Antarvasna मेरे पति और मेरी ननद
05-24-2019, 12:11 PM,
#56
RE: Antarvasna मेरे पति और मेरी ननद
मैंने थोड़ी सी आँख खोल कर देखा तो चेतन दोबारा से अपनी बहन की चूत को चाटने में मसरूफ़ था और डॉली के मुँह से कामुक और लज़्ज़तनशीं सिसकारियाँ निकल रही थीं।
जैसे ही मैंने थोड़ी सी हरकत की तो चेतन ने जल्दी से डॉली की जाँघों के बीच में से छलाँग लगाई और बिस्तर से नीचे उतर कर बाथरूम की तरफ चल पड़ा। डॉली ने भी फ़ौरन से अपनी आँखें बंद कर लीं। मैं मुस्कुराई और फिर आहिस्ता आहिस्ता डॉली को हिलाकर जगाने लगी- डॉली.. उठो सुबह हो गई.. जाओ और चाय बना कर ले आओ।
डॉली नींद से उठने की अदाकारी करती हुए बेडरूम से बाहर निकल गई।
कुछ देर ही गुज़री.. तो मुझे बाथरूम के अन्दर से कुछ ख़ुसर-फुसर की आवाजें आने लगीं। मैं उठ कर बाथरूम के दरवाजे के पास गई और अन्दर की आवाजें सुनने की कोशिश करने लगी। मेरा शक ठीक था.. बाथरूम में दोनों बहन-भाई मौजूद थे। डॉली बाथरूम के दूसरे दरवाजे से बाथरूम में अपने भाई के पास आ गई थी।
अन्दर से आवाज़ आ रही थी- भैया प्लीज़.. छोड़ दो ना मुझे.. देखो भाभी भी जाग गई हुई हैं..
चेतन- तुम खुद ही बाथरूम में आई हो.. मैंने तो नहीं बुलाया था ना.. अब क्यों नखरे कर रही हो?
डॉली ने खिलखिलाते हुए कहा- भैया.. तुम गलत समझ रहे हो.. मैं तो इसलिए आई थी कि आपको कहूँ कि आकर चाय ले लो और आप पता नहीं क्या समझे हो?
चेतन- अब आ ही गई हो.. तो थोड़ा सा इसे चूस ही लो यार..
डॉली जैसे खुद को छुड़ाते हुए- छोड़ो भैया मुझे.. मैं चूल्हे पर चाय रख कर आई हुई हूँ।
इसी के साथ ही मुझे बाथरूम का दूसरा दरवाज़ा बंद होने की आवाज़ आई।
डॉली दूसरी तरफ से निकल गई थी और मैं भी वापिस अपनी बिस्तर पर लेट गई। कुछ ही देर में चेतन भी वॉशरूम से बाहर निकल कर कमरे में आ गया।
इसके साथ ही डॉली भी चाय लेकर आ गई और मेरे सिर पर हाथ फेर कर मुझे उठाते हुए बोली- भाभी.. उठिए.. अब कैसी तबीयत है आपकी?
मैंने आँखें खोलीं और बोली- हाँ.. अब काफ़ी बेहतर है.. रात में नींद ठीक से आ गई है.. तो इसलिए अब सिर भी भारी नहीं है और तरोताज़ा भी महसूस कर रही हूँ।
चेतन और डॉली दोनों बैठ कर चाय पीने लगे और मैं उठ कर वॉशरूम में आ गई।
मैं जैसे ही वॉशरूम में आई.. तो बेडरूम से दोबारा आवाजें आने लगीं।
चेतन- यार लो तो सही.. इसे मुँह में थोड़ी देर के लिए ही ले लो न..
डॉली- भैया क्या है ना.. मैं आपको देख ही नहीं रही हूँ.. मैं चाय पी रही हूँ।
चेतन- मेरी जान चाय के साथ स्नेक्स के तौर पर ही मेरा लंड अपने मुँह ले लो।
डॉली हँसते हुए- तो फिर ठीक है.. मैं आपका लंड बिस्कट की तरह गर्म-गर्म चाय में डुबो कर ना ले लूँ?
चेतन भी इस बात पर हँसने लगा और उन दोनों की शरारतों और अठखेलियों पर मेरी भी हँसी छूट गई..
नाश्ता करने के बाद चेतन ऑफिस चला गया और डॉली मेरे पास ही घर पर रुक गई।
डॉली रसोई समेटने लगी.. तो मैं अपने कमरे में आ गई और अपने पूरे कपड़े उतार कर नंगी होकर लेट गई.. क्योंकि रात में एक भाई के लंड से एक बहन की चुदाई देख कर मेरी अपनी चूत में आग लगी हुई थी।
कुछ देर में डॉली चाय बना कर लाई तो मुझे नंगी लेटी देख कर चौंक उठी।

वो मुस्कुरा कर बोली- भाभी.. लगता है कि आपको बहुत गर्मी लग रही है।
मैं उसके सामने ही बड़ी बेशर्मी से अपनी चूत पर हाथ फेरते हुई बोली- हाँ डार्लिंग.. मेरी चूत में बहुत गर्मी हो रही है.. आ थोड़ा सा इसे प्यार करके ठंडी तो कर दो..
डॉली चाय की ट्रे साइड टेबल पर रख कर मेरे पास बैठ गई और मेरी चूत पर अपना हाथ फेरते हुए बोली- भाभी सुबह ही सुबह यह आपको क्या हो गया है?
मैंने डॉली के हाथ की उंगली को लिया और उसे अपनी चूत के अन्दर डालते हुई बोली- देख तो सही.. मेरी चूत कितनी गीली हो रही है..?
यह कहते हुए मैंने डॉली को अपने ऊपर खींच लिया और उसके होंठों को चूमने लगी। डॉली को भी मज़ा आने लगा और वो भी मेरा साथ देने लगी। 
मैंने पीछे हाथ ले जाकर उसके पजामे को नीचे को खींचते हुए उसके चूतड़ों को नंगा कर दिया। डॉली ने थोड़ा ऊँची होकर मुझे उसका पजामा उतारने दिया और फिर अपनी नंगी चूत को मेरी चूत के ऊपर रगड़ने लगी।
अचानक से मैंने डॉली को पलट कर अपने नीचे कर लिया और खुद उसके ऊपर आकर उसके होंठों को चूमने लगी। डॉली भी मुकम्मल तौर पर मेरा साथ दे रही थी।
मैंने अपनी ज़ुबान डॉली के होंठों के दरम्यान में पुश किया तो वो मेरी ज़ुबान चूसने लगी, डॉली के टॉप के नीचे से हाथ डाल कर मैंने उसकी गोल चूचियों को पकड़ लिया और उनको जोरों से दबाने लगी।
आहिस्ता आहिस्ता मैं नीचे को आते हुए डॉली की दोनों जाँघों की दरम्यान में आ गई और उसकी चूत के ऊपर एक जोर का चूमा किया, फिर मैंने अपनी ज़ुबान की नोक को उसकी चूत के ऊपर-नीचे फेरना शुरू कर दिया।
धीरे धीरे से उसकी चूत ने दोबारा से पानी छोड़ना शुरू कर दिया।
उसकी चूत के दोनों लबों को खोलते हुए मैं बोली- डॉली तुम्हारी चूत तो कल की बनिस्बत ज्यादा खुली हुई लग रही है.. जैसे किसी ने अपना मोटा लंड तुम्हारी चूत में डाल दिया हो?
मेरी बात सुनते ही डॉली के चेहरे का रंग फ़क़ हो गया, वो फ़ौरन बोली- क्या मतलब भाभी.. ऐसी तो कोई बात नहीं है।
मैं हँसने लगी और बोली- मैं तो मज़ाक़ कर रही हूँ.. बस मुझे तेरी चूत को देख कर ऐसा लग रहा था।
फिर मैंने अपनी एक उंगली को उसकी चूत के अन्दर डाला और उसकी चूत के दाने को चाटते हुए उसकी चूत के अन्दर अपनी उंगली को अन्दर-बाहर करने लगी। 
धीरे-धीरे डॉली की आँखें बंद होने लगीं, मेरी पूरी उंगली उसकी चूत के अन्दर जा रही थी। 
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RE: Antarvasna मेरे पति और मेरी ननद - by sexstories - 05-24-2019, 12:11 PM

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