RE: Free Sex Kahani चमकता सितारा
कोमल अपनी आँखें बड़ी करती हुई बोल पड़ी- क्या सच में?
मैं- हाँ यार, अभी तक मैंने झूठ कहना अच्छी तरह सीखा नहीं है।
पायल- और मेरे लिए क्या खुशखबरी है?
मैं- आप सब को तैयार होकर.. मेरे साथ पार्टी में चलना है। यशराज की पिछली फिल्म की सक्सेस पार्टी है। रात आठ बजे वहाँ पहुँच जाना है। वहाँ जाओ सब से मिलो। हो सकता है तुम लोगों का काम भी बन जाए।
मेरा इतना कहना ही था कि सब मेरे गले लग कर मेरे बालों की ऐसी-तैसी करने लग गईं और सबने जोर-जोर से चिल्लाना शुरू कर दिया और तेज़ आवाज़ में गाने बजा कर मुझे पकड़ कर डांस करने करने लग गईं।
आज मुझे अपने घर की बहुत याद आ रही थी। अगर वो सब भी मेरे साथ होते तो कितना अच्छा होता।
फिर सब तैयार होने चली गईं।
वैसे भी मुझे पता था कि इन सबको तैयार होने में कितना वक़्त लगने वाला है। इसीलिए मैं थोड़ी देर के लिए सोने चला गया।
पायल की आवाज़ से मेरी नींद खुली। सात बजने वाला था और अब तक सब मेकअप को फाइनल टच ही दे रही थीं। पायल तैयार हो चुकी थी।
पायल- अरे उठो भी.. तुम्हें इतनी नींद कैसे आती है..? फिल्म मिल गई है, सुपरस्टार बनने जा रहे हो.. और तो और.. आज पहली बार जिन्हें अब परदे पर देखा है.. उनसे मिलने जा रहे हो। मुझे तो सोच-सोच कर ही रोमांच आ रहा है।
मैं- मुझे मेरी नींद सबसे प्यारी है। बाकी सब जाए भाड़ में।
मैं भी नहा धोकर कपड़े पहन कर तैयार हो गया।
ललिता- हो गए तैयार.. बस दस मिनट में!
मैं- और नहीं तो क्या.. अब तुम्हारा पूरा मेकअप किट खुद पर लगा लूँ क्या?
पायल- अरे कुछ तो मेन्टेन करो.. इधर बैठो.. मैं तैयार करती हूँ।
मेरे चेहरे, हाथ और गले पर पता नहीं क्या-क्या लगा रही थी। खैर अब मैं भी तैयार हो गया था।
तभी ललिता आई और उसने अपना लेडीज परफ्यूम मुझ पर स्प्रे कर दिया।
मैं- यह क्या किया तुमने..? लेडीज परफ्यूम क्यूँ स्प्रे किया तुमने?
ललिता- ओह..! सॉरी यार, मैं तो तुम्हें तैयार करने में भूल ही गई कि ये लेडीज परफ्यूम है।
तभी चेतन जी का कॉल आया।
चेतन जी- मैंने पता भेज दिया है और अब जल्दी आ जाओ। पार्टी शुरू हो चुकी है।
मैंने गुस्से से ललिता को देखते हुए कहा- ठीक है चेतन जी.. मैं आ रहा हूँ..
मैंने फ़ोन काट दिया।
अब मैं फिर से नहाने भी नहीं जा सकता था और नए कपड़ों में यही आखिरी था। सो मैंने ज्यादा वक़्त ना लेते हुए सबसे चलने को कहा और बाहर आ गए।
टैक्सी बुक करके हम दिए हुए पते पर पहुँच गए। वर्ली में एक होटल में ये पार्टी दी गई थी। हम सबने एक-दूसरे का हाथ थामा और होटल के अन्दर आ गए। पार्टी में जाने वालों की लिफ्ट ही अलग थी। नीचे स्टाफ के पास एक लिस्ट थी।
मैंने कहा- विजय और मेरे साथ तीन गेस्ट की एँट्री भी होगी।
स्टाफ ने लिफ्ट में जाने को कहा।
अब हम सब अपने सपने को देखने से कुछ पलों की ही दूरी पर थे। मैं तो काफी हद तक नार्मल था.. पर बाकी तीनों को देख ऐसा लग रहा था मानो तीनों जोर-जोर से चिल्लाने वाली हों।
कोमल और पायल ने अब तक मेरे हाथ पकड़े हुए थे और अब इतनी जोर से हाथ दबा रही थीं कि अब हल्का-हल्का दर्द सा भी होने लगा था।
खैर.. हम अपनी मंजिल पर पहुँच गए थे.. सामने एक बड़ा सा दरवाज़ा था। गाने की धुन और लोगों के चिल्लाने का शोर इतना था कि दरवाज़े बंद होने के बावजूद भी मैं सुन सकता था। हम सबने एक गहरी सांस ली और दरवाज़े को धक्का दे अन्दर आ गए।
यहाँ इतना धुँआ था कि मैं बर्दास्त नहीं कर पाया और खांसते हुए बाहर आ गया। मेरी इतनी हिम्मत नहीं हो रही थी कि मैं दुबारा अन्दर जाने की कोशिश करता। मैं दीवार से टिक कर आँखें बंद कर खड़ा हो गया। एक बेहद मीठी आवाज़ से मेरा ध्यान टूटा।
किसी बेहतरीन कारीगर की तराशी हुई संगमरमर की मूर्ति की तरह थी वो.. उसकी आँखें गहरे भूरे रंग की और भरा पूरा संगमरमर सा बदन..
वो- ऐसी जगह.. पहली बार आए हो क्या..?
मैं- हाँ.. पर लगता नहीं ज्यादा देर यहाँ टिक पाऊँगा।
फिर कोई दरवाज़े को खोल कर बाहर निकला और उसके साथ निकले धुएँ से फिर से मैं खांसने लग गया।
वो मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए बोली- आप छत पर चलो.. लगता है ये जगह आपको सूट नहीं करने वाली है।
मैं (उसके साथ छत पे जाते हुए)- अब तो जो भी हो.. इसकी आदत तो डालनी ही होगी मुझे। अब मैं खाली हाथ वापस जा भी नहीं सकता।
वो- मतलब..?
मैं- माफ़ कीजिएगा.. मैं अपने बारे में बताना भूल गया। मेरा नाम विजय है और कल ही यशराज फिल्म्स ने मुझे अपनी तीन फिल्मों के लिए साइन किया है।
वो किलकारी सी भरती हुई बोली- तो हम बैठे थे जिनके इंतज़ार में.. वो खुद ही हमारी बांहों में आ गिरे।
मैं- मतलब?
वो- मैं आपकी फिल्म की दो हिरोइन में से एक हूँ..
फिर उसने अपना हाथ बढ़ाते हुए कहा- मेरा नाम कांता खान।
मैं उसके गले लगते हुए बोला- हाथ मिलाना दूसरों से.. मुझसे अब गले लगने की आदत डाल लो.. मैं नहीं चाहता कि हमारी फिल्म में हमारे बीच प्यार की कोई कमी दिखे।
जब मैं अलग होने लगा तो कांता ने मुझे खींच कर फिर से गले लगा लिया और मेरे कानों के पास आ कर बोल उठी- अब तसल्ली तो होने दो.. ऐसे कहाँ मुझे छोड़ कर जा रहे हो।
हम दोनों गले लगे ही हुए थे कि चेतन जी वहाँ आ गए, उनके साथ में एक लड़की भी थी।
चेतन जी (हल्के नशे में)- तो आप कांता से मिल चुके हो.. ये रहीं आपकी दूसरी हीरोइन.. ‘डॉली श्रीवास्तव’
मेरा दिल इस नाम के साथ ही ज़ोरों से धड़क उठा।
‘इस फिल्म में तुम्हें इन दोनों के साथ ऐसी केमिस्ट्री बनानी है कि परदे पर आग लग जाए बस..’
उसे वहीं छोड़ कर वो फिर से नीचे हॉल में चले गए।
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