RE: Antarvasna मेरे पति और मेरी ननद
मैंने अच्छी तरह से अपने पति के लंड को भर-भर कर चाटा और फिर बिस्तर से नीचे उतर कर अपना बरमूडा और अपनी टी-शर्ट उतार दी।
नीचे मैंने ना ब्रेजियर पहनी हुई थी और ना ही पैन्टी.. पूरी तरह से नंगी होकर मैं दोबारा से चेतन की ऊपर आ गई।
चेतन ने मुझे बहुत रोका कि पूरे कपड़े ना उतारो.. लेकिन मैं कहाँ मानने वाली थी.. जबकि मुझे पता था कि डॉली अपनी आँखें नहीं खोलेगी।
चेतन के ऊपर आकर मैंने अपनी चूत को चेतन के लंड के ऊपर रखा और धीरे-धीरे उसे अपने चूत में लेते हुए नीचे को बैठ गई। फिर आहिस्ता आहिस्ता ऊपर-नीचे को होकर अपनी चूत चुदवाने लगी।
मैं आगे को झुकी और चेतन के गाल पर चुम्बन करने लगी।
फिर मैं डॉली की तरफ देखते हुए बोली- चेतन देखो.. तुम्हारी बहन सोती हुए में कितनी मासूम और खूबसूरत लग रही है।
चेतन ने भी अपनी नज़र डॉली के चेहरे पर जमा दी और अब बिना मेरी तरफ देखे हुए आहिस्ता आहिस्ता मुझे चोदने लगा।
अब मैंने भी अपने मम्मों को चेतन के मुँह में देते हुए जरा तेज आवाज में सीत्कार करना शुरू कर दिया ताकि बगल में लेटी हुई मेरी ननद की बुर में चींटियाँ रेंगने लगें।
‘हाय.. जानू चूसो न मेरे मम्मों को.. आह्ह.. कितना मस्त चूसते हो और ओह.. तुम्हारा लौड़ा तो आज मेरे नीचे कुछ ज्यादा ही मजा दे रहा है.. मेरी जान किसी और की फ़ुद्दी चोद रहे हो क्या..’
चेतन कुछ नहीं बोला.. बस धकापेल मेरी चूत को चोदता रहा।
थोड़ी देर के बाद जब हम दोनों चुदाई से फारिग हुए.. तो हम दोनों ने वॉशरूम में जाकर जिस्मों को साफ़ किया और फिर अपनी-अपनी जगह पर आकर लेट गए।
अब हम तीनों ही आराम से सो गए।
अगली सुबह जब हम लोग उठे तो डॉली पहली ही रसोई में जा चुकी हुई थी।
मैंने चेतन को उठाया और तैयार होने का कह कर खुद भी रसोई में चली गई।
डॉली चाय बना रही थी.. मैंने जैसे ही उसे देखा.. तो वो शर्मा गई। मैंने महसूस किया कि वो मुझसे नजरें नहीं मिला पा रही है।
मैंने उससे कहा- चलो भी.. जल्दी से तैयार होकर कॉलेज की लिए निकलो.. फिर मुझे भी नहाना है।
डॉली शरारती अंदाज़ में बोली- क्यों आज ऐसी क्या बात हो गई कि आपको सुबह-सुबह ही नहाने की फिकर लग गई है।
मैं मुस्करा कर बोली- अरे यार तुझे बताया तो था कि तेरे भैया रात को बहुत तंग करते हैं.. तो बस रात को उन्होंने पकड़ लिया था।
डॉली- भैया ने आपको पकड़ लिया या आपने उन्हें पकड़ा था।
मैं जानती थी कि वो सब कुछ देख रही थी.. इसलिए यह बात कह रही है। मैं फिर भी उसकी बात को छुपाते हुए बोली- तू तो सारी रात बेहोश होकर सोई रहती है.. तुझे क्या पता कि तेरे भैया कितना तंग करते हैं.. मुझे तो पूरी रात नहीं सोने देते। इसलिए तुझे अपनी जगह पर लिटाया था कि शायद तू ही कुछ हेल्प करेगी.. लेकिन फिर तेरा भी मुझे कोई फ़ायदा नहीं हुआ।
डॉली शर्मा कर चाय के कप उठाते हुए बोली- भाभी.. मैं भला भैया को उनकी शरारतों से कैसे रोक सकती हूँ?
मैं चुप हो गई और मुस्कुराने लगी।
इसके बाद हम सब नाश्ते की टेबल पर आए.. तो चेतन की नजरें आज तो डॉली की जिस्म पर कुछ ज्यादा ही गहरी थीं और उसके नशीले जिस्म की नुमाइश से हट ही नहीं रही थीं।
मैं इस सबको देख कर मजे ले रही थी, लेकिन अभी भी वो दोनों यही समझ रहे थे कि मुझे दोनों को इनकी हरकतों का इल्म नहीं है।
नाश्ते के बाद वो दोनों बहन-भाई चले गए और मैं रसोई का सामान समेटने के बाद नहाने के लिए चली गई। फुव्वारे से ठंडी-ठंडी पानी की गिरती बूंदों के नीचे नहाते हुए मैं यही सोच रही थी कि अब आगे क्या किया जाए.. जिससे चेतन को अपनी बहन के क़रीब आने का और भी मौका मिले और अपनी बहन का जिस्म को देखने और भोगने का भरपूर मौका मिल सके।
हालांकि मैं दोनों को बिस्तर पर तो एक-दूसरे के क़रीब ला ही चुकी थी। अब मैं उनके दरम्यान की शरम और परदे की दीवार को भी गिरा देना चाहती थी।
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