RE: Free Sex Kahani चमकता सितारा
मैं घर में अन्दर आया तो सबने डॉली को दरवाज़े पर ही रोक दिया।
‘अरे रुको थोड़ी देर’
यह कहते हुए पायल ने एक गिलास में चावल डाल कर दरवाज़े पर रख दिया।
पायल- भाभी जी, गृह प्रवेश करो।
डॉली ने हंसते हुए कहा- लात किसको मारनी है..? गिलास को या विजय को?
ललिता- विजय को तो हर रोज़ ही मारोगी। फिलहाल गिलास को ही लात मार कर अन्दर आ जाओ।
फिर हम सबने एक साथ नाश्ता किया और वो पूरा दिन डॉली की कार में हम सब पूरे शहर में धमाल मचाते रहे।
ऐसे ही हमारे कुछ दिन मज़े में बीते। मेरी फिल्म की मुहूर्त शॉट का वक़्त आ चुका था। आज मैं अच्छे से तैयार हो कर लोकेशन पर चला गया। मेरे लिए वहाँ एक वैन थी। मैं वहीं चला गया और एक मेकअप मैन ने मुझे तैयार किया।
तभी दरवाज़े पे दस्तक हुई.. कोमल थी। उसे वहाँ असिस्टेंट डायरेक्टर बना दिया गया था।
कोमल- शॉट रेडी है सर…
मैं- अब तुम तो मुझे ‘सर’ मत कहो।
बारिश का सीन था.. डॉली (इस फिल्म में भी उसका नाम डॉली ही था.. शायद यह कोमल ने ही किया हो। क्यूंकि बस वो ही मेरी एक्टिंग के बारे में जानती थी।)
डॉली सड़क पर खड़ी थी और टैक्सी ढूंढ रही थी। मेरा एक पहलू.. जो आवारा किस्म का था.. वो उसे सड़क के बीचों-बीच ट्रैफिक रुकवा कर.. प्रपोज करता है।
लाइट … कैमरा … एक्शन
डॉली.. जो मेरे मुस्कान की वजह बन चुकी थी.. उसे देखते ही मेरे चेहरे पर शरारती मुस्कान आ गई।
मैं उसके पास जा कर।
मैं- मैडम.. एक बात कहूँ?
डॉली- मैं आवारा लोगों के मुँह नहीं लगती।
मैंने अपनी शर्ट के बटन खोलते हुए कहा- तो फिर मेरे सीने से लग जाओ.. मैंने कब रोका है।
डॉली (गुस्से में)- तुम्हें बात करने की तमीज नहीं है.. लड़कियों से ऐसे बात करते हैं..?
मैंने अपनी पैंट को ऊपर करते हुए कहा- जी तमीज़ तो है.. पर यूँ भीगता देख कर ज़ज्बात काबू से बाहर हो रहे हैं।
कट.. कट.. मैंने डायरेक्टर को सॉरी कहा.. वो मैंने आखिरी वाला डायलॉग कुछ और ही कह दिया था।
फिर से डॉली ने अपनी बात दोहराई और..
मैं उसके हाथ को पकड़ कर घुटनों पर आ गया और मैंने डायलॉग बोला- मुझे नहीं पता.. लड़कियों से कैसे बात करते हैं.. क्यूंकि मुझे आज तक किसी ने प्यार से सिखाया ही नहीं है.. मैं हर बात सीख लूँगा.. जो तुम्हें अच्छी लगे। तुम बस मेरी हो जाओ.. आई लव यू..
कट… परफेक्ट शॉट..!
डॉली ने मेरे गले से लग कर मुझे बधाई दी और फिर मैं पास रखी कुर्सी पर बैठ गया.. और डॉली के मम्मों को महसूस करने लगा.. मेरा लौड़ा खड़ा होने लगा था।
इसके बाद का सीन था कि मैं अभी तक उसका हाथ थामे ज़मीन पर देख रहा हूँ.. तभी एक कार आती है और डॉली को धक्का मार कर आगे निकल जाती है। जिस सीन को डायरेक्टर ने हमारे बॉडी डबल के साथ पूरा किया।
मैं अब अपने केबिन में कपड़े बदल कर तैयार हुआ और बाहर हॉस्पिटल का सैट लग चुका था।
फिर से कोमल अन्दर आई।
मैं- हाँ जी.. मैं तैयार बैठा हूँ। शॉट रेडी है न..?
कोमल- ह्म्म्म… तुम्हारा पहला शॉट बहुत अच्छा था। कैसे किया तुमने ये..?
मैं- तुम तो जानती ही हो.. डॉली को प्रपोज करने के लिए भी भला मुझे एक्टिंग सीखने की ज़रूरत है क्या?
कोमल- देखती हूँ आगे इस किरदार को कैसे निभाते ह?
मैं- देख लेना।
मैं उसके साथ केबिन के बाहर आ गया।
अगला सीन था कि मैं हॉस्पिटल में घायल लेटा हुआ हूँ। उस एक्सीडेंट में थोड़ी चोट मुझे भी आई थी।
डॉली मेरे पास के ही एक कमरे में है और वो बहुत ही सीरियस हालत में है।
लाइट… कैमरा… एक्शन !
मैंने धीरे-धीरे अपनी आँखें खोलीं। पास ही खड़ी एक नर्स ने मुझसे कहा- वो दूसरी पेशेंट.. आपके साथ है क्या?
मैं- हाँ.. वो ठीक तो है न?
नर्स- जल्दी जाओ… पता नहीं वो ज़िंदा बचेगी भी या नहीं।
मेरे ज़ज्बातों का समंदर अब सुनामी का रूप ले चुका था। मैं भाग कर उस तक पहुँचना चाह रहा था.. पर मेरे दिल की धड़कनों ने जैसे मेरे पाँव में कोई डोर बाँध दी हो.. हर दो कदम पर लड़खड़ाए जा रहा था। मेरे आंसू बेकाबू हो चले थे। मैं डॉली के कमरे तक पहुँचा। मेरी आँखें भर जाने की वजह से हर चीज़ अब धुंधली सी दिखने लगी थी।
मेरे कानों में बस उसकी हिचकियों की आवाज़ सुनाई दे रही थी।
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