RE: Antarvasna मेरे पति और मेरी ननद
डॉली का चेहरा सुर्ख हो गया.. लेकिन मैंने उसका हाथ पकड़ कर उसे घसीटा और उसे अपने और चेतन के दरम्यान अपनी वाली जगह पर लिटा दिया।
डॉली के चेहरे पर ऊहापोह और घबराहट के साथ शरम के आसार साफ़ नज़र आ रहे थे.. और वो मेरी तरफ देख रही थी।
मैं मुस्करा कर बोली- थैंक्यू माय डियर ननद..
मैंने महसूस किया था कि चेतन के चेहरे पर पहले वाली मायूसी के बाद अब थोड़ी उत्तेजना आ गई थी।
आज इस नई स्थितियों की वजह से हम में से कोई भी बोल नहीं रहा था।
मैंने ही थोड़ी सी बातें कीं और उन दोनों ने ‘हूँ.. हाँ..’ में जवाब दिया।
फिर मैंने अपनी आँखें बंद कर लीं।
हमारा बिस्तर इतना बड़ा नहीं था कि हम सब लोग एक-दूसरे से दूर-दूर होकर सो सकें.. इसलिए डॉली का जिस्म अपने भाई के जिस्म से टच कर रहा था।
मेरी देखते ही देखते डॉली ने भी आँखें बंद कर लीं और शायद इस सारी सूरते-हाल को हज़म करने की कोशिश करते हुए सोने लगी।
लेकिन उसके जिस्म से टच होता हुआ उसके भाई का जिस्म भी उसे शायद बेचैन कर रहा था।
ज़ाहिर है कि मैं सो नहीं रही थी और चेतन के हरकत में आने का इन्तजार कर रही थी। कुछ ही देर गुज़री कि वो ही हुआ जिसका मुझे इन्तजार था।
चेतन ने अपनी बहन की तरफ करवट ली और आहिस्ता से अपना हाथ उठा कर डॉली के पेट पर रख दिया।
मेरी नज़र फ़ौरन ही डॉली के चेहरे की तरफ गई। मैंने महसूस किया कि उसके चेहरे के हाव-भाव एकदम से थोड़े से चेंज हो गए.. लेकिन फ़ौरन ही उसने दोबारा से अपनी चेहरे को सपाट कर लिया। अब वो खुद को संम्भालते हुए दोबारा से आँखें बंद करके पड़ी रही।
मेरे जिस्म के पास पड़े हुए उसके हाथ में मुझे थोड़ी सी हरकत सी भी फील हुई थी.. जैसे की एकदम किसी के छूने से वो उसका जिस्म काँप उठा हो।
मैं दिल ही दिल में मुस्करा उठी।
चेतन का हाथ कुछ देर के लिए एक ही जगह पर डॉली के पेट के ऊपर पड़ा रहा। फिर आहिस्ता आहिस्ता उसका हाथ हिलने लगा और उसने अपने हाथ को अपनी बहन के पेट के ऊपर हौले-हौले हरकत देते हुए उसके पेट को उसकी शर्ट के ऊपर से सहलाना शुरू कर दिया।
चेतन का हाथ आहिस्ता आहिस्ता अपनी बहन के पेट पर हरकत कर रहा था और उसके चेहरे के हाव-भाव बदल रहे थे.. लेकिन उसकी आँखें अभी भी बंद थीं।
पेट पर हाथ फेरने की बाद चेतन ने अपना हाथ थोड़ा सा नीचे लिए जाते हुए डॉली की जांघ पर रख दिया। डॉली की जाँघें उसकी चुस्त लैगी में फंसी हुई थीं।
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डॉली के जिस्म से चिपकी हुई उसकी चमड़ी के रंग की लेग्गी ऐसी ही लग रही थी.. जैसे कि उसकी चमड़ी ही हो। चेतन ने अपना हाथ आहिस्ता आहिस्ता डॉली की जाँघों पर फिराना शुरू कर दिया और उसकी जाँघों को सहलाने लगा।
चेतन का हाथ नीचे उसके घुटनों तक जाता और फिर ऊपर को आ जाता। उसे अपनी बहन की जाँघों पर हाथ फेरने में शायद बहुत ही अच्छा लग रहा था।
मैंने भी महसूस किया कि वो थोड़ा सा ऊपर को उठा और उसने बहुत ही आहिस्ता से डॉली के गाल की तरफ अपनी मुँह कर बढ़ाया और उसके गोरे-गोरे गाल को चूम लिया।
मैं यह सब कुछ अपनी अधखुली आँखों से देख रही थी। एक भाई को इस तरह से अपनी बहन के जिस्म से मजे लेते हुए और उसे किस करते हुए देख कर मेरी अपनी चूत भी गीली हो रही थी।
अब मेरा ख्वाहिश हो रही थी कि जल्दी से चेतन अपनी बहन की चूत को छुए लेकिन मुझे लग रहा था कि वो इस हद तक जाने से डर रहा है।
चेतन ने थोड़ा सा ऊपर होकर अब मेरी तरफ देखा और फिर उसका हाथ अपने पजामे की ऊपर से ही अपने खड़े हुए लंड पर चला गया। उसने अपने लंड को अपने हाथ में पकड़ लिया और आहिस्ता आहिस्ता अपने लंड को डॉली की रानों के साथ रगड़ने लगा।
मेरा दिल कर रहा था कि जल्दी से अपनी चूत को अपने हाथ से सहलाते हुए उसे ठंडा करना शुरू करूँ.. लेकिन मैं चेतन के सामने खुद को एक्सपोज़ करके उसे शर्मिंदा नहीं करना चाहती थी कि उसे पता चले कि उसकी बीवी को पता चल गया है कि वो अपनी ही सग़ी बहन को इस तरह से छू रहा है।
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एक बात का मुझे थोड़ा-थोड़ा यक़ीन होता चला जा रहा था कि हो ना हो.. डॉली भी जाग रही है और अपने भाई के अपने जिस्म पर टच करने का मज़ा ले रही है।
वो भी शायद अपनी झिझक और शर्म की वजह से ही उसे रोक नहीं पा रही थी।
जब डॉली को अहसास हुआ कि उसका भाई हद से गुज़रता जा रहा है.. तो उसने इससे बचने के लिए एकदम अपना रुख़ बदला.. और मेरी तरफ करवट ले ली। अब उसने मेरे ऊपर अपनी बाँहें डाल लीं।
इस अचानक हुई हरकत से चेतन भी थोड़ा बौखला गया और फ़ौरन ही पीछे हट कर लेट गया।
लेकिन मुझे पता था कि इस वक़्त चुस्त लैगी में डॉली के खूबसूरत चूतड़ चेतन के बिल्कुल सामने होंगे और उसके लिए खुद को रोकना मुश्किल होगा।
उसे छूने से जैसे ही डॉली ने मुझे हग किया.. तो मुझे उसका नर्म ओ मुलायम जिस्म इस क़दर प्यारा लगा कि मैंने भी फ़ौरन ही उसे हग कर लिया और खुद भी उससे चिपक गई।
अब चेतन के लिए कुछ और कर पाना मुश्किल था.. शायद इसलिए उसने भी जल्दी से दूसरी तरफ करवट ले ली और जल्द ही सो गया।
अगले दिन जब मैं सुबह नाश्ता बना रही थी तो डॉली रसोई में आई।
मैंने ऐसे ही उसे तंग करने के लिए कहा- रात को कब सोई थी तुम?
मेरी बात सुन कर डॉली घबरा गई और थोड़ा हकलाकर बोली- भाभी… आपके साथ ही तो आँख लग गई थी मेरी.. कककक.. क्यों पूछ रही हो आप यह?
मैंने उसे आँख मारी और बोली- इसलिए पूछ रही हूँ कि तेरे भैया ने तुझे तो तंग नहीं किया रात को?
मेरी बात सुनते ही डॉली के चेहरे का रंग ही उड़ गया और उसकी आँखें फैल गईं।
फिर वो बोली- भाभी भला मुझे भैया क्यों तंग करेंगे?
मैं मुस्कराई और उसके गोरे-गोरे चिकने लाल होते हुए गाल पर एक चुटकी लेते हुए बोली- इसलिए तो मैंने तुझे दरम्यान में अपनी जगह पर सुलाया था.. मैं होती तेरी जगह.. तो सारी रात ही मुझे तंग करते रहते तेरे भैया..
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