RE: Chodan Kahani जवानी की तपिश
मैंने उसके मम्मों से अपना सिर उठाकर उसे देखा और मेरे लबों में एक मुश्कुराहट दौड़ गई। एक लम्हे के लिए मेरे दिमाग़ में रजनी को देखकर खयाल आया कि क्या यह वही रजनी है जो खुद पर मक्खी भी नहीं बैठने देती थी? मर्द तो बहुत दूर की बात हैं, इसके रौब और दबदबे से मर्द हजरत काँप जाते थे, जिसका नाम अपने लोगों के लिए एक दहशत था आज वो किस तरह मेरे नीचे तड़प रही है।
मेरे इस तरह अचानक रुकने पर उसने भी मुझे देखा और शायद उसने मेरी आँखों में सब कुछ पढ़ लिया, और मुझे देखते हुए उसने कहा-“तुमने मेरा गुरूर तोड़ दिया, मेरा सब कुछ बर्बाद कर दिया। राज, मैं कहीं की नहीं रही…” उसकी आँखों में दर्द था।
फ़िर एक गहरी साँस लेते हुए उसने हल्के से मुश्कुराकर कहा-“लेकिन मुझे इस बात का कोई अफ़सोस नहीं, मैं हारी भी तो एक असली मर्द से, जो हर तरह से मुझसे बढ़कर ही था। आज मैं सोच रही हूँ कि शायद मैंने तुम्हारे करीब आने में देर कर दी। मुझे यह सब कुछ पहले ही कर लेना चाहिए था, तो शायद आज मैं बर्बाद ना होती और ना ही मेरा गुरूर टूटता। मैं तुम्हें मुहब्बत से हासिल करती। लेकिन मैं अपनी फ़ितरत से मजबूर थी। जब तक तुम मुझे हराते नहीं मैं कभी तुम्हारे करीब भी नहीं आती…” यह कहते हुये उसकी आँखों से दो कतरे आँसू के बहकर तकिये में जज़्ब हो गये।
मैंने फौरन ही उसकी आँखों को चूम लिया और कहा-“नहीं रजनी, तुम्हें रोने की जरूरत नहीं… तुम मेरी जान हो, मैंने तुम्हें अपनी ज़िद से हासिल किया इसका मुझे अफ़सोस है। मैं तो तुमको मुहब्बत से हासिल करना चाहता था। तुम्हें नहीं पता कि मैं तुमसे कितनी मुहब्बत करता हूँ? तुम आज भी रानी हो मेरी रानी राज की रानी। मैं तुम्हारा गुरूर टूटने नहीं दूँगा, तुम्हें कभी बर्बाद होने नहीं दूँगा, मैं तुम्हें इतना मजबूत कर दूँगा कि दुनियाँ तुम्हारे नाम से खौफ खाएगी। रजनी, मुझे माफ कर दो। बस मेरी नेचर ऐसी है, मैं बचपन से बहुत तरसा हूँ, अब किसी चीज के लिए नहीं तरस सकता। जो मुझे अच्छा लगता हैं उसे मैं किसी भी कीमत पर हासिल कर लेता हूँ। यह मेरी मुहब्बत की इंतिहा है कि मैंने तुम्हें हासिल करने के लिए अपनी जान भी दाँव पर लगा दी। मैं तुम्हें कभी रोने नहीं दूँगा। बस इस सबके बदले में तुमसे सिर्फ़ और सिर्फ़ मुहब्बत माँगता हूँ। मुझे अपनी तमाम मुहब्बत दे दो…”
|