अच्छी तरह फेसियल कर दिया. लेकिन नन्दोयी अभी भी कस कस के गांड मार रहे थे बल्की साथ गांड मथ रहे थे. ( एक बार पहले भी वो अभी ही मेरे भाई की गांड में झड़ चुके थे). और जब उन्होने झडना शुरु किया तो पलट के मुझे पीठ के बल लिटा के लंड, गांड से निकाल के सीधे मेरे मुंह पे.
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