RE: Free Sex Kahani चमकता सितारा
इस नाम को सुनते ही मेरे चेहरे पर डर के भाव आ गए। मुझे थोड़ी देर पहले की बात याद आ रही थी। मैं यूँ ही डरता हुआ पूजा के कमरे में दाखिल हुआ।
पूजा- हमारी कब से दर पे आँखें लगी थीं.. हुजूर आते-आते बहुत देर कर दी।
उसने मिनी स्कर्ट पहनी थी.. वो एक कुर्सी ले मेरे सामने बैठ गई। एक मादक अंगड़ाई लेते हुए उसने सिगरेट सुलगाई और उसका धुआं मुझ पर छोड़ते हुए बोली।
पूजा- किताबें ही लिखोगे या हमारी कहानी आगे बढ़ेगी?
मैं- ज..जी… कौन सी कहानी?
पूजा ने मेरे हाथ पकड़ कर अपने गालों पर सहलाते हुए कहा- अरे मेरे भोले सनम.. हमारी कहानी… इस हुस्न की बेचैनी की कहानी.. जो बस तुम्हारे प्यार की एक बूंद पाने को तड़प रही है।
मेरा तो डर के मारे गला सूखने को हो आया था।
मैं हाथ छुड़ा कर उठते हुए बोला- जी मैं वो कोशिश करूँगा..
मैं उठ कर केबिन से बाहर भाग आया।
कट.. परफेक्ट शॉट..
मैं जब अपनी वैन के पास पहुँचा तो देखा.. डॉली और कोमल दोनों ही मुझे देख देख कर हँसे जा रही हैं।
मैं- क्या हो गया है तुम दोनों को?
डॉली- पूजा मैडम तुम्हें ढूंढ रही हैं।
मैं- वो एक्टिंग थी.. वरना मैं किसी से नहीं डरता।
डॉली- अच्छा जी.. तो वो जो थोड़ी देर पहले वैन में हो रहा था.. तब भी डर नहीं लगा था क्या?
मैं- तुम्हें कैसे पता?
कोमल- मैंने और डॉली ने ही कांता को वो सब करने भेजा था.. ताकि तुम्हारी एक्टिंग निखर कर सामने आए।
मैं- अभी बताता हूँ तुम दोनों को..
उस पूरे सैट पर मैं उन दोनों को भगाने लगा और पूरे सैट पर सब लोग हंस-हंस कर लोट-पोट हो रहे थे।
हमारी आज की शूटिंग ख़त्म हो चुकी थी। सो अब वापस घर जाने का वक़्त था। मैं डॉली की कार में बैठ गया और डॉली ड्राइव करने लग गई।
डॉली- तुम्हें ड्राइव करना नहीं आता है?
मैं- आता है।
डॉली- तो फिर ड्राइव क्यूँ नहीं करते हो?
मैं- वो मेरे दोनों हाथ फ्री रहते हैं न..
यह कहते हुए मैं उसके गालों को सहलाने लगा।
डॉली- छोड़ो भी… क्या कर रहे हो?
मैं- मतलब और पास आने को कह रही हो.. ठीक है.. कहते हुए उसे बांहों में भरने लगा।
डॉली- छोड़ो मुझे.. नहीं तो गाड़ी कहीं ठोक दूँगी।
अब मुझे उसे छोड़ना पड़ा। वैसे भी सड़क पर भीड़ थोड़ी ज्यादा थी और साथ में फिल्म स्टार भी बैठी थी। मुझे तो कोई अब तक नहीं जानता था.. पर उसकी ख़बरें अब अक्सर सुर्ख़ियों में रहने लगी थीं तो मैंने अलग बैठना ही ठीक समझा।
मैं- जानेमन.. आज पीने का मन हो रहा है।
डॉली- ठीक है। यही पास एक रेस्ट्रोबार है। हम वहीं चलते हैं।
मैं- मैं तो तुम्हारी निगाहों के जाम की बात कर रहा था और तुम यह समझ बैठी। खैर.. अब इतना कह रही हो तो मैं पी लूँगा।
डॉली ने मेरे कान खींचते हुए कहा- तो मैं फ़ोर्स कर रही हूँ जनाब को.. ठीक है नहीं जाते हैं। अरे याद आया आज तो एक सेलेब्रिटी पार्टी है।
उसने अपनी घड़ी देखते हुए कहा- पार्टी शुरू हो चुकी होगी और हमें ट्रैफिक से निकल कर वहाँ पहुँचने में भी एक घंटा लग ही जाएगा। तो क्या कहते हो?
मैं- जहाँ तुम, वहाँ मैं।
डॉली- सो.. स्वीट।
लगभग एक घंटे में हम खंडाला के फार्म हाउस पर पहुँचे। बाहर पत्रकारों की पूरी फ़ौज खड़ी थी। एक से बढ़कर एक गाड़ियाँ लगती जा रही थीं और हर बार जब कोई बड़ा सेलेब्रिटी कार से उतर कर अन्दर जाता तो सब एक साथ चीखने लग जाते।
मेरे लिए ये सब जैसे एक नया अनुभव था। अब हमारी कार भी दरवाज़े तक आ चुकी थी। डॉली का चेहरा यहाँ किसी के लिए भी अनजाना नहीं था तो वहाँ के एक स्टाफ ने डॉली से चाभी ली। डॉली ने मुझे साथ आने को कहा। मुझे अब तक डर ही लग रहा था।
सामने डॉली को बॉडीगार्ड्स ने घेरा हुआ था और तमाम पत्रकार उसकी तस्वीर के लिए कार पर गिर रहे थे.. जोर-जोर से चिल्ला रहे थे। फिर भी हिम्मत कर के मैं नीचे उतरा और बिना किसी की ओर देखे डॉली के साथ हो लिया। सब चिल्ला-चिल्ला कर सवाल पूछ रहे थे और इतने शोर में तो अपने मन की आवाज़ तक सुन पाना मुमकिन नहीं था, उनके सवाल कहाँ समझ आते भला।
मैं डॉली के साथ अन्दर फार्म हाउस में दाखिल हुआ।
यह कमाल की जगह थी.. ऐसा लग रहा था मानो खुद स्वर्ग के कारीगर ने आ कर इसे सजाया हो। कम से कम मैंने तो ऐसी जगह पहले कभी नहीं देखी थी। यहाँ मुंबई के लगभग तमाम नामचीन चेहरे थे। मैं तो जैसे यहाँ खो गया था।
डॉली- तुम एन्जॉय करो.. मैं कुछ लोगों से मिल कर आती हूँ।
जब गर्लफ्रेंड इस तरह कहती है तो अगर कोई लड़का मस्ती कर भी रहा हो तो भी एक बार देखता ज़रूर है कि आखिर गई कहाँ..
मैंने भी उसकी नज़रों से बचते हुए उसे देखा, बॉलीवुड के एक बड़े सुपरस्टार का बेटा था। मैंने मन को समझाया कि बेटा अब छोटे शहरों वाली सोच छोड़ दे। यहाँ अक्सर ऐसा ही देखने को मिलेगा। पर अभी-अभी तो आया था यहाँ माहौल में ढलने में वक़्त लगेगा। वे दोनों काफी हंस-हंस कर बातें कर रहे थे और जितना वो उससे प्यार से बातें कर रही थी.. मुझे उतना ही गुस्सा आ रहा था।
आखिरकार मैं उन पर से नज़रें हटा शराब ढूँढने लग गया। यही वो चीज़ थी जो मुझे सुकून दे सकती थी।
पास में ही शराब का काउंटर लगा था। मैं वहाँ गया और जल्दी-जल्दी में जितनी शराब गले से उतर सकती थी उतारने लग गया। तभी किसी ने अपना हाथ मेरे कंधे पर रखा। मैंने पलट कर देखा तो वहाँ चेतन जी थे।
मैं- कैसे हैं चेतन जी..? आज आप शूटिंग पर नहीं आए थे..
चेतन जी- मेरा काम स्टूडियो तक ही होता है। उससे बाहर के काम के लिए अलग से टीम है.. पर आज मैंने आपके काम की बड़ी तारीफ़ सुनी.. ऐसे ही काम करते रहो.. मंजिल ज़रूर मिलेगी।
मैं चेतन जी से बातें करते हुए भी डॉली को ही देख रहा था और मेरी शराब पीने की रफ़्तार अब तक कम नहीं हुई थी।
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