RE: Antarvasna मेरे पति और मेरी ननद
अब मैंने अपनी चूचियों पर लटक रहा चेतन का हाथ अपने हाथ में लेकर उठाया और बहुत ही आहिस्ता से उसे डॉली की चूची पर रख दिया.. हाथ तो मैंने चेतन का रखा था.. डॉली की चूची पर.. लेकिन इस चीज़ के मजे की वजह से सिसकारी मेरी मुँह से निकल गई “’सस्स्स्स्स्…’
राज शर्मा स्टॉरीज पर पढ़ें हजारों नई कहानियाँ !
चेतन का हाथ डॉली की चूची पर रखने के बाद मैंने फ़ौरन ही डॉली के चेहरे की तरफ देखा.. लेकिन वो बेख़बर सो रही थी।
चेतन का हाथ भी अपनी बहन की चूची के ऊपर बिल्कुल सटा हुआ था। उस बेचारे को तो पता भी नहीं था कि उसके हाथ में उसके ख्वाबों की ताबीर मौजूद है।
मैं धीरे से मुस्करा दी..
अब मैंने अपना हाथ चेतन के हाथ के ऊपर रखा और आहिस्ता-आहिस्ता उसके हाथ को डॉली की चूची के ऊपर फेरने लगी।
यह खेल मैं ज्यादा देर तक ना खेल सकी क्योंकि एक बार फिर मेरी आँख लग गई।
सुबह जब मेरी आँख खुली तो उस वक़्त चेतन ने दूसरी तरफ करवट ली हुई थी और मैं उसकी कमर के साथ उसी की तरफ मुँह करके उससे चिपक कर लेटी हुई थी.. मेरा बाज़ू उसके ऊपर था।
डॉली उठ कर जा चुकी हुई थी। मैं सीधी होकर लेट गई और रात जो कुछ हुआ.. उसके बारे में सोचने लगी।
मेरे चेहरे पर हल्की सी मुस्कराहट फैली हुई थी।
इतनी में डॉली ट्रे में चाय के तीन कप ले आई।
उसे देख कर मैं मुस्कुराई और वो मेरे पास ही बिस्तर पर लेटते हुए बोली- भाभी आप तो भैया के साथ चिपक कर बहुत ही बेशर्मी के साथ सोती हो.. सुबह भी आप उनके साथ चिपकी हुई थीं।
मैंने उसे आँख मारी और बोली- सारी रात तो तेरा भाई मेरे साथ चिपका रहा है.. थोड़ी देर के लिए मैंने चिपक लिया तो क्या हो गया यार?
मेरी बात सुन कर वो हँसने लगी। फिर मैंने चेतन को भी उठाया और हम तीनों ने चाय ली और गप-शप भी करते रहे।
ऐसे ही इसी रुटीन में 3-4 दिन गुज़र गए। रात को डॉली हमारे ही कमरे में हमारे बिस्तर पर हमारे साथ सोने लगी।
एक रात जब डॉली लेटने के लिए आई.. तो हम दोनों भी अभी जाग ही रहे थे।
हम तीनों लेट कर बातें करने लगे। थोड़ी ही देर गुज़री कि मैंने करवट बदली और चेतन की तरफ मुँह करके लेट गई और साथ ही उसके ऊपर अपना बाज़ू डालती हुए उसे हग कर लिया।
चेतन आहिस्ता से बोला- यार डॉली है, तेरे पीछे लेटी हुई है।
लेकिन मैंने उसका ख्याल किए बिना ही अपनी टाँग भी उसके ऊपर रखी और मज़ीद उससे लिपटते हुए बोली- कुछ नहीं होता.. उसे क्या पता.. वो तो अभी बच्ची है।
मैंने मुड़ कर डॉली की तरफ देखा तो उसकी चेहरे पर शर्मीली सी मुस्कराहट थी।
कुछ देर के बाद मैंने डॉली की तरफ अपना मुँह किया और उसे हग कर लिया और बोली- सॉरी डॉली डियर.. तुमने माइंड तो नहीं किया ना?
वो मुस्करा दी और बोली- नहीं भाभी इट्स ओके..
मैंने चेतन का भी हाथ खींचा और अपने ऊपर रख लिया।
अब वो पीछे से मुझे हग किए हुए था और मैंने सीधी लेटी हुई डॉली को हग किया हुआ था, चेतन का हाथ डॉली के पेट को छू रहा था।
मैंने महसूस किया कि डॉली को अपने भाई का हाथ थोड़ा बेचैन कर रहा है।
मुझे एक शरारत सूझी.. मैंने चेतन का हाथ पकड़ कर डॉली के पेट पर रखा और बोली- देखो चेतन डॉली का पेट कितना सपाट है.. और मेरा पेट कितना मोटा हो गया है.. देखो डॉली इसे फील करके..
मेरी इस हरकत से दोनों बहन-भाई ही चौंक पड़े.. लेकिन मैंने चेतन को हाथ हटाने का मौका दिए बिना ही उसके हाथ को डॉली के पेट पर फेरना शुरू कर दिया।
डॉली का चेहरा शरम से सुर्ख हो गया था। चेतन का भी मुझे पता था कि वो ऊपर से तो संकोच दिखा रहा है.. लेकिन अन्दर से वो अपनी बहन के पेट को छूना ज़रूर चाहता है।
लेकिन चंद लम्हों के बाद मैंने चेतन के हाथ पर से अपना हाथ हटाया तो फिर भी चेतन ने कुछ देर तक के लिए अपना हाथ डॉली के पेट पर ही पड़ा रहने दिया।
उस रात को मेरी आधी रात को आँख खुली तो मुझे टॉयलेट जाने की ज़रूरत पड़ी। मैं अपनी जगह से उठी और उन दोनों बहन-भाई के बीच में से निकली और उठ कर वॉशरूम में चली गई।
|