RE: Antarvasna मेरे पति और मेरी ननद
लेकिन जल्दी ही मुझे और चेतन को डॉली का ख्याल आया।
मैं- चेतन.. यार यह बात तो ठीक नहीं है कि हम लोग तो एसी चलाकर सो जाते हैं और उधर डॉली गर्मी में ही सोती है।
चेतन- हाँ.. कहती तो तुम ठीक हो लेकिन अब कैसे करूँ..? हमारा कमरा भी इतना बड़ा नहीं था कि उसमें कोई और बिस्तर लगाया जा सके और ना ही उसमें कोई भी और सोफा वगैरह ही पड़ा हुआ था।
काफ़ी सोच विचार के बाद मेरे शैतानी दिमाग ने एक अनोखा आइडिया दिया जिससे मेरा काम भी आगे बढ़ने की उम्मीद थी।
मैं चेतन से बोली- चेतन एक बात हो सकती है कि हम डॉली को अपने साथ ही बिस्तर पर सुला लें।
चेतन चौंक कर बोला- लेकिन यह कैसे हो सकता है.. इस तरह तो हमारी प्राइवेसी खत्म हो जाएगी यार.. और कैसे हम उसे अपने बिस्तर पर सुला सकते हैं?
मैं- यार कोई परेशानी नहीं होगी.. बस मैं बीच में लेट जाया करूँगी.. इसमें कौन सी कोई दिक्कत है यार.. बस उसे आज इधर ही सोने का कह देते हैं। इस तरह गर्मी में उसको सुलाना तो ठीक नहीं है ना..
चेतन मेरा फ़ैसला सुन कर खामोश हो गया और कुछ सोचने लगा।
शाम को खाने के वक़्त हमने डॉली को यह बता दिया। उसने बहुत इन्कार किया.. लेकिन मैंने उसकी कोई भी बात सुनने से इन्कार कर दिया और आख़िर डॉली को मेरी बात माननी ही पड़ी।
रात हुई तो मैं और चेतन अपने कमरे में आकर लेट गए.. एसी चल रहा था और कमरा काफी ठंडा हो रहा था।
थोड़ी देर तक पढ़ने के बाद डॉली भी आ गई.. मैंने कमरे में जलता हुआ नाईट बल्व भी बंद कर दिया और अब कमरे में घुप्प अँधेरा था। कमरे में सिर्फ़ एसी की जगमगाते हुए नंबर्स की ही रोशनी हो रही थी।
डॉली हमारे बिस्तर के पास आई तो मैंने थोड़ा सा और चेतन की तरफ सरक़ कर डॉली के लिए और भी जगह बनाई और वो झिझकते हुए मेरे साथ लेट गई।
अब मेरी एक तरफ मेरा पति सो रहा था और दूसरी तरफ उसकी बहन.. यानि मैं दोनों बहन-भाई के दरम्यान लेटी हुई थी।
चेतन की आदत थी कि वो मेरे साथ चिपक कर मुझे अपनी बाँहों में समेट कर सोता था।
अब जब डॉली कमरे में आई तो चेतन सो चुका हुआ था और मेरी करवट दूसरी तरफ थी.. लेकिन वो पीछे से मुझे चिपका हुआ था।
जैसे ही डॉली की नज़र हम दोनों पर इस हालत में पड़ी.. तो उसके चेहरे पर एक शर्मीली सी मुस्कराहट फैल गई।
मैं भी उसकी तरफ देख कर मुस्कराई और उसे चुप करके अपने पास लेटने का इशारा किया। वो खामोशी से मेरे साथ सीधी ही लेट गई।
मैंने आहिस्ता से उसके कान में कहा- अरे यार कुछ फील ना करना.. तुम्हारे भैया की मेरे साथ ऐसे ही चिपक कर सोने की आदत है.. बहुत चिपकू हैं तेरे भैया..
मेरी बात सुन कर डॉली भी मुस्कराने लगी। मैंने अपनी बाज़ू उठाई और डॉली के पेट पर रख कर उसे एक झटके से थोड़ा और अपनी करीब खींच लिया।
इस तरह वो मेरे साथ चिपक गई थी लेकिन साथ ही चेतन का हाथ भी उसके जिस्म से टच हो रहा था।
चेतन तो सो रहा था.. लेकिन उसकी बहन को ज़रूर उसके हाथ अपनी कमर की साइड पर महसूस हो रहा था.. जिसकी वजह से वो थोड़ा सा बैचेन सी हो रही थी। लेकिन फिर भी वो आराम से लेटी रही.. क्योंकि मैंने उसके जिस्म पर से अपना हाथ नहीं हटाया था।
अब पोजीशन यह थी कि चेतन मेरे साथ चिपका हुआ था और मैं उसकी बहन के साथ चिपक कर सोने लगी थी।
मैंने आहिस्ता से दोबारा उसके कान के क़रीब अपनी होंठ लिए. जाकर कहा- शर्मा क्यों रही हो.. कल को तुम्हें भी तो ऐसी ही सोना है ना..
डॉली ने चौंक कर मेरी तरफ देखा तो मैंने उसके गोरे-गोरे गाल की एक पप्पी ली और बोली- हाँ.. तो क्या तुम अपने पति के साथ चिपक कर नहीं सोया करोगी क्या?
मेरी बात सुन कर डॉली शर्मा गई और अपनी आँखें बंद कर लीं।
एसी की ठंडी-ठंडी हवा में कुछ ही देर में हम सबकी आँख लग गई। मैंने भी करवट ली और अपने पति के साथ चिपक कर एक बाज़ू उसकी ऊपर डाल कर सो गई।
बहुत सुबह जब मेरी आँख खुली तो हमारी हालत यह थी कि मैं डॉली की तरफ मुँह करके लेटी हुई थी। मेरा एक हाथ उसके सीने पर था। उसकी चूचियाँ मेरी बाज़ू के नीचे थीं। चेतन का बाज़ू मेरे ऊपर से होकर मेरी चूची को थामे हुए था। उसकी एक टाँग मेरी टाँगों के ऊपर से गुज़र रही थी और डॉली की टाँग पर पहुँची हुई थी।
इस हालत को देख कर मैं मुस्करा दी.. दोनों बहन-भाई अभी तक सोए हुए थे। कमरे से बाहर हल्की-हल्की रोशनी हो रही थी.. अभी लेकिन दिन नहीं चढ़ा था।
मेरी नींद टूट चुकी थी.. मैंने आहिस्ता से अपने हाथ को हरकत दी और सोई हुई डॉली का एक मुम्मा अपनी हाथ में ले लिया.. उसे आहिस्ता से सहलाने लगी।
डॉली ने नीचे से ब्रा भी पहनी हुई थी उसकी चूची बहुत ही सॉलिड लग रही थी। आहिस्ता-आहिस्ता मैं उसे सहलाने और दबाने लगी। उसकी चूची को दबाना मुझे अच्छा लग रहा था।
उसका खूबसूरत गोरा-चिट्टा चेहरा मेरी आँखों के सामने और मेरे होंठों के बहुत ही क़रीब था। मैं ज्यादा देर तक खुद पर कंट्रोल ना कर सकी और उसकी चिकने गाल को एक किस कर लिया।
मेरे जागने के साथ ही मेरे अन्दर का शैतान भी जाग चुका था.. मुझे एक शैतानी ख्याल आया और साथ ही मेरी आँखें कमरे के उस अँधेरे में भी चमक उठीं।
ुमैंने एक नज़र डॉली के चेहरे पर डाली.. वो सो रही थी। चेतन के सोने का तो उसके खर्राटों से ही कन्फर्म हो रहा था।
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