Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
06-02-2019, 02:03 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
युसुफ उसकी चुचियों को मक्खन की तरह बिलो रहा था.., कभी कभी उसके कड़क कंचे जैसे निप्प्लो से खेलने लगता..,

तो वहीं संजू की उंगली उसकी चूत में हा-हाकार मचाए हुए थी.., नन्ही अपनी टाँगें फैलाकर नीचे से अपनी गान्ड उठा-उठाकर संजू की उंगली को और गहराई तक लेने का प्रयास करने लगी…!

लौंडिया की गर्मी देख कर संजू भी बहुत गरम हो उठा.., अपनी उंगलियों की मदद से उसने अपने पॅंट की जिप खोल दी..,

लंड को बाहर करके नन्ही के हाथ में पकड़ा दिया…,उसकी एक जाँघ लगातार उसके लंड की वाट लगाए हुए थी.., साथ ही वो अपने हाथ से भी उसकी मुट्ठी मारने लगी…!

उत्तेजना के चरम पर पहुँच कर संजू ने अपनी दो उंगली चूत की गहराइिओं में उतार दी..और तेज-तेज अंदर बाहर करके एक तरह से हाथ से ही उसे चोदने लगा….!

उधर उसूफ ने भी गाड़ी के अंदर के अंधेरे का लाभ लेकर अपना लंड भी बाहर कर लिया.., उसने नन्ही को अपनी तरफ पलटा कर अपना लंड उसके मूह में दे दिया…!

ऐसे खेलों से अंजान होते हुए भी नन्ही वासना में अंधी हो चुकी थी.., उसे ये भी होश नही था कि उसके मूह में कब लंड घुस गया..,

वो तो उसके कटे हुए टोपे पर लगे नमकीन पानी को चाटते ही और ज़्यादा मदहोश हो गयी.., लॉलीपोप की तरह युसुफ के लंड को चचोर्ने लगी…!

बिना आवाज़ किए ये तीनों बिना की की परवाह किए अपने अपने कामों लगे थे…,

युसुफ का लंड सबसे पहले जबाब दे गया, उसने नन्ही के गले तक अपनी पिचकारी छोड़ दी..,

इधर नन्ही भी अपने चरम पर थी.., उसके पेट में क्या जा रहा है इस बात नज़रअंदाज करके उसने बहुत ज़ोर्से संजू के लंड को अपनी मुट्ठी में कस लिया…

अपनी गान्ड हवा में लहराकार वो भी भल-भलकर झड़ने लगी.., उसके चूतरस से संजू का हाथ तर हो गया…..!

लंड को कसकर दबाने से उसके लंड ने भी अपना लावा उगल दिया.., लंड की सीधी पिचकारी नन्ही की जाँघ और चूत के मूह पर पड़ी…!

गरम गरम वीर्य की बौछार अपनी चूत की फांकों पर पड़ते ही.., झड़ी हुई नन्ही की आँखें मज़े से फिर मूंद गयी…..!

मूह में युसुफ के वीर्य का स्वाद, हाथ, जाँघ, चूत संजू और खुद के पानी से लथपथ..,

जब तीनों को सकुन मिला तब होश आया, संजू ने अपना हाथ चाट’ते हुए चटखारा सा लेकर बोला – बड़ी नमकीन लौंडिया है यार…!

उसकी बात सुनकर नन्ही बुरी तरह शरमा गयी.., अपना लहनगा नीचे सरकाते हुए फुसफुसाई.., मेरे घर आना आप दोनो…!

अभी युसुफ कोई जबाब देता, मॅजिक झटके से रुक गया.., धीरे-धीरे करके भीड़ खाली हुई, लास्ट में वो तीनो भी निकले..,

नन्ही ने अपना थैला उठाया, नज़र झुकाए बोली – मे इंतेजार करूँगी.., आना ज़रूर.., इतना कहकर वो किसी चंचल हिरनी की तरह कुलाँचें भरती हुई अपने घर की तरफ भाग गयी…!

पीछे से वो दोनो उसके लहंगे में थिरकति गान्ड को देखते हुए अपने अपने लंड सेट करके युसुफ के घर की तरफ बढ़ गये….!

युसुफ का घर बहुत छोटा सा ही था.., कम हाइट के दो छोटे से कच्ची मिट्टी की एंटों के कोठे बने हुए थे,

मुख्य दरवाजे से घुसते ही एक आधी खुली और आधी छप्पर पड़ी थोड़ी सी जगह दोनो कोठो के सामने थी,


जहाँ एक कोने में नहाने धोने के लिए लकड़ी के पुराने पत्तों से आड़ बनाकर एक पत्थर रख कर बनाया हुआ था..

उसके ठीक बगल में ही खाना पीना बनाने के लिए छप्पर के नीचे चौका बना रखा था..,

इस समय परिवार के सभी लोग बड़ी बेटी वहीदा को छोड़कर चौके के आस-पास बैठे सुखी रोटियाँ लाल मिर्च की चटनी के साथ खा रहे थे…,

बीच वाली रेहाना रोटियाँ बना रही थी.., वहीदा कहीं बाहर गयी थी, शायद किसी के सिले हुए कपड़े देने…!

दरवाजे को धकेल कर जब वो दोनो घर में प्रवेश हुए तो बूढ़ी आँखें अपने बेटे को देख कर खुशी से चमक उठी,

छोटी बेहन रुखसार अपने भाई जान को देख कर चहकते हुए दरवाजे की तरफ दौड़ी.., और जाकर उसके गले से लग गयी…,

अपनी छोटी बेहन के गुदाज उभारों का दबाब अपने सीने पर पाकर युसुफ का लंड जो कुछ देर पहले ही पिचकारी मारके चुका था.., पाजामा में फिर से कुलबुलाने लगा..,

युसुफ ने भी उसके गोल-मटोल बॉली बॉल जैसे कुल्हों पर हाथ फेर्कर सहलाते हुए कहा – कैसी है मेरी गुड़िया..?

रुखसार ने अपने भाई की आँखों में देखा, जानना चाहा..कि आपका ये हाथ किस मकसद से मेरी गान्ड सहला रहा है.., फिर मुस्कराते हुए और ज़ोर से उससे चिपकते हुए बोली –

मे तो ठीक हूँ, आप सूनाओ.., कितने दिनो के बाद याद आई हम लोगों की.., और ये भाई कॉन हैं..?

युसुफ ने हल्के से उसके एक चूतड़ को दबा दिया, फिर अपने से अलग करते हुए बोला – यहाँ लौटने लायक मे बन ही नही पाया अबतक.., जब इस लायक हुआ कि तुम सब लोगों को कुछ दे सकूँ तो दौड़ा चला आया…

ये मेरा सबसे अज़ीज़ दोस्त संजू है.., अब ये भी हमारे परिवार का हिस्सा ही है..,

फिर उसने पास जाकर अपने अब्बू-अम्मी को सलाम किया.., संजू ने भी अपने हाथ जोड़ दिए.., राज़ी खुशी आदान प्रदान हुई..,

बातों बातों में युसुफ ने उन्हें बता दिया कि दो दिन में ही हम लोग यहाँ से शहर में शिफ्ट हो रहे हैं.., ज़रूरत का समान ही ले लेना, फालतू का यहाँ किसी को दे देना…!

फिर दोनो बारी बारी से हाथ मूह धोकर फ्रेश हुए.., बेचारी रुखसार ने कहीं से साग भाजी का इंतेजाम किया.., तब तक वहीदा भी आ गयी..,

वो भी अपने भाई के गले मिली.., उसके आगे पीछे के साइज़ को देख कर तो युसुफ का लंड पूरा ही खड़ा हो गया..,


उसके गले मिलते ही उसके नागराज ने अपने लिए बिल तलाश कर लिया, वो उसकी चूत के मुहाने पर जाकर ठोकरें देने लगा…!

खा-पीकर गाओं में वैसे भी जल्दी सोने की आदत है, करें भी तो क्या…? और कोई काम भी तो नही.., बिजली होती नही.., मनोरंजन के साधन कुछ थे नही…!

अब दो छोटे-छोटे कोठे थे उनमें ही इन सभी को अड्जस्ट होना था..,
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RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस - by sexstories - 06-02-2019, 02:03 PM
Nise story - by Ram kumar - 01-07-2020, 11:26 PM

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